सचिन के मसूरी स्थित आशियाने पर चला कैंट बोर्ड का हथौड़ा
मसूरी। मंगलवार सुबह भारी पुलिस की मौजूदगी में उच्च न्यायालय के आदेश के बाद क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर के विवादित ‘आशियाना’ डहलिया बैंक पर कैंट बोर्ड का हथौड़ा और जेसीबी चल पड़ा । कैंट प्रशासन ने भारी पुलिस की मौजूदगी में भवन को तोड़ने का काम शुरू कर दिया जिसे 15 दिनों में पूरी तरह तोड़ दिया जाएगा।
गौरतलब हो कि ”डहलिया” बैंक स्थित घर सचिन तेंदुलकर जब मसूरी आते थे तो इसी बंगले में ठहरते थे। वर्ष 2015 में इसका लोकार्पण किया गया था जिसमें कई फ़िल्मी हस्तियां के साथ क्रिकेटर भी शामिल हुए थे। लेकिन अवैध निर्माण और गैर मानक निर्माण को लेकर कैंट प्रशासन को इसके निर्माण पर आपत्ति थी जिसके बाद इस पर शासन का बुलडोजर चला है।
उल्लेखनीय है कि लगभग 28 हजार वर्गमीटर क्षेत्र में फैले इस डहलिया बैंक में संजय नारंग के अवैध निर्माण को तोड़ने का आदेश नैनीताल हाई कोर्ट ने कैंट बोर्ड को दिया था। इसके बाद इस फैसले के खिलाफ संजय नारंग ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष सुनवाई याचिका को चुनौती दी थी, जिसके बाद कैंट बोर्ड ने केविएट दाखिलकर अपना पक्ष सुनने की अपील की थी।
ढहलिया बैंक हाउस की इमारत को अवैध निर्माण साबित करने की लड़ाई में कैंट बोर्ड को करीब तीन साल से ज्यादा समय लगे। हाल ही में नैनीताल हाईकोर्ट ने कैंट बोर्ड के पक्ष में फैसला सुनाते हुए संजय नारंग के द्वारा निर्माण किए गए निर्माण को अवैध बताते हुए ध्वस्त करने के आदेश दिए। इसके बाद नारंग सुप्रीम तक गए। लेकिन सुप्रीम कोर्ट से भी उनको राहत नहीं मिला।
सुप्रीम कोर्ट ने संजय नारंग को 12 दिन के भीतर आशियाना खाली करने के निर्देश दिए। वहीं, दूसरी ओर कैंट बोर्ड लंढौर ने इसी सप्ताह बोर्ड बैठक कर संजय नारंग को आखिरी नोटिस भेजते हुए अवैध निर्माण तोड़ने का निर्णय लिया। बता दें कि ढहलिया बैंक हाउस संजय नारंग का है। संजय नारंग और सचिन खास दोस्त हैं। ऐसे में सचिन जब भी मसूरी में छुट्टियां मनाने आते हैं तो इसी हाउस में ठहरते हैं। इसे सचिन का पसंदीदा आशियाना माना जाता है।
सुप्रीम कोर्ट ने संजय नारंग की याचिका को खारिज कर 18 सितंबर को डहलिया बैंक में कराए गए अवैध निर्माण को तोड़ने के लिए संजय नारंग को 12 दिन का समय दिया था। यह रक्षा मंत्रालय के विभाग आईटीएम के नजदीक पचास मीटर की परिधि में आता है जो विभागीय मानकों के अनुसार नहीं है। इसी वजह से घर को ध्वस्त किया जा रहा है। मौके पर भारी पुलिस फ़ोर्स के अलावा एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड के साथ ही कई जेसीबी मशीनें भी पहुंचाई गयी हैं।
यह आशियाना सचिन के दोस्त संजय नारंग का बताया जाता है। इस बंगले से सचिन तेंदुलकर का नाम भी जुड़ा था, हालांकि सचिन ने इससे इनकार किया था। इस ‘ढहलिया बैंक’ में ऐशोआराम की हर सुविधा है। यह बंगला मसूरी की ऊंची वादियों में हरे-भरे जंगलों की बीच है। सर्दियों में यह जगह बर्फ की सफेद चादर से ढक जाती है। ढहलिया बैंक की सुरक्षा के लिए इसके चारों ओर पत्थरों से दीवार बनाई गई है। ढहलिया बैंक हाउस करीब 1.672 एकड़ में बना हुआ है। यह करीब 100 साल पुरानी पहाड़ी शैली पर बनी हुई इमारत है। बंगले में स्विमिंग पूल, बिलियर्ड, स्नूकर रूम, टेबल टेनिस, टेनिस कोर्ट, बार रूम और 50 सीटों वाला थियेटर भी है। बंगले में कुल छह से सात बेडरूम हैं, जिनकी छत पर पहाड़ी पठाल लगी हुई है। समुद्रतल से 7500 फीट ऊंचाई पर बना यह बंगला प्राकृतिक सुंदरता का अद्भुत नजारा दिखाता है।
सचिन के दोस्त संजय नारंग ने मसूरी में साल 2008 में आरएल दुग्गल से इस संपत्ति को खरीदा था। यह संपत्ति कैंट बोर्ड की सीमा में आती है, लेकिन इसकी अनुमति केंद्र सरकार से नहीं ली गयी। इसके चलते कैंट बोर्ड ने इसका दाखिल खारिज नहीं किया। नारंग ने 2009 कैंट बोर्ड से भवन की मरम्मत और अन्य निर्माण की अनुमति मांगी, लेकिन कैंट बोर्ड ने केवल पौंड और टेनिस कोर्ट की अनुमति ही थी। इसके एवज में नारंग ने वहां पर भारी अवैध निर्माण कर दिया, जो कैंट बोर्ड के मानकों के अनुरूप नहीं है।
कैंट बोर्ड के नियम के अनुसार 50 मीटर की परिधि तक किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य प्रतिबंधित है, लेकिन नारंग ने कैंट बोर्ड के इस नियम का उल्लंघन कर वहां पर भारी अवैध निर्माण कर दिया। इसके बाद कैंट बोर्ड ने डहेलिया बैंक के कई चालान किए। इसके बाद उक्त मामले में सिविल वाद दायर किया गया। कोर्ट ने 2014 में डहेलिया बैंक को तोड़ने के आदेश दिये थे। वहीं बीती पांच सितंबर को नैनीताल हाईकोर्ट ने डहेलिया बैंक के ध्वस्तीकरण के आदेश जारी किये। इसके खिलाफ संजय नारंग ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष याचिका दाखिल की, लेकिन 18 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर नारंग को 12 दिन का समय देते हुए पौंड और टेनिस कोर्ट को छोड़कर अन्य हिस्से के ध्वस्तीकरण के आदेश कैंट बोर्ड को दिये।
डहेलिया बैंक के ध्वस्तीकरण को लेकर पूरे शहर में चर्चा रही। कोठी को ध्वस्त करने के लिए कैंट बोर्ड ने देहरादून की एक कंस्ट्रक्शन कंपनी को ठेका दिया है। इसमें एक सिविल इंजीनियर, प्रोजेक्ट मैनेजर, दो ऑपरेटर, फायर फाइटर, एक जेसीबी और एंबुलेंस सहित 30 मजदूर शामिल हैं। यह टीम पूरी बिल्डिंग को ध्वस्त करेगी।
कैंट बोर्ड के सीईओ जाकिर हुसैन ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का अनुपालन करते हुए डहेलिया बैंक के ध्वस्तीकरण की कार्यवाही मंगलवार को 12 बारह बजे शुरू की जा चूकी है, जिसके तहत आवास के पौंड और टेनिस कोर्ट को छोड़कर अन्य अवैध निर्माण कार्य को ध्वस्त किया जाएगा। इसमें तीन बिल्डिंग और गार्डन शामिल हैं। रोजाना कार्रवाई शाम छह बजे तक चलेगी।
बुधवार को सुबह 10 बजे से फिर ध्वस्तीकरण का काम शुरू हो जाएगा। एसडीएम मीनाक्षी पटवाल ने बताया कि पूरी कार्यवाही के दौरान कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पूरे इंतजाम किये गये हैं।
प्रभारी निरीक्षण राजीव रौथाण ने कहा कि कैंट बोर्ड को पर्याप्त फोर्स दी गई है। दो उप निरीक्षक, पीएसी के 40 महिला और पुरुष जवान तैनात किये गये हैं। वहीं कैंट बोर्ड की ओर से विशेष सुरक्षा के लिए सेना के जवान भी मौके पर तैनात हैं। कार्रवाई के दौरान सेना की ओर से सब एरिया हेडक्वाटर उतराखंड कर्नल एमएम उनियाल, लीगाल सेल लखनऊ के कर्नल सुबोध, आईटीएम के वर्क अफसर अशोक बाबू, कैंट बोर्ड उपाध्यक्ष महेश चंद्र, एसडीएम मीनाक्षी पटवाल, प्रभारी निरिक्षक राजीव रौथाण, नायब तहसीलदार दयाराम आदि मौजूद रहे।