कोरोना की पाबंदियां खत्म होने के बाद धर्मनगरी बोल बम के जयकारों से गूंजने लगी है। कोरोना संक्रमण के चलते कावड़ यात्रा पर प्रशासन द्वारा दो वर्ष तक पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया था। कोरोना संक्रमण की दर कम होने पर इस बार महाशिवरात्रि पर कावड़ यात्रा पर किसी प्रकार का कोई प्रतिबंध नहीं लगा है। कावड़ यात्रा को लेकर प्रशासन-पुलिस भी अलर्ट मोड पर है। ट्रैफिक जाम की स्थिति से निपटने के लिए अतिरिक्त पुलिस फोस तैनात किया गया है।
जिसके चलते इस बार महाशिवरात्रि के पर्व से पूर्व काफी संख्या में कावड़िये धर्मनगरी में कांवड़ लेने आ रहे हैं। श्रावण पक्ष की कांवड़ में हरियाणा क्षेत्र की कांवड़ अधिक आती है। लेकिन दो साल से कोरोना संक्रमण के चलते सावन की कांवड़ यात्रा पर प्रतिबंध होने के कारण इस बार हरियाणा से भी काफी संख्या में कांविड़िये कांवड़ लेने धर्मनगरी में पहुंच रहे हैं। बाजार भी कांवड़ियों से गुलजार हो गए हैं।
फाल्गुन कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन शिव की पूजा का महत्व श्रावण मास से भी अधिक माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन का व्रत श्रवण मास के 30 दिनों के व्रत के बराबर होता है। एक मार्च को ये व्रत होगा। इस दिन कांवड़िये भगवान शिव का अभिषेक करते हैं।
कावड़ यात्रा में बिजनौर, नूरपुर, नगीना, नजीवाबाद, बरेली इत्यादि के भक्त अधिक कांवड़ लेकर आते हैं। लेकिन दो वर्ष से सावन की कांवड़ यात्रा पर पूर्ण प्रतिबंध होने के कारण हरियाणा से भी इस बार काफी संख्या में कांवड़िये गंगाजल लेने धर्मननगरी में पहुंच रहे हैं। हरियाणा से आए कांवड़ियों का कहना है कि दो वर्ष से सावन की कांवड़ यात्रा पर कोरेाना संक्रमण के चलते प्रतिबंध था।
जिसके चलते वह इस बार महाशिवरात्रि पर्व पर कांवड़ लेने धर्मनगरी पहुंचे हैं। हरियाणा से कांवड़ लेने आए प्रवीण ने कहा कि कोरोना संक्रमण के चलते हम अपनी कांवड़ यात्रा नहीं कर पा रहे थे। लेकिन भोले बाबा के आशीर्वाद के चलते संक्रमण दर कम होने से महाशिवरात्रि पर्व पर कोरोना की रोक खत्म होने से हमें यह पवित्र यात्रा फिर से करने का अवसर मिला है।