Uttarakhand

मुख्यमंत्री लाल बत्ती हटाकर बने ख़ास से आम

मोदी सरकार का  VIP कल्चर के खिलाफ बड़ा और ऐतिहासिक निर्णय : त्रिवेन्द्र 

देहरादून : केंद्र सरकार द्वारा लाल बत्ती हटाए जाने के बाद इसका असर प्रदेश में भी दिखाई देने लगा है।  राज्य सरकार के मंत्रियों ने केंद्र सरकार के ऐतिहासिक फैसले का अनुसरण करते हुए अपने सरकारी वाहनों से लाल बत्ती हटाकर ख़ास से आम होने का परिचय दिया है । केंद्र व राज्य के इस फैसले का बुद्धिजीवियों ने स्वागत किया है और कहा यह दासता का प्रतीक था ,जो  ब्रिटिश हुक्मरानों ने अपने को खास दिखाई देने के लिए लागू किया गया था।

गुरुवार को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपनी सरकारी गाड़ी से लाल बत्ती हटवा दी। त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इसकी जानकारी ट्वीट करके दी। वीवीआईपी कल्चर को समाप्त करने के लिए मोदी कैबिनेट द्वारा एक मई से लालबत्ती की व्यवस्था को समाप्त करने के ऐलान के बाद सूबे के मंत्रियों में लालबत्ती उतारने की होड़ सी लग गई है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने मोदी सरकार का  VIP कल्चर के खिलाफ बड़ा और ऐतिहासिक निर्णय बताया। 

केंद्रीय कैबिनेट के फैसले की जानकारी मिलते ही प्रदेश के वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने सरकारी वाहन पर लगी लाल बत्ती उतार दी। इसके बाद प्रदेश के वित्त मंत्री प्रकाश पंत, परिवहन मंत्री यशपाल आर्य ने भी लाल बत्ती उतार दी।

सहकारिता राज्यमंत्री डॉ. धन सिंह ने रावत ने बताया कि उन्होंने भी लाल बत्ती उतार दी है। शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने बुधवार की रात बताया किया उन्होंने ने भी लाल बत्ती उतार दी है।

मोदी सरकार ने वीआईपी कल्चर के खिलाफ बड़ा और ऐतिहासिक निर्णय लिया है। आने वाले एक मई अर्थात् मजदूर दिवस के दिन से देश में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश समेत कोई भी लाल बत्ती का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे।

इसके दायरे में केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री और अधिकारी भी आएंगे। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लाल बत्ती देने के नियम को ही खत्म कर दिया है। आपात सेवाओं से जुड़े एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड और पुलिस भी नीली बत्ती का ही इस्तेमाल कर पाएंगे।

दरअसल, प्रदेश में 13 अप्रैल 2016 को लाल, नीली व पीली बत्तियों को लेकर शासनादेश जारी किया गया था। इसमें इस बात का उल्लेख किया गया था कि किस-किस पद के धारक कैसे रंग की बत्तियों का प्रयोग कर सकते हैं। आपातकालीन सेवा जैसे एंबुलेंस, अग्निशमन यान, पायलेट के रूप में प्रयुक्त पुलिस वाहन व कानून-व्यवस्था में संचालित वाहनों में नीली, सफेद व नारंगी रंग की बहुरंगी बत्तियों का उपयोग किया जाता है।
इन्हें मिली है फ्लैशर युक्त लाल बत्ती
राज्यपाल, उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश, मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष, उच्च न्यायालय के न्यायाधीश, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष, राज्य सरकार के मंत्री।
बिना फ्लैशर की लाल बत्ती
विधानसभा के उपाध्यक्ष, मुख्य सचिव, अध्यक्ष लोक सेवा आयोग, महाधिवक्ता उत्तराखंड, अध्यक्ष अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग व आयुक्त राज्य निर्वाचन आयोग
नीली बत्ती फ्लैशर युक्त
अध्यक्ष राजस्व परिषद, अपर मुख्य सचिव, औद्योगिक विकास आयुक्त, आयुक्त वन एवं ग्राम्य विकास, समस्त प्रमुख सचिव व सचिव, पुलिस महानिदेशक, अपर पुलिस महानिदेशक, मंडलायुक्त, परिवहन आयुक्त, आबकारी आयुक्त, व्यापार कर आयुक्त, पुलिस महानिरीक्षक, परिक्षेत्रीय पुलिस उप महानिरीक्षक, अपर सचिव, विभागाध्यक्ष, जनपद न्यायाधीश व उनके समकक्ष अधिकारी, उच्चतर न्यायिक सेवा के अधिकारी एवं मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, जिला मजिस्ट्रेट, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, अधीक्षक व मुख्य विकास अधिकारी
फ्लैशर युक्त पीली बत्ती
अपर पुलिस अधीक्षक, सेनानायक पीएसी, आईआरबी, संभागीय परिवहन अधिकारी, एडीएम, एसडीएम, सिटी मजिस्ट्रेट, एआरटीओ प्रर्वतन, जिला आबकारी अधिकारी व विभाग के प्रवर्तन अधिकारी, क्षेत्राधिकारी पुलिस, प्रभारी निरीक्षक व तहसीलदार।

https://youtu.be/X2yecD3y0pc

devbhoomimedia

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : देवभूमि मीडिया.कॉम हर पक्ष के विचारों और नज़रिए को अपने यहां समाहित करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह जरूरी नहीं है कि हम यहां प्रकाशित सभी विचारों से सहमत हों। लेकिन हम सबकी अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार का समर्थन करते हैं। ऐसे स्वतंत्र लेखक,ब्लॉगर और स्तंभकार जो देवभूमि मीडिया.कॉम के कर्मचारी नहीं हैं, उनके लेख, सूचनाएं या उनके द्वारा व्यक्त किया गया विचार उनका निजी है, यह देवभूमि मीडिया.कॉम का नज़रिया नहीं है और नहीं कहा जा सकता है। ऐसी किसी चीज की जवाबदेही या उत्तरदायित्व देवभूमि मीडिया.कॉम का नहीं होगा। धन्यवाद !

Related Articles

Back to top button
Translate »