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सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी को अपनी ही पार्टी की सरकार द्वारा वापस लेने का फैसला ।

देवभूमी मीडिया ब्यूरो- उत्तराखंड की वर्तमान भाजपा सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में अपनी सरकार की ही दायर विशेष अनुमति याचिका एसएलपी  को वापस लेने की अनुमति मांगे जाने के फैसले से प्रदेश के भाजपाई ही नहीं प्रदेश की जनता भी हतप्रभ हैं। उनका कहना है कि यह देश में शायद पहला मामला है जब अपनी ही सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी को अपनी ही पार्टी की सरकार द्वारा वापस लेने का फैसला किया गया।

सूत्रों का कहना है कि इस फैसले से त्रिवेंद्र समर्थकों के साथ ही भाजपाईयों में भी सरकार के काफी गुस्सा है। भाजपाई ही नहीं प्रदेश की जनता भी सरकार के इस फैसले को पूर्व मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ गहरी राजनीतिक साजिश मानती हैं। उनका कहना है कि प्रदेश सरकार का यह फैसला उस व्यक्ति के दबाव में लिया गया है जिसके खिलाफ उत्तराखंड कई आपराधिक मामले दर्ज हैं। ऐसे व्यक्ति के दबाव में आकर राज्य सरकार का यह फैसला पूर्व मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की मजबूत और ईमानदार राजनीतिक छवि और व्यक्तित्व को नुकसान पहुंचाने के लिए लिया गया प्रतीत होता है।

प्रदेश के भाजपा कार्यकर्ता इस बात को लेकर आश्चर्य में है कि सरकार ने यह फैसला उस व्यक्ति को बचाने के लिए लिया है कि जिसके ऊपर उत्तराखंड से लेकर देश के कई राज्यों में संगीन धाराओं में मुकदमे दर्ज हैं। यह व्यक्ति बाहर से उत्तराखंड में आकर यहां की सरकारों को अस्थिर करने की लगातार साजिश करता रहा है।

तो वही प्रदेश के कई अधिकारियों के साथ ही राजनीतिक नेताओं का स्टिंग कर उन्हें ब्लैकमेल कर उत्तराखंड मे्ं राजनीतिक अस्थिरता फैलाने का कार्य कर रहा है। अब यही व्यक्ति एक वर्दीधारी अधिकारी से मिलकर  प्रदेश की सरकार को गुमराह कर उनसे इस तरह के कार्य करवाने के लिए दबाव डाल रहा है।

उत्तराखंड की मूल भावनाओं से खिलवाड़ करने वाले इस व्यक्ति को क्यों प्रदेश सरकार द्वारा प्राश्रय देकर उसके इशारे पर कार्य किया जा रहा है यह समझ से परे है।  उल्लेखनीय है कि सुप्रीम् कोर्ट में दायर इस एसएलपी में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ कथित तौर पर भ्रष्टाचार के एक मामले में सीबीआई जांच के नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी। 

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