वन्यजीव सलाहकार बोर्ड में अधिकारियों ने कराई कांग्रेसियों की घुसपैठ
मुख्यमंत्री और वन मंत्री से भी बड़े हो गये फारेस्ट अफसर ?
देहरादून । वन्यजीव सलाहकार बोर्ड सदस्यता की प्रस्तावित वीआईपी सूची मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और वन मंत्री डाक्टर हरक सिंह रावत की नजर बचाकर मुख्य सचिव एस रामास्वामी की मेज तक पहुंचा दी गई और सत्तारूढ पार्टी भारतीय जनता पार्टी में किसी को इसकी भनक तक नही लगने दी गई । पार्टी के इस बोर्ड की सदस्यता के इच्छुक दो दर्जन से ज्यादा कार्यकर्ताओं – पदाधिकारियों के आवेदन डाक्टर रावत के पास पडे रह गये ।
मुख्य वन्यजीव वार्डन दिग्विजय सिंह खाती ने प्रस्तावित सदस्यों की सूची मुख्य सचिव को छह जुलाई को ही भेज दी थी । इनमें तीन गैर सरकारी संगठनों कार्बेट एक्स वार्डन ब्रिजेंद्र सिंह,बोर्ड के पूर्व सदस्यों एजेटी जोहन सिंह,अनूप शाह, आफबात फेज,एनटीसीए के पूर्व सदस्य सचिव बीएस बोनाल,सेवानिवृत्त वनाधिकारी अनिल कुमार दत्त, ऋषिकेश से पत्रकार अनिल शर्मा, कार्बेट फाउन्डेशन के हरेंद्र बरगोली, नेचर साईंस इनिशियेटिव के रमन कुमार और जोशीमठ के राजेंद्र सिंह रावत शामिल किये गये हैं ।
इन सबको कांग्रेस समर्थक बताते हुए भाजपा आईटी सेल के प्रमुख राजीव तलवार ने इस बारे में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से भेंट कर शिकायत की है कि सूची बनाते हुए भाजपा समर्थकों के आवेदनों पर विचार तक नही किया गया है। स्वयं वन मंत्री डाक्टर हरक सिंह रावत ने इस प्रक्रिया ‘मूर्खता’ बताते हुए पुष्टि की है कि उन्हे अभी तक इसकी भनक तक नही है कि सूची मुख्यमंत्री रावत और उनके ( डाक्टर रावत) बीच बिना चर्चा के ही मुख्य सचिव तक पहुंचा दी जायेगी ।
ज्ञात हो कि वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 197 के अंतर्गत राज्य वन्यजीव सलाहकार बोर्ड नेशनल पार्कों,अभयारण्य, आरक्षित वन्य क्षेत्रों के चयन से लेकर नेशनल पार्कों के अंदर और उनके आसपास प्रकल्पों को अनापत्ति देने, वन्य जीवांं की सुरक्षा व वनों तथा उनके पास रहने वाले वनवासियों के अधिकारों की सुरक्षा को लेकर निर्णायक हैं । सदस्यों को फोरेस्ट रेस्ट हाउसों समेत अनेक सुविधायें भी मिलती ही है । नाराज मंत्री डाक्टर रावत ने अग्रिम कार्यवाही को इस संबंध में बनाई गई फाइल तलब की है। इस बारे में वन बल प्रमुख (एचओएफएफ) आरके महाजन ने चुप्पी साधी हुई है।