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केदारनाथ में हो रहे परम्पराओं के खिलाफ निर्माण कार्यः हरीश रावत

देहरादून। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा है कि केदारनाथ में आज जो भी निर्माण कार्य किये जा रहे हैं वह आस्था व परम्पराओं के विरूद्ध एवं अविवेकपूर्ण तरीके से किया जा रहा है। इस मामले की जांच किये जाने की आवश्यकता है। उनका कहना है कि वहां पर हो रहे निर्माण कार्यों में मंदिर समिति, तीर्थ पुरोहितों की पूर्ण रूप से अनदेखी की जा रही है जिसके विरोध में तीर्थ पुरोहितों ने सरकार को जगाने के लिए प्रत्येक सोमवार को उपवास रखने का कार्यक्रम तय किया है। उन्होंने कहा कि अब जो केदार है, वो मेरे केदार जैसा नहीं है। केदार में जो काम हो रहा है वो वैज्ञानिकों की सलाह बिना हो रहा है। इस मामले में जांच होनी चाहिए कि केदारनाथ में काम किस स्तर का हो रहा है। रावत ने कहा कि बीजेपी देश को स्मार्ट बनाने-बनाते केदार को स्मार्ट बनाने का लॉलीपॉप दे रही है जबकि वो हाथ जोड़कर केवल निवेदन करना चाहते हैं कि अपने स्मार्ट को अपने पास रखो और पहाड़ों की सुंदरता को बने रहने दो। वहीँ रावत ने कहा कि जो तीर्थ पुरोहित और दुकानें लगाते थे उन सबको उखाड़ दिया गया है जबकि वो बाबा शिव के बेटे हैं, उनसे भी सरकार ने आजीविका छीन ली है।
यहां राजपुर रोड स्थित एक होटल में पत्रकारों से बातचीत करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा है कि केदारनाथ के दर्शन के लिए जब वहां पहुंचे उस वक्त मेरे साथ स्थानीय विधायक मनोज रावत और राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा मौजूद थे। उन्हांेने कहा कि मै अपने साथ दूरबीन और खुर्दबीन दोनो अपने साथ लेकर केदारनाथ गया था और मैने दूरबीन से देखना चाहा की पिछले सवा साल में केदारनाथ धाम कितना बदला जा रहा है और प्रदेश सरकार द्वारा कहा जा रहा था कि सब बदल गया है, उनका कहना है कि लेकिन मेरे दूरबीन और खुर्दबीन दोनों को निराशा हुई है।
उनका कहना है कि कांग्रेस की सरकार के समय से ही केंद्र सरकार से निरंतर मांग की थी की मंदाकिनी मे जो कटाव व भूस्खलन हो रहा है उसके लिए चार हजार करोड़ का प्रोजेक्ट पास किया जाए उनका कहना है कि लेकिन आज तक इस ओर किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की गई और पूर्व मे हमने वैकल्पिक जो निकासी मार्ग बनाये थे अब सरकार ने उसमे अब कुछ काम नही किया है, लगातार प्रदेश की सरकार जनता के साथ झूठे वायदे कर रही है और विकास कार्य धरातल पर नहीं दिखाई दे रहा है।
हरीश रावत ने कहा कि पूर्व में सरकार में रहते हुए हमने पानी की निकासी के लिए कुछ नहरे बनाई थी, अब उसमें भी कुछ काम नही हुआ है। उनका कहना है कि गरूड़ चट्टी मे बनी तपस्थली मंे भी पूर्व से छोड़कर अभी तक कुछ काम नही हुआ है। उनका कहना है कि जब दूरबीन से कुछ नहीं मिला तो खुर्दबीन से खोजने की कोशिश की गई और कांग्रेस सरकार के समय बनाई गई सड़क का राज्य सरकार ने गड्ढे तक नही भरे हैं। उनका कहना है कि बाबा केदार के रूप को भी प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार ने बदल दिया है, मंदिर के आकार को भी छोटा कर दिया है और वहां पर 70 फीट की सड़क बनाई जा रही है जो चिंता का विषय है और स्थानीय निवासियों का रोजगार छीना जा रहा है और तीर्थ पुरोहितों के मकानों को तोड़ने का काम किया जा रहा है।
उन्होने कहा कि जहां पहले भगवानों की मूर्तियाँ श्रद्धालुओं का स्वागत करते थे, वही अब उस केंद्र सरकार के नेता और बिजनेसमैनों की फोटो लोगों का स्वागत कर रहा हैं, लगातार आस्था के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है और वहां पर नंदी सहित अन्य भगवानों को भी हटा दिया गया है और मंदिर के गर्भगृह व भव्यता में भी छेड़छाड़ की जा रही है जिसे किसी भी दशा में सहन नहीं किया जायेगा। इस अवसर पर वार्ता में राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा, विधायक मनोज रावत, मंदिर समिति अध्यक्ष गणेश गोदियाल, जोत सिंह बिष्ट, सुरेन्द्र कुमार, सुशील राठी, आजाद अली, राजीव जैन, किशन बगवाडी, पंडित कृष्णकांत कोटियाल, पंडित विसु शुक्ला, राजकुमार तिवारी आदि मौजूद थे।