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डॉ.कलाम बेमिसाल शख्सियत जिन्हें ‘मिसाइल मैन’ के नाम से जानती है दुनिया

बेमिसाल शख्सियत डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का भारत को 2020 तक आत्मनिर्भर भारत के रूप में वैश्विक पहचान दिलाना था एक सपना 

कमल किशोर डुकलान
भारत के मिसाइल मैन कलाम साहब! जिनकी शख्सियत कमाल की थी। उनका सरल स्वभाव, सादा जीवन और ऊंचे सपने देखने की ललक उन्हें वैश्विक परिदृश्य में एक अलग पहचान देती है। उनका बच्चों के बीच खुलकर विचार-विमर्श करना, उन्हें सपने देखने के लिए प्रेरित करना,उनकी जिज्ञासा को बढ़ने देना ताकि वो कुछ नया सीख पाए। उनके सपनों को पंख देना ताकि वो अपनी उड़ान से भारत को नयी बुलंदियों पर ले जाए, उनकी खुली आंखों का सपना था। कलाम साहब की ऐसी असंख्य खूबियां उन्हें बच्चों का पसंदीदा शिक्षक और युवाओं का प्रेरणा स्रोत बनाती है।
भारत की बेमिसाल शख्सियत डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का सपना भारत को 2020 तक आर्थिक रूप से समृद्ध और शक्तिशाली देश बनाना था। जिसे उन्होंने अपने अंतिम समय तक पूरा करने का प्रयास किया। रामेश्वरम् के एक साधारण परिवार में जन्में डॉ. कलाम ने देश के राष्ट्रपति बनने तक का सफर तय किया, लेकिन उनकी पहली पसंद एक टीचर के रूप में ही रही। उन्होंने अपने जीवन को एक बेहतरीन लर्नर के रूप में ढाला। दुनिया के इस बेमिसाल टीचर ने 27 जुलाई सन् 2015 को अपने देश की युवा पीढ़ी के सामने दुनिया से अलविदा कह दिया। उनके जीवन के वो आखिरी पल देश की यादगार धरोहर की तरह कैमरे में कैद हो गए। डॉ. कलाम साहब का सपना था भारत को 2020 तक आत्मनिर्भर भारत के रूप में वैश्विक पहचान बनते हुए देखना, जिसे अपनी आने वाली नई पीढ़ी को थमा कर चल दिए कलाम साहब।
सन् 1980 में जब रोहिणी उपग्रह भारत का पहला स्वदेश-निर्मित प्रक्षेपण यान एसएलवी-3 बना, तो डॉ. कलाम साहब बेहद खुश हुए। यह देश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में मजबूत कदम था। भारत अन्तरराष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बन गया। डॉ. कलाम भारत को टेक्नोलॉजी की दुनिया में आत्मनिर्भर बनाने की इबारत लिखने की तैयारियों में जुट गए। डॉ. कलाम ने स्वदेशी गाइडेड मिसाइल को डिजाइन किया। भारतीय तकनीक से पृथ्वी और अग्नि जैसी मिसाइलों को बनाया। भारत की धरती से अति प्रेम करने वाले देश के इस होनहार बेटे ने भारत की सुरक्षा और आत्मनिर्भरता के लिए कई सफल प्रयोग किए।
दुनिया जानती है कि डॉ. कलाम आजीवन अविवाहित रहे,लेकिन उनका बच्चों से अगाद प्रेम था। एक बार उनसे किसी विदेशी पत्रकार ने ऐसा ही सवाल पूछा, कि आपकी कोई संतान नहीं है, फिर भी आप बच्चों से इतना प्यार क्योंकरते हैं? कलाम साहब मुस्कुराए और बडी शालीनता से बोले, मेरे तीन बच्चे हैं पृथ्वी, अग्नि और ब्रह्मोस। यकीनन राष्ट्रप्रेम और भारत को दुनिया के मानचित्र में विकसित देशों की श्रेणी में लाने का उनका प्रयास ही उनका वास्तविक प्रेम था। जिसके परिणाम स्वरूप भारत के करोड़ों बच्चों की आज भी कलाम साहब पहली पसंद हैं।
लगभग पांच वर्षो के अथक परिश्रम के फलस्वरूप जब ‘अग्नि’ मिसाइल का सफल परीक्षण हुआ, तब डॉ. कलाम कहते हैं कि अग्नि को इस नजर से मत देखो ये सिर्फ उपर उठने का साधन नहीं है, न शक्ति की नुमाइश है, अग्नि एक लौ है जो हर हिन्दुस्तानी के दिलों में जल रही है। इसे मिसाइल मत समझो! यह कौम के माथे पर चमकता हुआ आग का सुनहरा तिलक है।’
डॉ. कलाम ने एक के बाद एक कई सशक्त सुरक्षा के हथियारों मिसाइल से लेकर परमाणु परीक्षण तक में भारत को दुनिया के परमाणु सम्पन्न देशों की श्रेणी में लाने का सफल प्रयास किया। लेकिन उनके स्वाभाव की सौम्यता इन हथियारों को आधुनिक तकनीक के साथ विकास से जोडकर देखती है। भारत हमेशा से शांतिप्रिय देश है, दुनिया को यह बेहतर तरीके से कलाम साहब ने समझाने का काम किया।
लेखन क्षेत्र में रुचि होने के कारण डॉ.कलाम ने अपनी बेसकीमती धरोहर के रूप में देश को कई पुस्तकें समर्पित की- इण्डिया 2020 ए विजन फॉर द न्यू मिलेनियम, माई जर्नी तथा इग्नाटिड माइंड्स-अनलीशिंग द पॉवर विदिन इंडिया, इण्डिया-माय डृम, विंग्स ऑफ फायर, एनविजनिंग अन एमपावर्ड नेशन : टेक्नालॉजी फार सोसायटल ट्रांसफारमेशन आदि। देश के लिए दर्जनों किताबे लिखने वाले डॉ. कलाम अपने आपको हमेशा एक लर्नर ही कहते रहे। डॉ. कलाम के विचार-प्रेरणादायक संदेश के रूप में सदैव देश के युवाओं को संबल देंगे।

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