संक्रमण की रफ्तार ऐसी ही रही तो आ सकता है संक्रमण का स्टेज -2
जंगली जानवरों से बचाव हेतु वैज्ञानिक आधारित कृषि को अपनाना अत्यंत आवश्यक
एक क्षेत्र विशेष में एक ही प्रकार की खेती की जाए जिससे कि उसकी मंडी तथा उस उत्पादन के मंडी एवं खरीदार उपलब्ध हो सके
सहकारिता आधारित कार्य किया जाना अनिवार्य है जिससे कि आय का साधन उपलब्ध हो सके
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून : वाडरिंग इंडिया, देहरादून एवं विल एंड स्किल क्रिएशंसन, देहरादून के संयुक्त तत्वाधान में एक वेबीनार का आयोजन किया गया जिसका शीर्षक था “पोस्ट कोविड -19 इकोनामिक सिनेरियो, चैलेंज एंड स्कोप फॉर उत्तराखंड स्टेट”
उत्तराखंड पहाड़ी राज्य होने के कारण और यहां पर वापस आ रहे प्रवासी कर्मचारी तथा मजदूर जो कि एक अनुमान से करीब 3:30 लाख के आसपास आएंगे उनको देखते हुए उत्तराखंड की आर्थिक स्थिति एवं सामाजिक परिवेश में किस प्रकार रोजी-रोटी तथा भरण पोषण का कार्य किया जाए जिससे कि पलायन का मार झेल रही यह प्रदेश आर्थिक सुदृढ़ता के साथ एंप्लॉयमेंट देने में सक्षम हो सके।
इस हेतु आज के वेबीनार में मुख्य वक्ता डॉ राजेंद्र डोभाल, डायरेक्टर जनरल – यूकोस्ट, देहरादून ने अपने विचार रखे जिसमें तमाम तरह की बातों पर चर्चा की गई| आज की परिचर्चा में मॉडरेटर श्री अनूप कुमार महाप्रबंधक ब्रिडकुल द्वारा वेविनार की शुरुआत की गई| अनूप कुमार ने कहा कि आज जिस तरह से कारोना संक्रमण के काल से पूरा विश्व गुजर रहा है उसमें भारत भी अछूता नहीं है, और संक्रमण की रफ्तार ऐसी ही रही तो संक्रमण का स्टेज -2 आ सकता है। उत्तराखंड राज्य में भी दिन प्रतिदिन आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं। आर्थिक परिस्थति बिगड़ते जा रही है। सारे होटल, होमस्टे खाली पड़े हैं दुकानों पर मांग की कमी है, पलायन का मार झेल रहा यह राज्य आर्थिक परिस्थिति से किस तरह उभर सकेगा यह मंत्रणा का विषय है।
इन विभिन्न मुद्दों पर डॉ राजेंद्र डोभाल ने अपने विचार स्पष्ट रूप से डालें तथा कहा कि उत्तराखंड में आ रहे प्रवासियों की स्किल मैपिंग के साथ-साथ उत्तराखंड में उपलब्ध नौकरी की मैचिंग करानी अत्यंत आवश्यक है क्योंकि उत्तराखंड में नौकरी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध नहीं है। इसके अलावा उत्तराखंड राज्य की कृषि आधारित क्रियाकलाप पर अमूल चूल परिवर्तन करते हुए क्लस्टर खेती की बात उन्होंने कहा जिससे कि एक क्षेत्र विशेष में एक ही प्रकार की खेती की जाए जिससे कि उसकी मंडी तथा उस उत्पादन के मंडी एवं खरीदार उपलब्ध हो सके तथा उचित दाम किसानों को मिले। गांव में विभिन्न प्रकार की परेशानियों को देखते हुए उन्होंने कहा की ग्राम परिवेश की जो सुदृढ़ क्रियाकलाप है उस पर और जोर देते हुए सहकारिता आधारित कार्य किया जाना अनिवार्य है जिससे कि आय का साधन उपलब्ध हो सके।
विभिन्न मुद्दों पर बात करते हुए उन्होंने कहा की कोरोना वायरस की रोकथाम हेतु उचित चिकित्सा व्यवस्था, कनेक्टिविटी तथा प्रचुर मात्रा में जानकारी उपलब्ध कराया जाना अनिवार्य है। जंगली जानवरों से बचाव हेतु वैज्ञानिक आधारित कृषि को अपनाना अत्यंत आवश्यक है। डॉ राजेंद्र डोभाल ने यह भी बताया कि उत्तराखंड राज्य में कृषि विश्वविद्यालय फॉरेस्ट कंजर्वेशन, एफआरआई आदि कई केंद्रीय अनुसंधान तथा राज्य शासन के विभिन्न संस्थाओं की उपलब्धता है जिसका वास्तविक दोहन करने का समय आ चुका है। इनके द्वारा वैज्ञानिक आधारित कार्यों को करने से कम संसाधन में भी अधिक लाभ लिया जा सकता है। इस हेतु राज्य सरकार को कार्य किए जाने की आवश्यकता है। राज्य की पर्यटन एवं औद्योगिक स्थिति सीजनल है, एक सीजन में बाहर से आने वाले पर्यटनों के द्वारा ही विभिन्न मदों से धन की प्राप्ति होती है जिसे उचित एवं वैज्ञानिक तरीके से 12 महीने तक के लिए धन उपार्जन किए जाने का उपाय किया जाना चाहिए। जैसे कि उत्तराखंड के विभिन्न वन आधारित पदार्थों का एक्सपोर्ट करना, दवाइयों में उपयोग करना, वैलनेस सेंटर बनाना तथा अन्य ग्रामीण उत्पादन को विश्व के पटल पर लाना इससे ग्रामीण क्षेत्र की आर्थिक स्थिति मजबूत हो सके और पलायन भी एक हद तक रुके।
रविवार को आयोजित हुए के वेबीनार में मुख्य रूप से एसके शर्मा रिटायर्ड चीफ जनरल मैनेजर ओएनजीसी, राज अरोड़ा चेयरमैन सेफगार्ड इंडस्ट्रीज हरिद्वार, एडवोकेट अजयवीर पुंडीर सीनियर एडवोकेट माननीय सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालय नैनीताल, किशन नाथ रिटायर एडिशनल सेक्रेटरी उत्तराखंड सरकार, हरीश जोशी चेयरमैन ट्रिड्स सोसाइटी एनजीओ, ऐ सी पुरोहित प्रोफेसर दून यूनिवर्सिटी, पुष्पा कटारिया प्रोफेसर दून बिजनेस स्कूल, रविंद्र सैनी विधि अधिकारी ब्रिडकल आदि कई लोगों ने प्रतिभाग किया। अंत में अमित गोस्वामी डायरेक्टर विल एंड स्किल क्रिएशंस द्वारा सभी आमंत्रित सदस्यों को धन्यवाद ज्ञापन दिया गया।