- कोटद्वार कस्बे में एक पूर्णकालिक एसपी की तैनाती जरूरी
- समुदाय विशेष के सिरफिरे युवाओं की हरकतों ने पौड़ी को बदनाम कर रख दिया
अजय अजेय रावत
उत्तर प्रदेश के जनपद बिजनौर से सटा पौड़ी गढ़वाल जनपद यूं तो आज सियासी और अन्य वजहों से देश के सिरमौर जनपदों में एक है, देश का शायद ही कोई ऐसा जनपद हो जिसने इतनी बड़ी तादात में बड़ी शख्सियतों को जन्म दिया हो। इसके साथ ही इस जनपद को कुदरत ने भी अनेक नेमतें बख्शी हैं, लेकिन पिछले कुछ समय से इस जनपद के तकरीबन सभी प्रमुख कस्बों में एक समुदाय विशेष के सिरफिरे युवाओं की हरकतों ने इस जनपद को बदनाम कर रख दिया है। इस जनपद के दक्षिणी हिस्से कोटद्वार को उत्तरी हिस्से श्रीनगर से जोड़ने वाले पौड़ी-मेरठ नेशनल हाईवे से भले ही सैलानी न चढ़ पाए हों, लेकिन बारास्ता इस हाईवे पश्चिमी उत्तर प्रदेश की घिनौनी शरारतें अवश्य पहाड़ तक चढ़ बैठीं।
करीब दो वर्ष पूर्व गढ़वाल जनपद के सबसे बड़े नगर कोटद्वार में एक समुदाय विशेष के युवाओं की दादागिरी के बाद माहौल अचानक विस्फोटक हो गया, शहर में खूब बलवा भी हुआ। जैसे तैसे इस चिंगारी को भड़कने से रोक दिया गया। बताया जाता है कि इस दौरान कोटद्वार से बमुश्किल पंद्रह मिनट की दूरी पर स्थित उत्तर प्रदेश के इलाके में भी समुदाय विशेष के शरारती तत्वों को एलर्ट कर दिया गया था, यदि हालात सामान्य न होते तो यह आग उत्तराखंड की तराई व पहाड़ से लेकर पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक भड़क जाती। इसके बाद पौड़ी-मेरठ हाईवे के प्रमुख पड़ाव सतपुली में भी एक समुदाय विशेष के किशोर द्वारा केदारनाथ के चित्र का अपमान करने के बाद स्थिति तनावपूर्ण हो गई, कस्बे में हफ्तों तक पुलिस व पीएसी का पहरा रहा। लेकिन जब तक इस मामले को भुलाया जाता कि एक समुदाय विशेष के युवा द्वारा गाय के बछड़े के साथ दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया जाता है, जिसके बाद फिर कस्बे में हालात तनावपूर्ण हो गए। वहीं गत रविवार को पुलिस उपमहानिरीक्षक गढ़वाल, एसएसपी पौड़ी की नाक के नीचे मंडल मुख्यालय पौड़ी में एक समुदाय विशेष के युवा द्वारा एक दुधमुंही बच्ची के साथ घिनौनी हरकत को अंजाम दे दिया गया, जिससे वहां माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है। इन तमाम वारदातों से साबित होता है कि जिले में अस्थाई तौर पर रह रहे एक समुदाय के लोगों के बीच मौजूद कुछ सिरफिरे युवक असंगठित रूप से ही सही, लेकिन पहाड़ के माहौल में विष घोलने की फिराक में हैं।
जनपद पौड़ी में हो रही इन घटनाओं का विश्लेषण किया जाए तो यह बात साफ है कि उत्तराखंड में पौड़ी ही एकमात्र ऐसा पहाड़ी जनपद है जो उत्तर प्रदेश से पूरी तरह सटा हुआ है। बिजनौर, नगीना, धामपुर, नजीबाबाद जैसे कस्बे इस जनपद की सीमाओं से महज कुछ मिनटों की दूरी पर हैं। इतना ही नहीं जनपद बिजनौर के नजीबाबाद और नगीना कस्बे के आधे से अधिक बेरोजगारों को जनपद गढ़वाल को कोटद्वार कस्बो रोजगार देता है। दिहाड़ी, मजदूरी, फड़ लगाने जैसे कामों में तकरीबन सभी लोग इन कस्बों से ताल्लुक रखते हैं, और अधिकांश एक समुदाय विशेष से आते हैं। कोटद्वार जैसे शहर में कुछ राजनैतिक लोगों द्वारा एकमुश्त वोटबैंक के लालच में बिना सोचे समझे एक समुदाय विशेष के लोगों को यहां का स्थाई निवासी बना दिया गया, जिसके दुष्परिणाम अब सामने आने लगे हैं। सब्जी, फल के व्यापार के साथ नाई, मैकेनिक आदि कारोबार के सिलसिले में बड़ी संख्या में युवा पहाड़ भी चढ़ गए। इनमें से अनेक शातिर बदमाश प्रवृत्ति के भी हैं, जो आज ऐसी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। जिले के कोटद्वार ही नहीं, पौड़ी, श्रीनगर व सतपुली जैसे शहरों में भी अस्थाई रूप से एक समुदाय के विशेष के लोगों की बसागत काफी बढ़ गई है। हालांकि अधिकांश कारोबारियों को अपने मुनाफे से ही इत्तेफाक है लेकिन कुछ सिरफिरे युवकों के कारण आज इस समुदाय विशेष को इन दिनों शक की निगाह से देखा जाने लगा है।
यदि इन प्रकरणों का मनौवैज्ञानिक विश्लेषण किया जाए तो इस समुदाय के कुछ लोगों में हाल में व्याप्त कुंठा भी प्रमुख कारण मानी जा सकती है। देश प्रदेश में शासन सत्ता पर तथाकथित हिन्दूवादी विचारधारा के हावी होने के बाद समुदाय विशेष के अनेक हार्डलाइनर लोग अवसादग्रस्त हैं। ऐसे शातिर लोग अपने समुदाय के किशोर व युवाओं एक अनजान खौफ दिखाकर उन्हे घिनौनी हरकतें करने को उकसा रहे हैं। सतपुली में क्रिकेट मैच में पाकिस्तान की भारत पर जीत के बाद जश्न मनाने की घटना, केदारनाथ के चित्र का अपमान जैसी मानसिकता साफ दर्शाती है कि किशोर व युवाओं को कहीं न कहीं से उकसाया जा रहा है। इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि इसके पीछे सिमी जैसे कुछ मौड्यूस भी सक्रिय हो सकते हैं।
पहाड़ के अमन चैन ही नहीं इस समुदाय विशेष की बेहतरी के लिए अब जरूरी हो गया है कि इस प्रकार की घटनाओं को हर हाल में रोका जाए। इसके लिए पुलिस के खुफिया तंत्र को अपने सर्वोच्च प्रयास करने होंगे, साथ ही समुदाय विशेष के उन जिम्मेदार लोंगों के भी आगे आना होगा जो पहाड़ के समाज में लंबे समय से रचे बसे हैं। बहरहाल जिस प्रकार से पौड़ी जनपद के सभी कस्बों में इस प्रकार की घटनाएं हो रही हैं, उसे देखते हुए जनपद के कोटद्वार कस्बे में एक पूर्णकालिक एसपी की तैनाती जरूरी हो गई है क्योंकि इस तरह की तमाम विदू्रपताएं बारास्ता कोटद्वार ही पहाड़ में दाखिल हो रही हैं।