CRIME

पुलिस ने दबोचा पत्नी, सास व 2 बच्चों की हत्या का कातिल

चंडीगढ में अपनी पहचान छिपाकर रह रहा था आरोपी !

देहरादून । अपनी पत्नी, सास व दो बच्चों की हत्या कर खुद का रहस्यमयी सुसाइड नोट लिख फरार आरोपी को आखिरकार दून पुलिस ने धर दबोचा। आरोपी खुद को मरा दिखाकर पुलिस की आंख में धूल झोंकना चाह रहा था। आरोपी के अनुसार पत्नी के उसपर शक करने को लेकर आयेदिन घर में हो रही कलह से तंग आकर उसने पत्नी की हत्या कर दी। बाद में बेटी व छोटे बेटे को पालने में असमर्थ होने पर आरोपी ने निर्दयीपन की सभी सीमायें पार कर उन्हें भी मार दिया। बाद में सास के बार-बार अपनी बेटी व नातियों के बारे में पूछने से झल्लाये आरोपी ने सास को भी मार डाला। इसके बाद आरोपी चंडीगढ में अपनी पहचान छिपाकर रह रहा था लेकिन दून पुलिस ने आखिर उसे खोज ही निकाला। दून पुलिस ने आरोपी द्वारा लिये गये एक लोन की छानबीन की तो पाया कि उसने जो वोटर आई कार्ड लोन में उपयोग किया था इसी वोटर आई कार्ड के आधार पर चंडीगढ के बैंक में एक खाता खुलवाया है। बस इसी खाते के आधार पर दून पुलिस ने आरोपी को धर दबोचा।

राजीव सिंह पुत्र स्व० बलबीर सिंह निवासी इन्द्रप्रस्थ एन्क्लेव शिमला बाईपास सेवला, कला माजरा थाना पटेलनगर द्वारा 20 मार्च 2015 को अपनी पत्नी गीतिका उम्र 35 वषर्, पुत्री ईशिका उम्र 10 वर्ष, पुत्र अरू उम्र 2 वर्ष व सास मिथिलेश उम्र 61 वर्ष की वैष्णो देवी जाने हेतु कहकर घर से जाने तथा वापस न आने के सम्बन्ध में थाना पटेलनगर पर गुमशुदगी दर्ज करायी थी। जिसकी जाँच के अनुक्रम में तत्कालीन पुलिस टीम द्वारा वादी राजीव सिंह से पूछताछ की गयी तो उसने पूछताछ में बताया कि संभवतया उसकी पत्नी व बच्चों नें हरकी पैडी पर आत्महत्या कर ली। इसी वियोग में उसकी सास द्वारा भी आत्महत्या कर ली गयी। जिस पर पूर्व पुलिस टीम द्वारा राजीव सिंह को अपने साथ अपने साथ जनपद हरिद्वार ले जाकर हरकी पैडी व भिन्न भिन्न स्थानों में गुमशुदाओं के शव की तलाश की गयी लेकिन कोई सफलता प्राप्त नहीं हुयी। बाद में वादी राजीव सिंह का 21 मार्च 2015 को घर पर सुसाईट नोट मिला था और वह भी रहस्यमय परिस्थितियों में गायब हो गया।

उक्त गुमशुदगी में गुमशुदाओं की तलाश हेतु पूर्व में सम्पूर्ण जनपद स्तर पर विभिन्न टीमों का गठन किया गया तथा गुमशुदाओं की तलाश में विभिन्न स्तरों पर खोजने के अथक प्रयास किये गये थे तत्कालीन पुलिस टीम/एस०ओ०जी० द्वारा मोबाईल सर्विलांश तथा विभिन्न तकनीकों की सहायता ली गयी थी परन्तु गुमशुदा परिवार के सम्बन्ध में कोई भी लाभप्रद जानकारी नहीं मिल पायी थी। पूर्व पुलिस टीम/ एस०ओ०जी० द्वारा विभिन्न पहलुओं पर जांच-पूछताछ की गयी थी और राजीव सिंह का मोबाईल हिमाचल प्रदेश की एक लोकल बस से बरामद किया गया था जिसके अन्दर कोई भी सिम कार्ड नहीं लगा था। अब पुलिस के पास सर्विलान्स के जरिये वादी राजीव का पता करने का माध्यम भी समाप्त हो चुका था। काफी प्रयास करने के पश्चात भी जब राजीव व उसके परिवार का पता नहीं चल पाया था तो इस गुमशुदगी को अपहरण के मुकदमे में तरमीम किया गया।

दून में तैनाती के बाद वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक स्वीटी अग्रवाल के पर्यवेक्षण में पुलिस अधीक्षक अपराध / पुलिस अधीक्षक नगर के निर्देशन में सहायक पुलिस अधीक्षक/क्षेत्राधिकारी पटेलनगर के नेतृत्व में थाना हाजा पर विभिन्न स्तरो पर 5 टीमों का गठन किया गया। प्रभारी निरीक्षक के द्वारा अधीनस्थ टीमों को पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उ०प्रदेश, दिल्ली, बिहार आदि राज्यों में गुमशुदा की तलाश/ सुरागरसी पतारसी हेतु गुमशुदाओं के फोटो पम्पलेट लेकर भेजा गया तथा स्थानीय स्तर पर भी केबल नेटवर्क के माध्यम से प्रचार प्रसार किया गया था। जाँच के दौरान गुमशुदा के परिजनों से पुलिस टीम द्वारा राजीव सिंह के पैन कार्ड व आधार कार्ड का पता चला। जिनको प्राप्त कर पुलिस टीम द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर सभी राष्ट्रीयकृत सरकारी / गैर सरकारी व स्थानीय बैंको में प्राप्त आधार कार्ड व पैन कार्ड पर यह जाँच/ तलाशे शुरू की तो पता चला कि वादी राजीव सिह ने कोई एकाउण्ट तो नहीं खुलवाया है जिससे कोई सफलता नहीं मिल पायी। इसके अलावा राजीव के आधार कार्ड से सभी जीओ मोबाइल सिम की भी जाँच की गयी लेकिन राजीव के आधार कार्ड से कोई भी सिम जारी नहीं पाया गया।

उसके पश्चात गठित पुलिस टीम द्वारा नये सिरे से राजीव के पैन कार्ड की जाँच शुरू कि तो पुलिस टीम को राजीव सिंह के पैन कार्ड नम्बर के नम्बर से यह जानकारी प्राप्त हुई कि वर्ष 2005 में राजीव सिंह के द्वारा एक कार मारूति को डी०डी०मोटर्स देहरादून से एक लोन द्वारा लिया गया था। पुलिस पार्टी के द्वारा लोन के कागजातों को कब्जे में लेकर गहनता से अवलोकन करने पर वोटर कार्ड प्रकाश में आया। जिसमें पता राजीव सिंह पुत्र बलवीर सिंह निवासी 79/1 सुभाषनगर, क्लेमेन्टाउन अंकित पाया गया। इस वोटर आई०कार्ड को राजीव ने अपने लोन एकाउन्ट में आई०डी० के तौर पर इस्तेमाल किया था। वोटर आई०डी० कार्ड के आधार पर पुनः सभी राष्ट्रीयकृत बैंको में जा.जाकर राजीव के एकाउण्ट की तलाश की गयी तो यह जानकारी प्राप्त हुई कि राजीव के द्वारा एक एकाउण्ट बैंक आँफ बडोदा सेक्टर 22 चण्डीगढ में अपना खाता खुलवाया हुआ है। इस पर क्षेत्राधिकारी सदर के द्वारा प्रभारी निरीक्षक के नेतृत्व में थाना स्तर पर तत्काल एक पुलिस टीम का गठन कर तत्काल चण्डीगढ रवाना किया गया। इस पुलिस टीम के द्वारा चण्डीगढ में राजीव सिंह के फोटो पम्पलेट व बैंक शाखा में जाकर राजीव सिंह के पते की तलाश कर राजीव सिंह को पकड कर देहरादून लाया गया। पहले राजीव सिंह अपनी पुरानी बातों को ही दोहराता रहा लेकिन फिर विस्तृत पूछताछ व बयानों में राजीव सिंह ने कबूल किया कि इसी के द्वारा अपनी पत्नी गितिका, पुत्री इशिका, पुत्र आरू व सास मिथिलेश का भिन्न भिन्न तिथियों तथा भिन्न भिन्न स्थानों पर हत्या की गयी।

आरोपी को पकडने वाली पुलिस टीम में क्षेत्राधिकारी सदर केश्वर सिंह आई०पी०एस०, प्रभारी निरीक्षक रितेश साह, वरिष्ठ उ०नि० हेमन्त खण्डूरी, उ०नि० रविन्द्र शाह, उ०नि० विपिन बहुगुणा, उ.नि० नरोत्तम सिंह बिष्ट, उ०नि० प्रशि० शोएब अली, का० राजीव, का० सुशील, का० राजेश, का० सन्दीप, का० यशपाल, का० पारस मणी, म०का० गीता, का० प्रमोद, का० आशीष, का० नरेश भण्डारी व का० रणवीर शामिल थे।

पढा-लिखा शातिर आरोपी है राजीव
पुलिस टीम को 2500 का पुरुस्कार

देहरादून । आरोपी राजीव ने वर्ष 1994 में एम०काम० किया है तथा वह एकाउन्टेंट के कार्य व टेली साप्टवेयर में दक्ष है जिसके फलस्वरूप अभियुक्त्त द्वारा दो वर्ष तक अपने आधार कार्ड एवं पैन कार्ड का किसी भी एकाउन्ट खुलवाने में प्रयोग नहीं किया गया जिससे वह पकड में नहीं आ सका।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक स्वीटी अग्रवाल द्वारा पुलिस टीम की भूरी-भूरी प्रंशसा करते हुये 2500/रूपये नगद पुरूस्कार की घोषण की गयी व मृतका गीतिका के परिजनों द्वारा गुमशुदाओं के पता लगने की कोई आस न होने पर भी पुलिस टीम द्वारा किये गये सराहनीय कार्य की भूरी भूरी प्रशंसा की गयी।

शक व ग्रह कलह के चलते आरोपी ने किये कत्ल

देहरादून । पूछताछ पर राजीव सिंह द्वारा बताया गया कि उसका वेतन कम था तथा उसकी बीबी के काफी शौक थे। इस कारण उसका व उसकी पत्नी गीतिका का अक्सर झगडा होता था। उसकी पत्नी के मामा की लडकी प्रगति व उसका परिवार ही सगे थे। प्रगति आरोपी की साली थी, तो वह दोनो आपस में हॅसी मजाक कर लेते थे। जिसपर उसकी पत्नी गितिका उस पर बेवजह प्रगति के साथ सम्बन्ध होने के आरोप लगाती थी व शक करती थी। गीतिका अक्सर यह भी कहती थी कि अरू सिर्फ उसका ही लडका है, आरोपी का नहीं है। जिसपर आरोपी को भी शक होने लगा था, क्योंकि विगत दो वर्षों से उसका गितिका के साथ कोई शारीरिक सम्बन्ध नहीं था।

दिसम्बर वर्ष 2014 के दूसरे सप्ताह की बात है उस दिन जब राजीव सिंह बच्चो को स्कूल छोडकर घर आया तो इन दोनो का इसी बात को लेकर फिर झगडा हुआ और झगडा इतना बढा कि राजीव सिंह ने गितिका के सिर पर हाँकी की स्टिक से एक वार कर दिया जिससे वह नीचे गिरी व उसका सिर फर्श के कोने में लगकर फट गया। उसने सोचा कि गितिका मर गयी है। फिर उसने गितिका के शव को एक चद्दर में लपेटकर अपनी मारुति कार की पिछली सीट पर रखकर मसूरी पर ले गया तथा कोल्हूखेत से आगे हनुमान मन्दिर के पास सडक के किनारे खडी कर लोगों से नजरे बचाते हुए शव को गाडी से निकालकर पहाडी से नीचे फेंक दिया। उसके बाद में राजीव घर आ गया तथा कुछ दिन बाद राजीव ने अपनी पुत्री ईशिका उम्र 10 वर्ष एवं अरू उम्र 2 वर्ष को नारसन से आगे मंगलौर में नहर पटरी से नीचे धक्का मारकरं बहा दिया। राजीव ने बच्चों को मारने कारण यह बताया कि इशिका मानसिक रूप से अस्वस्थ रहती थी तथा अरू छोटा था जिस कारण दोनों का पालन पोषण नही कर पा रहा था व दोनो अपने माँ के बिना नही रह पा रहे थे।
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