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वर्दी को जो सम्मान मिलता है वह किसी और पेशे में कहां

ऑटो चालक के बेटे ने फौज़ी अधिकारी बनने पर पिता को दिया कामयाबी का श्रेय 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 
देहरादून। शनिवार को भारतीय सैन्य अकादमी की पस्सिआंग आउट परेड में हर साल कुछ न कुछ ख़ास होता है,यहां से सैन्य दीक्षा लेकर देश की सेवा का जूनून लिए कैडिट जब अंतिम पग पार करते हैं तो उनकी जुबां उनके परिवार द्वारा उनके लिए किया गया समर्पण सामने आ ही जाता है।  शनिवार को कोल्‍हापुर के ऑटो चालक का बेटे धवन सार्थक शशिकांत ने हालांकि अपनी मेहनत, लगन और आत्मविश्वास से सेना में शामिल होने का जो अवसर प्राप्त किया है वे उसका श्रेय अपने पिता और अन्य परिजनों को देते हैं।
पासिंग आउट परेड के दौरान एक मुलाकात में महाराष्ट्र के सार्थक ने बताया कि उनके पिता लगभग तीस सालों से हमारे परिवार का भरण-पोषण ऑटो रिक्शा चलाकर कररहे हैं। उन्होंने बताया जब वे अपनी माध्यमिक की पढ़ाई पूरी कर रहे थे और साथ ही एनडीए की प्रवेश परीक्षा की भी तैयारी कर रहे थी इसी दौरान एक कार दुर्घटना में उनकी मां का निधन हो गया।
उन्होंने बताया मां की मृत्यु के बाद परिवार पर दुःखों का पहाड़ टूट पड़ा लेकिन मेरे पिताजी ने हमारी अच्छी परवरिश और पढ़ाई में अपने दुःख को हमारे सामने नहीं आने दिया और न ही उन्होंने हमें उस दुर्घटना के बाद मां की ही कमी का अहसास कभी होने दिया। वे दिन में अपने काम पर निकल कर जहाँ पिता का फर्ज निभाते वहीँ रात को मां का। उन्होंने उसके बाद और भी जिम्मेदारी से मेहनत करते हुए हम बच्चों की खातिर जीवन में बहुत सारे कष्ट उठाए। उन्होंने बताया ऑटो चालक को कोई भी सम्मान भरी अच्छी नज़रों से नहीं देखता था लिहाज़ा उन्होंने हमसे कहा वे कुछ ऐसा करें कि जिससे हर कोई उनके पिता का सम्मान करे, इसी दौरान पढ़ाई करते हुए उन्होंने भारतीय सेना में अधिकारी बनकर पिता के सपनों को पूरा करने की ठानी और पिता को कैसे सम्मान मिले इसलिए उन्होंने सैन्य अधिकारी बनने की राह चुनी।
उन्होंने कहा भारतीय फ़ौज में शामिल होना अपने आप में गर्व की बात है वहीं सैन्य अधिकारी बनने या सेना का किसी भी तरह से अंग बनने में जो सम्मान हमारा समाज देता है वह किसी अन्य नौकरी में नहीं। उन्होंने कहा कि वर्दी को जो सम्मान मिलता है वह किसी और पेशे में नहीं है। यही कारण है कि उन्होंने औरंगाबाद में सर्विसेज प्रिपेटरी स्कूल (एसपीएस) में अध्ययन करते हुए महाराष्ट्र कैडेट कॉर्पस (एमसीसी) में प्रवेश लिया।
उन्होंने बताया इसी इरादे से उन्होंने कड़ी मेहनत की और पहले ही प्रयास में एनडीए की प्रवेश परीक्षा पास कर डाली। हालांकि इस खुशनुमा महल के बीच आज उनके चेहरे पर अपनी माँ के दुर्घटना में खोने का गम साफ़ झलक रहा था और यह गम उनकी जुबान पर भी आ गया और वे बोले यदि आज मां जिंदा होती तो मुझे वर्दी में देखकर कितना खुश होती। उन्होंने बताया उनके पिता अब कहते हैं कि मेरे बेटे ने उनका सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है।

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