समुद्रतल से 12995 फीट की ऊंचाई पर चमोली जिले में स्थित विश्व धरोहर फूलों की घाटी आज बुधवार से पर्यटकों के लिए खोल दी जाएगी। इसके लिए नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क प्रशासन ने सभी तैयारियां कर ली हैं। घाटी में इस समय 12 से अधिक प्रजाति के फूल खिले हुए हैं।
87.5 वर्ग किमी में फैली घाटी
पार्क के उप प्रभागीय वनाधिकारी नंदबल्लभ शर्मा ने बताया कि 87.5 वर्ग किमी में फैली घाटी में पर्यटक रंग-बिरंगे फूलों के अलावा दुर्लभ प्रजाति के पशु-पक्षी, जड़ी-बूटी व वनस्पति, कल-कल बहती पुष्पावती नदी, झर-झर झरते झरने, टिपरा ग्लेशियर और बर्फाच्छादित चोटियों का दीदार कर सकते हैं।
यहां पर प्राकृतिक रूप से 500 से अधिक प्रजाति के फूल खिलते हैं। फूलों की घाटी जैव विविधिता का खजाना है। इस घाटी को वर्ष 1982 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित करने के बाद यूनेस्को ने 2005 में इसे विश्व प्राकृतिक धरोहर का दर्जा दिया।
ब्रिटिश पर्वतारोही व वनस्पति शास्त्री फ्रैंकस्मित ने की थी खोज
घाटी की खोज वर्ष 1932 में ब्रिटिश पर्वतारोही व वनस्पति शास्त्री फ्रैंकस्मित ने की थी। वर्ष 1937 में फ्रैंकस्मित ने वैली आफ फ्लावर नामक पुस्तक लिखकर अपने अनुभवों को दुनिया के सामने रखा।
ऐसे पहुंच सकते हैं फूलों की घाटी
गोविंदघाट नेशनल हाइवे 58 पर स्थित है, जिससे यहां पहुंचना बेहद आसान है। फूलों की घाटी के लिए कोई सीधी फ्लाइट नहीं है। देहरादून में जौलीग्रांट हवाई अड्डे से गोविंदघाट तक टैक्सी या कैब किराए पर ले सकते हैं। जौलीग्रांट से गोविंदघाट की दूरी 292 किमी है। बस से फूलों की घाटी पहुंचने के लिए आईएसबीटी कश्मीरी गेट दिल्ली से हरिद्वार, ऋषिकेश और श्रीनगर के लिए बसें उपलब्ध रहती हैं।
उत्तराखंड पहुंचने पर ऋषिकेश, पौड़ी, रुद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग, ऊखीमठ, श्रीनगर, चमोली आदि से गोविंदघाट के लिए बसें और टैक्सी आसानी से मिल जाती हैं। फूलों की घाटी का निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है। गोविंदघाट के लिए यहां टैक्सी और बसें उपलब्ध रहती हैं।