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Supreme Court की मोदी सरकार को Clean Chit , Rafale deal की जांच की नहीं जरुरत

राफेल सौदे की अब नहीं होगी कोई जांच 

S C ने केंद्र की दलीलों को बताया तर्कसंगत और पर्याप्त 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस पर बोला हमला राहुल गांधी मांगनी चाहिए को देश से माफी

नई दिल्ली, एजेंसी। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के राफेल पर फैसले के बाद रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस पर हमला बोला है।

उन्होंने यह तक कहा कि कांग्रेस और खुद राहुल गांधी को पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए। राफेल विमान सौदे पर राहुल गांधी के बयान पर आज यानी गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने उनकी माफी को मंजूर करते हुए उनके खिलाफ दायर मानहानि के केस को खारिज कर दिया।

अब कोर्ट के फैसले के बाद भाजपा, कांग्रेस पर हमलावर दिख रही है। केंद्रीय मंत्री ने सबसे पहले ही अपने बात की शुरुआत इस बात से की कि कांग्रेस पार्टी औपचारिक रूप से देश से मांफी मांगे और राहुल गांधी को भी देश से मांफी मांगनी चाहिए।

 

नई दिल्ली : Supreme Court ने 14 राफेल लड़ाकू विमान के सौदे को बरकरार रखते हुए अपने 14 दिसंबर, 2018 को दिए फैसले के खिलाफ दाखिल समीक्षा याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि अब इसकी अलग से जांच करने की जरूरत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्व वाली पीठ ने केंद्र सरकार को राहत देते हुए कहा कि अदालत ने केंद्र की दलीलों को तर्कसंगत और पर्याप्त बताते हुए माना कि केस के मेरिट को देखते हुए इसमें दोबारा जांच के आदेश देने की अब कोई जरूरत नहीं रह गई है।

न्यायालय ने कहा, ‘हमें नहीं लगता कि राफेल विमान सौदा मामले में प्राथमिकी दर्ज करने या बेवजह जांच का आदेश देने की जरूरत है।’ अदालत ने 14 दिसंबर 2018 को राफेल खरीद प्रक्रिया और सरकार द्वारा इंडियन ऑफसेट पार्टनर के चुनाव में भारतीय कंपनी को फेवर किए जाने के आरोपों की जांच करने का अनुरोध करने वाले सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया था। अदालत ने कहा था कि फैसला लेने की प्रक्रिया में कहीं भी शक करने की गुंजाइश नहीं है।

याचिकाकर्ताओं की तरफ से कहा गया था कि अदालत का फैसला गलत तथ्यों के आधार पर है क्योंकि केंद्र सरकार ने सीलबंद लिफाफे में अदालत के सामने गलत तथ्य पेश किए थे। यहां तक की सरकार ने खुद ही फैसले के अगले दिन 15 दिसंबर 2018 को अपनी गलती सुधारते हुए दोबारा आवेदन दाखिल किया था।

गौरतलब हो कि पिछले साल अदालत ने 59,000 करोड़ के राफेल सौदे में हुई कथित अनियमितताओं की अदालत की निगरानी में जांच वाली मांग को खारिज कर दिया था। राफेल डील मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 14 दिसंबर, 2018 को दिए अपने फैसले में भारत की केंद्र सरकार को क्लीन चिट दे दी थी। हालांकि इस फैसले की समीक्षा के लिए अदालत में कई याचिकाएं दायर की गईं और 10 मई, 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने इन याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

फ्रांस से 36 राफेल फाइटर जेट के भारत के सौदे को चुनौती देने वाली जिन याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की, उनमें पूर्व मंत्री अरुण शौरी, यशवंत सिन्हा, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण और आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह की याचिकाएं शामिल थीं। सभी याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से उसके पिछले साल के फैसले की समीक्षा करने की अपील की थी।

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