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‘गित्येर’ बाल गायन प्रतिस्पर्धा में सतपुली के जितेंद्र ने मारी बाजी

प्रथम स्थान पर आए सतपुली के जितेंद्र को सर्वश्रेष्ठ गायक के सम्मान स्वरूप इक्कीस हजार रुपये, प्रशस्ति पत्र व स्मृति चिन्ह

द्वितीय व तृतीय स्थान पर क्रमशः पौड़ी थैली गांव की काजल व कांडा की दिव्या को पंद्रह व ग्यारह हजार रुपया प्रशस्ति पत्र व स्मृति चिन्ह

सी एम पपनैं

नई दिल्ली। बद्री केदार सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्था द्वारा 15 दिसंबर की सायं गढ़वाल भवन मे ‘गित्येर’ कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया गया। आयोजित कार्यक्रम के तहत उत्तराखंड के सुदूर गांवो से ऑडियो आधार पर चयनित नो बाल गायक प्रतिभागियों की तीन राउंड तक चली गायन प्रतियोगिता मे जूरी सदस्यों गीतकार व संगीतकार वीरेन्द्र नेगी ‘राही’, सु-विख्यात लोक गायिका माया उपाध्याय व मीना राणा द्वारा प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थानों के लिए प्रतिभाशाली बाल गायकों का चयन कर सम्मानित किया गया।

उत्तराखंड के सुदूर गांवो से चयनित किए गए बाल गायकों मे प्रथम स्थान पर सतपुली के जितेंद्र को सर्वश्रेष्ठ गायक के सम्मान स्वरूप इक्कीस हजार रुपये, प्रशस्ति पत्र व स्मृति चिन्ह प्रबुद्ध जूरी सदस्यों व संयोजक संजय दरमोडा द्वारा प्रदान किया गया। द्वितीय व तृतीय स्थान पर क्रमशः पौड़ी थैली गांव की काजल व कांडा की दिव्या को पंद्रह व ग्यारह हजार रुपया प्रशस्ति पत्र व स्मृति चिन्ह भेट किया गया।

प्रथम स्थान पर रहे जितेंद्र द्वारा तीन राउंड मे गाए गढ़वाली लोकगीतों के बोल थे-
1- तरु म्येरी औला कुजी कुड़ी, दादु म्येरी…।
2- …जागेश्वर जाग…बागेश्वर जाग….त्रिनेत्र जाग, भोले भंडारी….।
3- जो डॉनयुमा काटा कुरीना कुरीना…भोंल त्येरी भोल औलाद क्ये खाली…।

उक्त तीनो लोकगीतों ने न सिर्फ जूरी सदस्यों को प्रभावित किया, प्रत्येक गीत गायन के बाद श्रोताओं का दिल जीत उन्हे भी तालियों की गड़गड़ाहट करने को मजबूर किया।

दूसरे व तीसरे पायदान पर कड़ा मुकाबला देखने को मिला, जिसमे लोकगायन के क्षेत्र मे मशहूर रहे जूरी सदस्यों द्वारा काजल को दूसरे व दिव्या को तीसरे स्थान हेतु नामजद किया गया।

ढुंग (रुद्रप्रयाग) की कंचन भंडारी चौथे, रुद्रप्रयाग की काजल राना पांचवे, सल्ट (अल्मोड़ा) के वैभव गिथ्यारी छठे, असरी गांव (रुद्रप्रयाग) करन कुमार सातवे, कोटा गांव (पौड़ी गढ़वाल) स्वेता रावत आठवे तथा पौड़ी की रूचि नेगी नोवे स्थान पर रही। इन प्रत्येक प्रतिभागियों को आयोजको द्वारा सम्मान स्वरूप पांच हजार रुपये, प्रशस्ति पत्र तथा स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया।

सात घन्टे तक आयोजित ‘गित्येर’ कार्यक्रम बाल गायन चयन प्रतियोगिता तक ही सीमित नहीं रहा, उत्तराखंड के सु-विख्यात लोकगायकों व गायिकाओं मे किसन महिपाल, विरेंद्र नेगी ‘राही’, माया उपाध्याय, मीना राणा के साथ-साथ दिव्यांग सौरभ कप्रवाल व सरोज ने भी अपने सु-मधुर लोकगायन से खचाखच भरे सभागार में बैठै श्रोताओं का मन मोहा।

लोकगायन प्रतियोगिता के वाद्ययंत्रों मे तबला- सतीस नेगी ‘राही’, ढोलक-पवन रावत, कीबोर्ड-चंदन गुसाई, पैड-घनश्याम पांडे की प्रभावशाली संगत व संगीत की लोक धुनों ने समा बाध बाल गायकों व अन्य गीतकारों की भरपूर हौसला अफजाई की। श्रोताओं ने गीत-संगीत का आनंद लिया।

आयोजको द्वारा कार्यक्रम मे सहयोग प्रदान करने वाले प्रबुद्ध जनो तथा आमंत्रित अतिथियो मे किसन महिपाल, कैलाश नेगी, डॉ जीतराम भट्ट, प्रेम बर्थवाल, विनोद रावत, सुधीर रावत, प्रताप गुसाई, कुसुम असवाल, कुसुम बिष्ट, विनोद बछेती, हरीश जी, पी एन शर्मा, कुलदीप भंडारी, शिवदत्त पंत, गीता चंदोला, अमरचंद, कुसुम कोठियाल भट्ट, निम्मी बुडाकोटी, प्रकाश मैठाणी, माया उपाध्याय, विरेंद्र नेगी ‘राही’, जनार्दन शर्मा, मीना राणा, संजय शर्मा दरमोडा तथा मीडिया से जुड़े संपादको व पत्रकारो मे जगमोहन डांगी, यशोदा जोशी, सतेंद्र सिंह रावत, संगीता रावत, अमर चंद, चंद्रमोहन पपनैं, सतेंद्र सिंह नेगी, हरीश असवाल इत्यादि को पुष्पगुच्छ व स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम संयोजक संजय शर्मा दरमोडा द्वारा सभी अतिथियो, बाल गायकों व सभागार में बैठे प्रबुद्ध जनो व जूरी सदस्यों का अभिनन्दन कर कार्यक्रम में आने व सहयोग देने हेतु आभार व्यक्त किया गया। कहा, बाल कलाकारों का उत्तराखंड के सुदूर सीमान्त गांवो से दिल्ली आकर गायन प्रतियोगिता मे भाग लेना ही अपने आप मे दमखम शो करता है। प्रतिभागियों का रस और स्वाद के साथ गीत गायन प्रभावशाली रहा। बाल गायकों ने अपने हुनर से सबका मनमोहा। बाल गायकों की गायन प्रतियोगिता कराने के पीछे संस्था का मकसद रहा, ग्रामीण स्तर पर बच्चों के गीत गायन के साथ-साथ उनके व्यक्तित्व का विकास करना।

प्रतिभाग कर रहे बाल कलाकारों द्वारा व्यक्त किया गया, देश की राजधानी दिल्ली के इतने बड़े मंच और नामी-गिरामी लोकगायकों, उच्च अधिकारियों, व्यवसायियों, साहित्यकारो व पत्रकारो की उपस्थिति मे गायन करना उनके लिए बहुत बड़े सौभाग्य की बात रही, जिसकी वे सपने मे भी कल्पना नहीं कर सकते थे। बाल गायकों ने व्यक्त किया, उनके माता-पिता भी बहुत अच्छे लोकगीत गाते हैं परंतु उन्हे कभी मौका व मंच नही मिला।

आयोजित कार्यक्रम का सफलता पूर्वक निर्वाह करने वाले संस्था पदाधिकारियो मे अध्यक्ष राजपाल, सचिव उमेश रावत के साथ-साथ रमेश चंद्र, द्वारिका चमोली, विजय लक्ष्मी भट्ट, मीना कंडवाल, आशू, जगत रावत, संजय नोटियाल, दिनेश ध्यानी, विनोद रतूड़ी, रमेश चंद्र घिंडियाल, अनिल पंत, सोनू, हंसा बोरा, अंकिता चौहान, सुधीर रावत इत्यादि की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

आयोजन का मंच संचालन सु-विख्यात गढ़वाली फिल्म कलाकार व उदघोषक अजय सिंह बिष्ट द्वारा बखूबी अंदाज मे किया गया।

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