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कांग्रेस ने जारी किया चुनौती पत्र , भाजपा ने बताया बासी कड़ी !

  • कांग्रेस की चार्जशीट बासी कडी़ के समान : गामा

देवभूमि मीडिया ब्यूरो

देहरादून। उत्तराखंड में भाजपा  के बीच चल रही चुनावी लड़ाई अब चार्जशीट से चुनौती पत्र के बीच जाकर सिमट गयी है।  रविवार को जहाँ कांग्रेस कमेटी द्वारा चुनौती चुनौती पत्र जारी किया गया। तो वहीं भाजपा ने इसे बासी कड़ी कह कर कांग्रेस का मज़ा ख़राब कर दिया।  उन्होंने कहा जिस तरह बासी कड़ी में कभी उबाल नहीं आता कांग्रेस का चुनौती पत्र वैसा ही है।  उधर कांग्रेस ने पहले पार्टी ने चार्जशीट तैयार करने की बात की थी, लेकिन अब इसका नाम बदलकर चुनौती पत्र कर दिया गया है। पार्टी के प्रदेश प्रभारी अनुग्रह नारायण सिंह, सह प्रभारी राजेश धर्माणी और चार्जशीट कमेटी के अध्यक्ष नवप्रभात ने इसे जारी किया।

केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार को आरोपों के भंवर में फंसाने के लिए कांग्रेस ने चार्जशीट तैयार करने का निर्णय लिया था, लेकिन यह खुद ही भंवर में फंसकर रह गई। न सिर्फ यह पूरी कसरत डेढ़ महीने विलंब से आई, बल्कि इसके स्वरूप में भी काफी हद तक परिवर्तन कर दिया गया है। कांग्रेस ने पूर्व काबीना मंत्री नवप्रभात की अध्यक्षता में चार्जशीट कमेटी का गठन किया था। यह तय किया गया था कि चार्जशीट कमेटी अपनी रिपोर्ट प्रदेश नेतृत्व को देगी और इसके बाद राज्यपाल को भाजपा सरकारों के खिलाफ चार्जशीट सौंपी जाएगी। चार्जशीट कमेटी की करीब चार बैठकें हुईं। बाद में तय किया गया कि चार्जशीट कमेटी राज्यपाल को रिपोर्ट नहीं सौंपेगी, बल्कि इसे जनता के लिए सीधे जारी कर दिया जाएगा। पहले यह तय किया गया था कि चुनाव आचार संहिता लागू होने से पहले ही इसे सार्वजनिक कर दिया जाएगा, मगर इसका मामला लगातार लटकता चला गया। कांग्रेस ने अब चार्जशीट को चुनौती पत्र के तौर पर पेश किया है। करीब 11 पेज के इस डॉक्यूमेंट को चुनौती पत्र नाम दिया गया है। यह चुनौती पत्र कांग्रेस भवन में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान जारी किया गया। इस मौके पर प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना, प्रदेश प्रवक्ता गरीमा दसौनी, पूर्व मंत्री तेज पाल सिंह रावत, हीरा सिंह बिष्ट आदि उपस्थित रहे।

वहीं  देहरादून के मेयर सुनील उनियाल गामा ने कहा कि जिस चार्जशीट को कांग्रेस ब्रह्मास्त्र की तरह प्रचारित कर रही थी। वह कांग्रेस की फ्यूज और कंफ्यूज स्थिति को दर्शाने के लिए  काफी है । जिन मुद्दों को वह सदन से लेकर सड़क तक पहले ही उठा चुके हैं। उन्हें चार्जशीट का नाम देकर एक बार फिर जनता के सामने परोसने का काम किया है । जनता ने जिन मुद्दों को पहले ही नकार दिया है। उन्हें उठाने से कांग्रेश को कोई लाभ नहीं होने वाला नहीं है।
गामा ने कहा है कि आरोप लगाने के साथ कांग्रेस को प्रमाण पत्र भी देना चाहिए था लेकिन कांग्रेस के पास कोई प्रमाण नहीं है उन्होंने कहा कि सेना को ओ आर ओ पी की मांग कांग्रेस ने 40 से से लटका रखी थी ।उसको मोदी सरकार ने एक साल में ही लागू कर दी। इस पर कांग्रेस को बोलने का कोई अधिकार नहीं  है।  कांग्रेस ने तो हमेशा सेना का अपमान ही किया है। न्यायपालिका स्वतंत्र संस्था है । और सरकार का इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं होता है । इसलिए कांग्रेस का आरोप लगाना ही हास्य पद है । इसी तरह से सेनाध्यक्ष का राष्ट्रपति से मिलना, प्रधानमंत्री मोदी जी का पाकिस्तान जाना आदि मुद्दों को बार-बार उछालना कांग्रेसी हलकी मानसिकता को ही दर्शाती है ।अच्छा होता कांग्रेस विकास के कार्यों पर सवाल पूछती। खुली बहस करती तो इसका लाभ देश की जनता को मिलता।  कांग्रेस को नहीं भूलना चाहिए कि बासी कडी़ में कभी उबाल नहीं आता है ।

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