1500 ढोलवादक एक साथ ढोल बजाकर हरिद्वार में बनाएंगे विश्व रिकॉर्ड

राज्य के संस्कृति विभाग ने ली पारम्परिक ढोल वादकों की सुध
अभी तक महाराष्ट्र के कोल्हापुर में 1356 ढोल एक साथ बजाने का रिकॉर्ड है दर्ज
नौबत, शबद, धुंयाल, चौरात, सुल्तानी ताल, पंडौ नृत्य, देवी-देवता का होगा आह्वान
देहरादून : देश में अभी तक महाराष्ट्र के कोल्हापुर में 1356 ढोल एक साथ बजाने का रिकॉर्ड दर्ज है, लेकिन इस बार उत्तराखंड में इस रिकॉर्ड को तोड़ने की तैयारी चल रही है, यदि सूबे के संस्कृति विभाग की यह योजना परवान चढ़ी तो एक साथ 1500 ढोल-दमाऊ बजाने का यह प्रदर्शन विश्व रिकॉर्ड में दर्ज हो जायेगा।
राज्य संस्कृति विभाग की निदेशक बीना भट्ट के अनुसार छह से दस अगस्त तक संस्कृति विभाग द्वारा ‘ऊं नमो नाद’ कार्यशाला का आयोजन हरिद्वार के प्रेमनगर आश्रम में किया जा रहा है। अंतिम दिन दस अगस्त को प्रदेश के लगभग 1500 ढोल वादक एक साथ प्रस्तुति देकर रिकार्ड बनाने की कोशिश करेंगे। इस आयोजन के लिए अभी तक एक हजार ढोल वादक पंजीकरण करवा चुके हैं। हर दिन बड़ी संख्या में संस्कृति विभाग में पंजीकरण हो रहे हैं, जो इस शुक्रवार तक चलेंगे।
लोकगायक प्रीतम भरतवाण और ढोलवादक ओंकारदास के नेतृत्व में कार्यशाला की तैयारियां जोरों पर हैं। कार्यशाला में ढोलवादकों को ढोल पर बजाई जाने वाली नौबत, शबद, धुंयाल, चौरात, सुल्तानी ताल, पंडौ नृत्य, देवी-देवता का आह्वान, गढ़वाल-कुमाऊं और जौनसार के वादकों की विशिष्ट शैली के बारे में बताया जाएगा। किसी एक ताल के लिए विशेष प्रशिक्षण देकर बकायदा कोरियोग्राफी भी की जाएगी।
संस्कृति विभाग की निदेशक के अनुसार कार्यशाला के दौरान ढोलवादकों के रहने खाने और आने जाने की व्यवस्था संस्कृति विभाग द्वारा की जा रही है। वहीँ सभी ढोल वादकों के लिए एक जैसी पोशाक भी तैयार की गई है। इस प्रशिक्षण व प्रदर्शन के दौरान लोकवादकों को हर दिन 500 रुपये मानदेय और प्रशस्ति पत्र दिया जाएगा। आयोजन के लिए संस्कृति विभाग ने 30 समन्वयक बनाए हैं। कार्यशाला के बाद लोकवादकों के बीच से ही 15 गुरु चयनित किए जाएंगे। ये गुरु अन्य वादकों को ढोलसागर विद्या की जानकारी देंगे। प्रेमनगर आश्रम के जिस गोवर्द्धन हाल में प्रस्तुति होगी, उसमें 15 हजार दर्शक इस प्रस्तुति को देख सकेंगे। पूरी कार्यशाला का ऑडियो-विडियो दस्तावेजीकरण भी किया जायेगा।
गौरतलब हो कि महाराष्ट्र के कोल्हापुर में 1356 ढोल एक साथ बजाने का रिकार्ड अभी तक गिनीज बुक ऑफ़ वर्ड रिकॉर्ड में दर्ज है। यह रिकार्ड तोड़ने के लिए हमें 1500 ढोल वादक चाहिएं। हम इसके लिए प्रयास कर रहे हैं।
वहीँ जागर व लोकगायक प्रीतम भरतवाण ने बताया कि ढोल वादक ही हमारे असली लोक कलाकार हैं। उनके संरक्षण के लिए ऐसे आयोजन जरूरी हैं। लोक कलाकारों की खोज हो रही है तो पता चल रहा है वे वर्तमान में किस हाल में हैं।