उत्तराखंड सरकार अपने राज्य के लोगों के लिये बेहतरीन कार्य कर रही बावजूद इसके सरकार को क्रेडिट कहीं
गज़ब : क्वारन्टीन सेंटर में कब जाना है पूछा तो स्टाफ बोला त्रिवेंद्र रावत को पूछो
गोविन्द आर्य
ऋषिकेश। वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के दौरान मार्च महीने से शुरू हुए घर वापसी का अभियान लगातार जारी है। इस दौरान उत्तराखंड सरकार द्वारा बड़ी संख्या में प्रवासियों की घर वापसी हुई है। किन्तु उसके बाद भी लोगों का उत्तराखंड आना जारी है। सरकार द्वारा लोगों को बेहतरीन क्वारन्टीन सुविधाएं दिलाई जा रही हैं और बड़ी राशि भी लोगों की सुविधाओं पर खर्च कर की जा रही है, निसंदेह उत्तराखंड सरकार अपने राज्य के लोगों के लिये बेहतरीन कार्य कर रही है। बावजूद इसके सरकार को उस तरह क्रेडिट कहीं मिलता नहीं दिखाई दे रहा है।
मैं स्वयं कल मुंबई से घर वापसी के अपने अभियान पर अपने परिवार के साथ उत्तराखंड आया हूँ और आम नागरिक होने के साथ साथ पत्रकार होने के नाते जो महसूस किया है उससे साफ लग रहा है कि सरकार के इतने भगीरथ प्रयास को नाकाम करने में आम आदमी से ज्यादा सरकार के निचले स्तर के अधिकारी कर्मचारी ही लगे हैं। सरकार लोगों की सुरक्षा, सुविधा के लिये उत्तराखंड में हर सम्भव प्रयास कर रही है, लेकिन जो कर्मचारी व्यवस्था में लगे हैं, वे मुख्यमंत्री, जिला अधिकारी सभी के प्रयास को फेल कर रहे हैं।
यह कर्मचारी दूर से आये लोग, जो कानून के सम्मान में सभी निर्देशों का पालन करने तैयार हैं, उन्हें भी घन्टो क्वारन्टीन सेंटर नहीं पहुंचा रहे हैं। कहने पर सीधे जो जवाब देते हैं वह बहुत ही आश्चर्यजनक है। कहते हैं क्वारन्टीन सेंटर में कब जाना है त्रिवेंद्र रावत को पूछो ! मैं हैरान रहा कि जिस राज्य के कर्मचारी अपने मुखिया का नाम भी सम्मान से नहीं लेते उस राज्य का मुख्यमंत्री राज्य के लिये कितना भी कुछ अपना अर्पण कर ले, उस राज्य के हालात नहीं बदलेंगे। बस, हम सिर्फ सम्पूर्णानन्द ग्राउंड के पीछे बने डिग्री कालेज में तैनात स्टाफ से यह जानकारी चाह रहे थे कि क्वारन्टीन सेंटर में कितनी देर बाद ले जाएंगे, उन स्टाफ का जवाब था मुख्यमंत्री जी से पूछो, मुख्यमंत्री जी मैं लिख रहा हूँ, वे सीधे नाम से ही कह रहे थे। घन्टो बाद जब शाम को हमें क्वारन्टीन सेंटर एके रेजीडेंसी तपोवन लाया गया, यहां सरकार की व्यवस्था पर संतोष हुआ और अहसास हुआ कि राज्य सरकार को बदनाम करने सरकार के कुछ कर्मचारी ही लगे हुए हैं, जबकि सरकार की व्यवस्थाएं बेहतरीन हैं।