UTTARAKASHI

देखिये कैसे लकड़ी से डंडों से बने स्ट्रेचर पर गर्भवती को लेकर 12 किमी पैदल ही चल पड़े ग्रामीण

आज भी आदम युग में जीने को मजबूर है पहाड़वासी

गर्भस्थ शिशु की हुई मौत, महिला की हालत खतरे से बाहर

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

पुरोला (उत्तरकाशी) : कहने को दुनिया और देशों ने बड़ी उन्नति कर दी है लेकिन सच तो यह है कि आज भी पहाड़वासी आदम युग में जी रहा है या वह जीने को मज़बूर है। वहीं पहाड़ में स्वास्थ्य सेवाओं की असलियत एक बार फिर सामने आई है। उत्तरकाशी जिले के सुदूरवर्ती क्षेत्र में मोरी ब्लाक के गंगाड़ गांव से ग्रामीण डंडों का स्ट्रेचर बना कर गर्भवती को लेकर 12 किलोमीटर पैदल चल सड़क तक पहुंचे ही थे कि अत्यधिक रक्तश्राव के चलते तब तक गर्भस्थ शिशु दम तोड़ चुका था। हालांकि महिला की हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है।

जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से 210 किलोमीटर दूर मोरी ब्लाक के गंगाड़ गांव तक पहुंचने के लिए आज भी सड़क से 12 किलोमीटर की दूरी पैदल मार्ग से पूरी करनी होती है। गुरुवार रात्रि गंगाड गांव में प्यारेलाल की पत्नी प्रियंका को रात प्रसव पीड़ा शुरू तो इतनी रात में 12 किलोमीटर के रास्ते पर पैदल सफर कर तालुका तक पहुंचना ग्रामीणों को सुरक्षित नहीं लगा तो शुक्रवार सुबह लकड़ी के दो डंडों से स्ट्रेचर तैयार किया गया और स्ट्रेचर पर गर्भवती को लिटाकर ग्रामीण पहाड़ी रास्ते से किसी तरह सड़क तक पहुंचे। इस बीच रास्ते से ही प्यारे लाल ने 108 एंबुलेंस सेवा को फोन किया , लेकिन एंबुलेंस नहीं पहुंची। जिसके बाद उन्होंने निजी वाहन बुक किया और पत्नी को लेकर मोरी स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे।

मोरी पीएचसी के प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. फराज खान ने बताया कि आशा कार्यकर्ता ने प्रियंका को गुरुवार को ही अस्पताल आने की सलाह दी, लेकिन परिजन तैयार नहीं हुए। उन्होंने बताया कि अधिक रक्तस्राव के कारण शिशु की गर्भ में ही मौत हो गई। महिला की हालत में सुधार है। जबकि डॉ. खान ने बताया कि क्षेत्र में तैनात एकमात्र एंबुलेंस मरम्मत के लिए देहरादून गई थी।

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