Uttarakhand

जब तिमुंडिया ने खाया एक बकरा और 40 किलो चावल!

  • श्री बदरीनाथ धाम की यात्रा को निर्विघ्न संपन्न कराने के लिए होता है आयोजन 
  • कपाट खुलने से पहले मंगलवार या शनिवार को होता है तिमुंडिया मेले का आयोजन
  • लोग तिमुंडिया वीर का करतब देखकर रह गए हतप्रभ 

जोशीमठ : तिमुंडिया वीर के बारे में मान्यता है कि यह तीन सिर वाला वीर था। वह एक सिर से वेदों का अध्ययन, दूसरे सिर से दिशाओं का अवलोकन व तीसरे सिर से मांस का भक्षण करता था। स्थानीय मान्यता के अनुसार जोशीमठ विकासखंड के ह्यूंणा गांव के जंगलों में तिमुंडिया का आतंक था। वह हर दिन लोगों का भक्षण करता था। लोगों में तिमुंडिया की बड़ी दहशत थी। मां नवदुर्गा अपनी देवयात्रा पर थी। यात्रा के दौरान कोई भी मां का स्वागत करने नहीं आए।

तब मां को पता चला कि तिमुंडिया के खौफ से लोग उनके दर्शनों को नहीं आ रहे हैं। यह भी पता चला कि प्रतिदिन तिमुंडिया को नरबलि चाहिए। मां ने लोगों को तिमुंडिया के पास जाने से मना किया तो तिमुंडिया क्रोधित होकर गांव में आ धमका। मां नवदुर्गा व तिमुंडया के बीच भीषण युद्ध हुआ। जब मां नव दुर्गा ने तिमुंडिया के दो सिरों को काट डाला तब ही तिमुंडिया मां के शरणागत हुआ।

मां तिमुंडिया की वीरता से प्रसन्न हुई और उसे अपना वीर बनाकर अपने साथ ले गई। तब मां ने तिमुंडिया को निर्देश दिए कि वह मनुष्यों का भक्षण नहीं करेगा। साल में एक बार उसे बकरे की बलि दी जाएगी। बदरीनाथ के धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल का कहना है कि देवी भागवत कथा में तिमुंडिया वीर का उल्लेख मिलता है।

जोशीमठ के नृसिंह मंदिर परिसर में आयोजित तिमुंडिया मेले में जब देवता के पश्वा ने नृत्य करते हुए बकरा, चावल और गुड़ खाना शुरू किया तो उसे इतना खाना खाते देख श्रद्धालु हैरान रह गए। सब पश्वा के सामने नतमस्तक हो गए और मनौती मांगने लगे। पश्वा के इस चमत्कार के साक्षी स्थानीय के अलावा विदेशी श्रद्धालु भी बने।

उल्लेखनीय है कि श्री बदरीनाथ धाम की यात्रा को निर्विघ्न संपन्न कराने के लिए हर वर्ष बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने से पहले मंगलवार या शनिवार को तिमुंडिया मेले का आयोजन होता है। शनिवार को मेले में तिमुंडिया के पश्वा ने घूम-घूमकर बकरा, चावल, गुड़ खाया और पानी पिया। तिमुंडिया को नवदुर्गा का वीर माना जाता है। देव पुजाई समिति के तत्वावधान में आयोजित इस मेले के साक्षी सैकड़ों स्थानीय श्रद्धालुओं के अलावा विदेशी मेहमान भी बने। कार्यक्रम के तहत नवदुर्गा मां, चंडिका मां, भुवनेश्वरी, तिमुंडिया व दाणी देवता के पश्वा को गाजे-बाजे के साथ नृसिंह मंदिर प्रांगण में लाया गया। नवदुर्गा मां के गर्भगृह से मां की शक्ति को बाहर निकाला गया। सभी देवी-देवताओं ने अपने पश्वा पर अवतरित होकर मां की शक्ति के प्रतीक आवाम को पकड़कर नृत्य किया।

इसी दौरान तिमुंडिया वीर का विकराल रूप देखा गया। तिमुंडिया के वीर ने पूरे प्रांगण में चमत्कारिक, अद्भुत व अविश्वसनीय तरीके से नृत्य करते हुए एक बकरा, 40 किलो चावल, आठ किलो गुड़ और दो घड़े पानी पिया। लोग तिमुंडिया वीर का करतब देखकर हतप्रभ रह गए। श्रद्धालुओं के मनौती मांगने के बाद तिमुंडिया का वीर शांत हुआ और यात्रा की खुशहाली का आशीर्वाद श्रद्धालुओं को दिया।

devbhoomimedia

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