जयललिता की जिंदगी से जुड़ी 10 अनुसनी बातें
प्रस्तुति : वेद विलास उनियाल
नयी दिल्ली : जयललिता पढ़ने में बहुत होशियार थीं। अंग्रेजी और गणित में उसका खासा रुझान था। अय्यर परिवार में जन्मी जयलिलता जब दो साल की थीं, उनके पिता जयराम का साया उनके सिर से उठ गया। उनकी मां उन्हें अपने पिता के घर ले आईं। जयललिता की शुरुआती पढ़ाई चेन्नई के स्टेला मारिस स्कूल और बाद में सरकारी वजीफे से सरकारी स्कूल में हुई । वह स्कूल में सबसे बढ़कर थीं। उनकी कापियां स्कूल में दूसरे बच्चों को दिखाई जाती थीं। पढ़ाई में उनका खासा रुझान था।
1- एमजी रामचंद्रन से काफी करीब थीं जे जयललिता
सीएम जे जयललिता के राजनीतिक जीवन की बात करें उसमें भी काफी उथल-पुथल मची थी। खबरें जो मिली हैं उसके मुताबिक अन्नाद्रमुक के संस्थापक एमजी रामचंद्रन उर्फ एमजीआर से जयललिता काफी करीब थी। अपने जीवन के चार दशक तक जयललिता ने काफी उतार चढ़ाव देखे हैं।
2. फिल्मों में आना पसंद न था
जयललिता को तमिल फिल्मों की सबसे बड़ी स्टार होने का खिताब मिला। एमजीआर के साथ 28 फिल्में कीं, उनकी जोड़ी तमिल फिल्म में यादगार बनी । लेकिन जयललिता को फिल्मों में बहुत मुश्किल से लाया गया। उनकी मां संध्या फिल्मों में ही अभिनय करती थीं। अपनी बेटी को वह फिल्मों में लाना चाहती थीं लेकिन जय ललिता इसके लिए बिल्कुल तैयार नहीं थी। आए दिन घर में झगड़ा होता था। बहस होती थी।
जय ललिता कहती थीं कि वह पढ़ना चाहतीं हैं। नाच गाने में उनकी कोई रुचि नहीं है। लेकिन उन्हें किसी तरह मनाया गया। स्कूल के दिनों में ही उन्होंने अंग्रेजी फिल्म एपिसल में काम किया। उन्होंने कन्नड़ फिल्म से अपने फिल्मी कॅरियर की शुरुआत की। बाद में वह तमिल फिल्मों की स्टार नायिका हो गईं।
जयललिता एक बार फिल्म में आईं तो फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। हॉलीवुड की हॉट एक्ट्रेस एंजलीना जॉली की तरह उन्होंने भी छोटी उम्र में फिल्मों में बिकनी पहनी। वे दक्षिण भारत की पहली ऐसी अभिनेत्री थीं जिन्होंने स्कर्ट पहनकर फिल्मों में भूमिका निभाई थीं। फिर बिकनी भी पहनी।
तमिल फिल्मों में उनकी एमजी रामचंद्रन के साथ 1965 में आई ‘आयीरथिल ओरुवन’ खासी लोकप्रिय हुई। यहां तक कि दो तीन दशक बाद अपने चुनाव के प्रचार में जयललिता ने इसके पोस्टर का उपयोग करना चाहा। इस विख्यात जोड़ी की 28 फिल्मों को दक्षिण भारत में बार-बार देखा गया। इसके गीतों पर लोग थिरकते रहे। करीब सात वर्ष तक यह जोड़ी सिने पर्दे में धूम मचाती रही। कहा जाता है कि दोनों के बीच आपस में बेहतर ट्यूनिंग थी।
जाहिर है वे दक्षिण भारत में उन्हें लेकर तरह-तरह की गासिप भी हुई। जयललिता के पोस्टर घर-घर की दीवार पर लगे। वह युवाओं के बीच बेहद लोकप्रिय हुईं। युवतियों ने उनकी तरह कपड़े पहनने और संवरना शुरू कर दिया।
4 -हर काम को जिद्द के साथ करती थीं
एमजी रामचंद्रन ने जब करुणानिधि का साथ छोड़ा और अन्ना द्रमुक का गठन किया तो जयललिता को भी पार्टी से जोड़ा। रामचंद्रन, जयलिलता की अंग्रेजी से प्रभावित थे। उन्होंने महसूस किया कि अंग्रेजी ज्ञान और ग्लैमर के चलते वह प्रोपोगंडा सेक्रेटरी (प्रचार सचिव) का काम बेहतर ढंग से कर सकती है। लिहाजा उन्हें यह पद दिया गया। हालांकि पार्टी में उन्हें महत्व दिए जाने का विरोध भी हुआ।
लेकिन रामचंद्रन अपने फैसले पर अडिग रहे। 1984 में उन्हें राज्यसभा का टिकट दिया गया। वर्ष 1987 में रामचंद्रन के निधन के बाद उन्होंने खुद को रामचंद्रन की विरासत का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। वे 24 जून 1991 से 12 मई 1996 तक राज्य की पहली निर्वाचित मुख्यमंत्री और राज्य की सबसे कम उम्र की मुख्यमंत्री रहीं। अप्रैल 2011 में जब 11 दलों के गठबंधन ने 14वीं राज्य विधानसभा में बहुमत हासिल किया तो वे तीसरी बार मुख्यमंत्री बनीं। उन्होंने तीसरी बार 16 मई 2011 को मुख्यमंत्री पद की शपथ लीं। जयललिता अपने हर काम को जिद्द से करती थीं। राजनीति में आकर भी वह शीर्ष में रहीं। अपने विरोधियों से किस तरह निपटना है, उसे वह अपने प्रारंभिक दिनों में ही खूब समझ गई थीं।
राजनीति में उनके समर्थक उन्हें अम्मा (मां) और कभी-कभी पुरातची तलाईवी यानी क्रांतिकारी नेता कहकर बुलाते हैं। अन्ना द्रमुक में उऩका एकछत्र राज्य चलता है। मंत्री उनके आगे शीश नवाते हैं। पार्टी मे उनकी मर्जी के बगैर पत्ता भी नहीं खिसकता। तमिलनाडु के नए मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम उसके सबसे विश्वसनीय माने जाते हैं। इससे उनकी अहमियत को समझा जा सकता है। उनका अपना अलग अंदाज रहा है। तमिलनाडु में उनके ऊंचे ऊंचे पोस्टर देखे जा सकते हैं। उनके रुतबे और अहमियत को इसी बात से समझा जा सकता है कि जब परिस्थितियों के चलते उन्हें पनीरसेल्वम को मुख्यमंत्री पद सौंपना पड़ा, तो वह उस कुर्सी पर कभी नहीं बैठे, जिस पर जयललिता बैठती थीं।
6- सामंती अंदाज
जयललिता का सामंती अंदाज रहा है। जब वह फिल्मों में भी थीं, तो पूरे शाही अंदाज में ही रहती थीं। उनके लिए खाना हमेशा घर से आता था। वह अपने समय में सुपर स्टार थी। उनका हर अदा में वह झलकता था। राजनीति में आने के बाद भी उनकी अपनी विशिष्ट शैली बनी रही। आम लोग ही नहीं, बड़े-बड़े उनके पैर छूते रहे। उनका जीने का अंदाज अलग था।
कहा जाता है कि जब उनकी कोठी पर छापा पड़ा था तो दस हजार साड़ियां और 750 जोड़ी जूते अलमारियों में रखे मिले। अपनी दोस्त शशिकला के बेटे की शादी जिस धूमधाम से की उसे लोग आज भी याद करते हैं। पूरे शहर को अलकापुरी की तरह सजा दिया गया था।
7- किसी की परवाह नहीं
जयललिता का खास स्वभाव रहा है कि वह किसी बात की परवाह नहीं करती। हर चीज को अपनी तरह से देखती हैं। आज भी तमिल राजनीति में वह प्रसंग याद किया जाता है जब उनके शासन में करुणानिधि और उनके साथ के राजनेता को घर से ही उठाकर गिरफ्तार कर दिया गया था। दिल्ली में गठबंधन की सरकार चलीं तो जयललिता अपनी हर बात मनवाने के लिए कोई कमी कसर नहीं छोड़ती थी। भाजपा की एक सरकार को उनकी हठ के चलते जाना पड़ा।
जयललिता को लिखने का शौक रहा है। वह अपनी डायरी में हमेशा कुछ न कुछ लिखती रहती हैं। एक तमिल पत्रिका में उन्होंने कभी कॉलम भी लिखना शुरू किया था। इसमें वह अपनी निजी जिंदगी के बारे में लिखती थीं। कहा जाता है कि एमजी रामचंद्रन के कहने पर उन्होंने कॉलम लिखना बंद किया।
9- जयललिता की जिंदगी पर एक फिल्म बनी है, इरुवर। इसमें ऐश्वर्या ने उनकी भूमिका निभाई है। हर बात पर बेहद सजग और चौकन्नी रहने वाली जयललिता ने इस फिल्म पर कभी कोई खास कमेंट नहीं किया। उन्होंने फिल्म में किसी तरह का कोई अवरोध भी नहीं किया।
10 -लोकप्रिय काम
जयललिता को बेशक आय से अधिक संपत्ति के मामले में अपने पद को खोना पड़ा हो। लेकिन तमिलनाडु में उनकी सरकार के जरिए उठाए गए कुछ कदमों को बेहद सराहा जा रहा था। अम्मा कैंटीन, सस्ता सुलभ अऩाज, जैसी योजनाएं लोगों में पसंद की जा रही थीं। जिस तरह करुणानिधि अपने परिवार की अंदरुनी लड़ाई के चलते और अपनी ढलती अवस्था के चलते पार्टी को सही नेतृत्व नहीं दे पा रहे थे, उससे अन्ना द्रमुक और उसके नेता जयललिता कीस्थिति बेहतर मानी जा रही थी। लेकिन अब वहां की परिस्थिति में क्या फर्क आ सकता है, यह देखना होगा। मगर अम्मा ने अपने सबसे विश्वस्त को गद्दी सौंपकर यही जताया है कि भले ही उन्हें पद छोड़ना पड़ा हो, लेकिन डोर उनके ही हाथों में है।