राष्ट्रपति के मंजूरी के बाद ”आप” के 20 MLA अयोग्य करार

नयी दिल्ली : राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद आम आदमी पार्टी के 20 विधायक अयोग्य करार दिए गए है। लाभ के पद (ऑफिस ऑफ प्रॉफिट) के मामले में आप विधायकों को अयोग्य घोषित करने की चुनाव आयोग की याचिका को राष्ट्रपति ने स्वीकार कर लिया है। अब दिल्ली एक छोटा विधानसभा चुनाव देख सकती है, जिसमें 70 सदस्यीय सदन की 20 सीटों पर चुनाव होगा। दिल्ली सरकार में मंत्री गोपाल राय ने कहा, पार्टी राष्ट्रपति से मिलकर अपना पक्ष रखना चाह रहे थे, बीच में ही यह खबर आ गई। अब हम हाई कोर्ट जाएंगे, अगर जरूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट भी जाएंगे। वहीं दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने कहा कि बीजेपी और चुनाव आयोग ने मामले को 3 सप्ताह से ज्यादा फंसाकर रखा, इससे आम आदमी पार्टी को राज्यसभा चुनाव में फायदा हुआ।
- आप पार्टी के 17 और विधायकों की हो सकती है सदस्यता रद्द
संसदीय सचिव नियुक्त किए गए 20 ‘आप’ विधायकों के मामले में निर्णय के बाद रोगी कल्याण समिति के अध्यक्ष पदों पर नियुक्त बाकी 17 ‘आप’ विधायकों का मामला भी चुनाव आयोग में विचाराधीन है। इस पर भी जल्द फैसला आ सकता है। संसदीय सचिव मामले में राष्ट्रपति ने 20 विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी है। अगर दूसरे मामले में भी विधायकों की सदस्यता रद्द होती है तो विधानसभा में ‘आप’ के 29 सदस्य ही बचेंगे, जबकि बहुमत के लिए 36 सदस्य जरूरी हैं।
शिकायतकर्ता विभोर आनंद के अनुसार सभी 27 विधायक समिति अध्यक्ष होने के नाते लाभ के पद के दायरे में आते हैं। इस वजह से इनकी सदस्यता रद्द की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि समिति में पहले कोई भी विधायक केवल सदस्य के तौर पर शामिल किया जाता था। मगर, सरकार ने नियमों के खिलाफ जाकर विधायकों को अध्यक्ष के पद पर नियुक्त किया।
विधायक जिनकी हुई सदस्यता रद्द:-
1. नरेश यादव(महरौली)
2. सोमदत्त(सदर बाजार)
3. प्रवीन कुमार(जंगपुरा)
4.नितिन त्यागी (लक्ष्मी नगर)
5. आदर्श शास्त्री(द्वारका)
6. संजीव झा(बुरारी)
7.जरनैल सिंह(तिलक नगर)
8.सुखवीर सिंह(मुंडका)
9.मदन लाल(कस्तूरबा नगर)
10.सारिका सिंह(रोहतास नगर)
11.अल्का लांबा(चांदनी चौक)
12. राजेश ऋषि(जनकपुरी)
13.अनिल कुमार बाजपेई(गांधी नगर)
14.मनोज कुमार(कोंडली)
15.कैलाश गहलौत(नजफगढ़)
16.अवतार सिंह(कालकाजी)
17.विजेंदर सिंह(राजिंदर नगर)
18.राजेश गुप्ता(वजीरपुर)
19.शरद कुमार(नरेला)
20.शिवचरन गोयल(मोती नगर)
क्या था पूरा मामला:-
आम आदमी पार्टी ने 13 मार्च 2015 को अपने 20 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया था। इसके बाद 19 जून को एडवोकेट प्रशांत पटेल ने राष्ट्रपति के पास इन सचिवों की सदस्यता रद्द करने के लिए आवेदन किया। राष्ट्रपति की ओर से 22 जून को यह शिकायत चुनाव आयोग में भेज दी गई। शिकायत में कहा गया था कि यह ‘लाभ का पद’ है इसलिए आप विधायकों की सदस्यता रद्द की जानी चाहिए।
इससे पहले मई 2015 में इलेक्शन कमीशन के पास एक जनहित याचिका भी डाली गई थी। आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि विधायकों को संसदीय सचिव बनकर कोई ‘आर्थिक लाभ’ नहीं मिल रहा। इस मामले को रद्द करने के लिए आप विधायकों ने चुनाव आयोग में याचिका लगाई थी।
वहीं राष्ट्रपति ने दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार के संसदीय सचिव विधेयक को मंजूरी देने से इनकार कर दिया था। इस विधेयक में संसदीय सचिव के पद को लाभ के पद के दायरे से बाहर रखने का प्रावधान था।