टाइगर जिन्दा है के स्क्रिप्ट राइटर हो या बजरंग भाई जान के स्क्रिप्ट राइटर, पता नहीं किसके लिए ये सफ़ेद कबूतर फिल्मों में उड़ाते हैं
बॉलीवुड के खतरनाक सच की जहरीली पिटारी का ढक्कन संजय लीला भंसाली ने खोल दिया
अनिल सती
भारत में तीन इवेंट मैनेजर ब्लैक लिस्टेड कर दिए गए हैं। सी बी आई जाँच की पहल हो रही है l शिवसेना के विधायक राहुल शिवले ने 17 फरवरी 2020 को इस मसले पर भारत सरकार को आगाह किया था। रेहान सिद्दीकी जैसे पाकिस्तानी नागरिक और टॉम आशय जैसे बुरहान वाणी को अपना आइकॉन मानने वाले लोगों से गहरी दोस्ती करने वाले बॉलीवुड के अभिनेताओं को मासूम समझ कर छोड़ा जा सकता है ? इतना व्हाइट और ब्लैक पैसा है कि यह अपराधवुड बनता जा रहा है।
इन पर आरोप लगे हैं कि ये विदेशों में भारत विरोधी अभियानों को चलाते हैं और उस पैसे को ISI को भेजते हैं।। हालत यहाँ तक बिगड़े हैं कि फेडरेशन ऑफ़ वेस्टर्न फिल्म्स के अध्यक्ष अशोक पंडित ने पाकिस्तान के कलाकारों से कोई भी स्टेज शेयर करने से मना किया तो उसका भी विरोध किया गया l लेकिन बॉलीवुड के कई स्टार पाकिस्तान के प्रति जो सहानुभूति दिखती है वो साफ दिखती है l टाइगर जिन्दा है के स्क्रिप्ट राइटर हो या बजरंग भाई जान के स्क्रिप्ट राइटर, पता नहीं किसके लिए ये सफ़ेद कबूतर फिल्मों में उड़ाते रहते हैं। बॉलिवुड के खतरनाक सच की जहरीली पिटारी का ढक्कन संजय लीला भंसाली ने खोल दिया है।जो जानकारियां सूत्रों से आ रहीं हैं उनके अनुसार निम्न तथ्यों को ।ध्यान से पढ़िए …
संजय लीला भंसाली ने पुलिस को दिए अपने बयान में स्पष्ट रूप से बताया है कि अपनी तीन फ़िल्मों “गोलियों की रासलीला”, “बाजीराव मस्तानी” तथा “पद्मावत” के लिए वो सुशांत सिंह राजपूत को लेना चाहता था। सुशांत ने इसके लिए हामी भी भर दी थी। लेकिन आदित्य चोपड़ा के साथ अनुबंध में बंधे होने के कारण वो मेरी तीनों फ़िल्मों में इसलिए काम नहीं कर सका क्योंकि आदित्य चोपड़ा ने उसे इसकी अनुमति नहीं दी। संजय लीला भंसाली ने पुलिस को दिए अपने बयान में बताया है कि आदित्य चोपड़ा के अनुबंध के कारण सुशांत को अपनी फ़िल्मों के लिए साइन नहीं कर पाने के बाद ही उन तीनों फ़िल्मों के लिए मैंने रणवीर सिंह को साइन किया था।
संजय लीला भंसाली के उपरोक्त बयान में प्रथम दृष्टया कुछ भी विवादस्पद संदेहास्पद नहीं लगता। लेकिन इसके आगे के संजय लीला भंसाली के बयान ने जो रहस्योदघाटन किया उसने बॉलिवुड के बहुत खतरनाक सच की खौफनाक पिटारी का ढक्कन खोल दिया है। दुर्भाग्य से उस खतरनाक सच की तरफ अभी तक किसी का ध्यान ही नहीं गया। उस खतरनाक सच की कोई चर्चा ही नहीं कर रहा।
संजय लीला भंसाली के बयान में किया गया वह रहस्योदघाटन यह था कि सुशांत सिंह राजपूत की ही तरह रणवीर सिंह भी आदित्य चोपड़ा के साथ अनुबंध में बंधा हुआ था। लेकिन आदित्य चोपड़ा ने उसे संजय लीला भंसाली की उन तीनों फ़िल्मों में काम करने की अनुमति दे दी थी और इसी छूट के चलते वह दीपिका के संपर्क में में लगातार पर्याप्त रूप से तीन फिल्मों तक आया और स्वाभाविक रूप से आज की एक बहुत बड़ी स्टार ऑटोमेटिकली कुछ हाथों में आ गयी जिन्होंने उसे CAA के समर्थन में JNU में भेज दिया। शायद आगे भी ऐसा ही उपयोग होता रहे।
हो सकता है रणवीर कपूर से दीपिका को अलग कराने में या दीपिका के डिप्रेशन में जाने में भी कुछ हिडन स्टोरी रही हो।सुशांत सिंह राजपूत को लव जिहाद के लिए विवादास्पद रही फ़िल्म केदारनाथ में लाकर क्या उसकी इमेज को खराब करने का प्रयास नहीं हुआ होगा ? वो भी बाबा केदारनाथ के नाम से। जिस कलाकार को भंसाली तीन फिल्मों में लेना चाह रहे थे उससे खतरे की घंटी तो बॉलीवुड में कुछ लोगों के लिए अवश्य बजी होंगी। महेश भट्ट की सेकुलर मुखरता सभी जानते हैं। रणवीर कपूर के दीपिका से अलगाव के बाद इन्ही महेश भट्ट की लड़की आलिया भट्ट की रणवीर कपूर के साथ केमिस्ट्री की से भी कयास ही लगाए जा सकते हैं। इसमें एंगल यह भी है की रणवीर सिंह और आलिया भट्ट द्वारा अभिनीत ठेठ सेकुलर पृष्ठभूमि वाली स्क्रिप्ट पर बनी सतही स्तर की फ़िल्म गली बॉय को ऑस्कर के लिए भेजा गया। इन दोनों द्वारा अभिनीत फ़िल्म “गली बॉय” की घोर सेकुलर स्क्रिप्ट को घटिया परफॉरमेंस के बावजूद ऑस्कर में भी भेजा गया। एक सामान्य बुद्धि का व्यक्ति भी अनुमान लगा सकता है की बॉलीवुड किस तरहअपने हित साधने का खिलौना है कुछ लोगों के लिए। इसी तरह के बहुत से तथ्यों के परिप्रेक्ष्य में यह प्रश्न स्वाभाविक है कि करण जौहर के खास मित्र आदित्य चोपड़ा से यह सवाल कोई क्यों नहीं पूछ रहा है कि लगातार तीन फ़िल्मों के लिए सुशांत को अनुमति नहीं देने तथा रणवीर सिंह को अनुमति देने का कारण क्या था।? यह प्रश्न और भी गंभीर बन जाता है ज़ब आप उपरोक्त सवालों के जवाब में जवाब आप इन तथ्यों में को जानते हैं।
सूत्रों के अनुसार कि रणवीर सिंह का असली नाम रणवीर भवनानी है। उसका परिवार पाकिस्तान के कराची से आकर भारत में बसा है। उसके अनेक रिश्तेदार आज भी कराची में ही रहते हैं और बड़ा व्यवसाय करते हैं। यह भी सर्वज्ञात तथ्य है कि पाकिस्तान के कराची में ही दाऊद इब्राहीम टाइगर मेमन और छोटा शकील समेत दाऊद के कई गुर्गे भी भारतीय एजेंसियों की नजरों में धूल झोंकने के लिए छद्म नामों से एक व्यवसायी के रूप में कराची में ही रहते हैं और कई तरह के व्यवसाय करते हैं। जिनमें से छोटा शकील कराची में बैठकर मोबाइल से बॉलिवुड का काला धंधा सम्भालता है। लेकिन इतने तथ्यों से भी शायद आपको तार जोड़ने में कठिनाई हो रही हो इसलिए अब यह भी जानिए कि सितम्बर 2016 में सेना के कैंप पर उरी में हुए पाकिस्तानी आतंकवादियों के आतंकी हमले में 19 भारतीय सैनिकों की शहादत के ठीक एक साल बाद क्या हुआ। उरी हमलों की बात इसलिए कि इस हमले के बाद भारत पाक संबंध बेहद तनावपूर्ण थे। मुंबई में एक लॉबी देश के जनता की भावनाओं के विपरीत, उन पाकिस्तानी कलाकारों को कला के नाम मुंबई में धन और शोहरत कमाने का अवसर देने के लिए कुतर्कों के साथ ट्विटर अभियान चलाये हुए थे।। जो पाकिस्तानी कलाकार उरी हमलों पर पाकिस्तानी सरकार के स्टेंड के साथ थे। इसी उरी हमले और सर्जिकल स्ट्राइक पर बहस की पृष्ठभूमि में कुछ समय बाद क्या हुआ।
हवाला के जरिये भारत में आतंकी फंडिंग करने के भारतीय खुफिया एजेंसियों के गम्भीर आरोपों से घिरे हुए, लंदन में रहने वाले पाकिस्तानी बिल्डर व्यवसायी अनील मुसर्रत, जिसे पाकिस्तान में इमरान खान की पार्टी पीटीआई के फाइनेंसर के रूप में पहचाना जाता है। उस अनील मुसर्रत की बेटी की सितम्बर 2017 में लन्दन में हुई शादी के जश्न में रणवीर सिंह झूम झूमकर नागिन डांस कर रहे थे। इस पाकिस्तानी गुर्गे अनील मुसर्रत का कैसा और कितना निकटस्थ है रणवीर सिंह का परिवार, इसका खुलासा देश की सर्वोच्च खुफिया एजेंसी रॉ के चीफ रहे एनके सूद ने केवल 6 महीने पहले किया था। उन्होंने बताया था कि पाकिस्तानी गुर्गे अनील मुसर्रत ने ही रणवीर सिंह की बीबी दीपिका पादुकोण को आदेश दिया था कि जेएनयू जाकर CAA कानून का विरोध कर रहे लोगों का समर्थन करो। उसके फोन के बाद दीपिका उनका समर्थन करने जेएनयू गयी थी।
अनील मुसर्रत की बेटी की शादी में करन जौहर मेहमानों का स्वागत कर रहा था तथा हिन्दू होने और हिन्दू मंदिरों पर शर्मिंदा होने की तख्ती अपने गले में टांग कर सोशल मीडिया में घूमने वाली सोनम कपूर के पिताश्री अनिल कपूर कूल्हे मटका कर मेहमानों का मनोरंजन कर रहा था। यहाँ यह भी बता दें अनिल कपूर और सोनम कपूर ने एक साथ “वीरे डी वेडिंग” जैसी बेहद ही फूहड़ फ़िल्म बनायी थी।। इनके इस पतन की स्क्रिप्ट भी अंडरवर्ल्ड ने ही लिखी लगती है। आपको याद दिला दें कि जिन श्रीदेवी जी की रहस्य्मयी मौत अंडरवर्ल्ड की पुरानी शरणस्थली दुबई में हुई l वह अनिल कपूर जी बड़े भाई बोनी कपूर की पत्नी थी। इधर जिस शादी में रणवीर सिंह और अनिल कपूर अपनी कमर मटका रहे थे उस शादी में इमरान खान भी मौजूद थे l
इन्ही तथ्यों के आलोक में यह प्रश्न बार बार उठ रहा है कि आदित्य चोपड़ा ने सुशांत सिंह राजपूत को लगातार तीन फ़िल्मों के लिए अनुमति नहीं देकर उन्हीं फ़िल्मों के लिए भारतीय सैनिकों के पाकिस्तानी हत्यारों के पाकिस्तानी फाईनेंसर की महफिल में खुशी से नाच कूद रहे रणवीर सिंह को वह अनुमति क्यों दी।? और क्यों बार बार इस प्रकरण में सलमान खान जैसे अन्य विवादास्पद अभिनेताओं का नाम सोशल मीडिया पर छाया है। जिन्हे कुछ भ्रम हो वे लोग दशकों पहले ऐसे ही टॉपिक पर फ़िल्म स्टार गोविंदा और शक्ति कपूर की प्रेस गैदरिंग देख सकते हैं जिसमें प्रख्यात फ़िल्म निर्देशक पहलाज निहलानी और गोविंदा के कैरियर को बर्बाद करने के तरीको को सार्वजनिक रूप से गोविंदा और शक्ति कपूर ने स्वयं बताया।
आज लगभग 20 साल बाद ही वही हाल क्यों है? इस लेख के शुरू में दीपिका पादुकोण के JNU जाने का जिक्र हुआ।। यह स्पष्ट अनुमानित था की छपाक फ़िल्म के प्रोमोशन में JNU जाने का फ़िल्म पर नकारात्मक परिणाम पड़ेगाl फिर भी दीपिका JNU गयी।। आखिर क्यों? इस संबंध में तो और भी चौंकाने वाले तथ्य धुंधलीं रौशनी में सामने आ रहे हैं l जिन्हे सुन कर हर कोई हतप्रभ रह जायेगा। आपने कभी नोटिस किया कि दीपिका पादुकोण की प्रधानमंत्री मोदी से कोई फोटो शेयर नहीं की है। ज़ब करन जौहर के साथ सिने कलाकारों का एक दल PM से मिलने गया उसमें भी रणवीर सिंह तो था लेकिन दीपिका नहीं। ऐसे ही दीपिका 2016 में बाजीराव मस्तानी और पीकू के लिए अवार्ड तय माना जा रहा था लेकिन नहीं मिला और न बाद में भी कोई नैशनल अवार्ड मिला। दीपिका को भारत सरकार ने किसी भी अभियान में हिस्सा नहीं बनाया, चुनाव आयोग की वोट डालने की अपील को छोड़कर। वह भी चुनाव आयोग की अपील थी l
ज़ब हैदराबाद में इवांका ट्रम्प के सम्मान में इंटेप्रेन्यूर समिट था तो दीपिका का नाम अंतिम समय में हटाया गया था और ज़ब 2019 में भारत की लक्ष्मी कार्यक्रम प्रधनमंत्री ने लॉन्च किया तो प्रधानमंत्री ने पी वी सिंधु के ट्वीटर पर ही दीपिका का नाम लिख दिया था।।। यानि सीधे शब्दों में कहें तो प्रधानमंत्री कार्यालय ने दीपिका पादुकोण से दूरी बनाये रखी।।। आखिर इसका क्या कारण हो सकता था l सूत्रों के अनुसार इसमें और भी चौकानें वाले तथ्य हो सकते हैं।।एक तथ्य यह सामने आया है कि एक बांग्लादेशी मैगजीन वीकली ब्लिट्ज के अनुसार दीपिका पादुकोण हॉलीवुड अभिनेता टॉम क्रूज के साथ आने वाली फ़िल्म के लिए इन्वेस्टर बनाने के लिए दुबई में दाऊद के सम्पर्क में आयी थी।।इस मुलाक़ात में मोहम्मद एज़ाज़ भी साथ में था l
कहा जाता है कि यह मुलाक़ात भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसिओं को मालूम पड़ने से यह प्रोजेक्ट खटाई में पड़ गया l इस समाचार पत्र ने बाद में इस समाचार को अपनी साइट से हटा दिया l आज 25जुलाई को फिर एक न्यूज़ पोर्टल पर लगने के बाद भी यह समाचार तुरंत हटा दिया गया l भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसियों को मालूम पड़ने की बात से दीपिका भी दबाव में रहने लगी।l यद्यपि भारतीय एजेंसिओं के पास इसका कोई प्रमाण नहीं होने से बात दब गयीl दाऊद के लोग स्वयं यह बात लीक न कर दें इस दर से दीपिका दबाव में रहने लगीl JNU प्रकरण में दाऊद गेंग के दबाव के बाद दीपिका के JNU जाने के कयास लगाए गए यदि ये तथ्य सत्य हैं तो अब इस बात पर आते हैं कि दीपिका को दाऊद से मिलने का आईडिया किसने दिया और मुलाक़ात किसने करवाई l यहाँ घटनाक्रमों का समयक्रम देखें।।।
इसी 2014 से पहले दीपिका “गोलियों की रासलीला रामलीला” फ़िल्म से रणवीर सिंह के निकट सम्पर्क में आनी शुरू हुई और यही समय था ज़ब आदित्य चोपडा के साथ कॉन्ट्रेक्ट में बंधे रणवीर सिंह ने संजय लीला भंसाली के साथ रामलीला, बाजीराव मस्तानी और पद्मावत की और सुशांत सिंह राजपूत वंचित रह गएl अनील मुशर्रत और कराची कनेक्शन चलते कोई अनुमान लगाए कि दीपिका पादुकोण को भी ट्रैप किया गया है तो आश्चर्य क्या है? आखिर वह भी तो में रही कई सालों तक डिप्रेशन में है।l पहले तो दाऊद गैंग का बॉलीवुड पर काला साया था ही l
मन्दाकिनी, मोनिका अरोड़ा, दिव्या भारती, मनमोहन देसाई, भरत शाह, संजय दत्त, गुलशन कुमार जैसे कई प्रकरण ऐसे ही दब गए l रॉ के पूर्व अधिकारी RBN सिंह ने एक टीवी चैनल पर कहा कि अबू सलेम को भारत से बाहर भगाने में बॉलीवुड के बड़े स्टारों के चहेते इवेंट मैनेजर सदत हुसैन का हाथ थाl उन्होंने इस बात पर भी ध्यान खींचा कि गुलशन कुमार की हत्या के बाद पिछले पच्चीस सालों में एक भी भजन बॉलीवुड फिल्मों में नहीं गाया गया है l इससे मालूम पड़ता है कि बॉलीवुड में इतने राष्ट्र विरोध, सेक़ूलेरिज़्म, फूहड़ता और छिछोरेपन के पीछे कौन है?
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