UTTARAKHAND

जब रेडियो कॉलर हाथी तक मर रहे हैं तो सामान्य हाथियों की मौत का कौन होगा जिम्मेदार

उत्तराखंड में वर्ष 2020 में अब तक हो चुकी है 22 हाथियों की मौत

रेल और करंट से मरने वाले हाथियों की संख्या अधिक

देवभूमि मीडिया ब्यूरो

हाथियों की मौतों को लेकर सरकार गंभीर :वन मंत्री , डॉ. रावत 

हाथियों की मौतों को लेकर सरकार गंभीर है और कुछ मामलों की जांच भी बैठायी गई है। इसके अलावा कुछ मामलों में हादसों के कारणों को रोकने के उपाय किए जा रहे हैं। ट्रांसफार्मर और बिजली लाइनों की ऊंचाई बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं।  इसके अलावा रेलवे ट्रैकों के किनारे हाथियों को रोकने के कई उपाय हो रहे हैं और एलिफेंट कॉरिडोर पर ओवरहेड पुलों का निर्माण कार्य तेज़ी से चल रहा है, ताकि हाथियों के आवागमन में कोई बाधा न आए। 
देहरादून : उत्तराखंड में केवल वर्ष 2020 में अब तक लगभग 22 हाथियों की मौत हो चुकी है। जिनमें अभी कुछ ही दिन पहले रेडियो कॉलर लगी एक हाथी की मौत से पर्यावरण प्रेमी चिंतित हैं। उनका कहना है जब रेडियो कॉलर लगे हाथी इस तरह मर सकते हैं तो जंगलों में विचरण कर रहे अन्य सामान्य हाथियों का क्या होगा।  वन्य जीव प्रेमी हाथियों से हो रहे लगातार बढ़ रहे हादसों पर अंकुश लगाने की मांग कर रहे हैं। 
गौरतलब हो कि इस साल अब तक राज्य के विभिन्न वन प्रभागों में 22 हाथियों की मौत हो चुकी है। जिसमें सबसे ज्यादा हरिद्वार डिवीजन में हैं। इसमें ट्रेन से कटकर या करंट से मरने वालों की संख्या सबसे ज्यादा आंकी गई है।  
वहीं पिछले पांच सालों में देखें तो ये संख्या करीब 175 के आसपास है। यानी करीब 35 हाथी हर साल ऐसे ही मारे जाते हैं। पिछले कुछ दिनों में हरिद्वार और आसपास तीन हाथी करंट और रेल हादसे में मारे गए। इस तरह यदि देखा जाय तो राज्य के अस्तित्व में आने से लेकर आज तक लगभग पांच सौ से ज्यादा हाथी कालकलवित हो चुके होंगे। सबसे बड़ा सवाल तो यह है जब रेडियो कॉलर लगे हाथी जब रिहायश की तरफ जा रहे होते हैं तो क्या वन्य जीव विभाग के अधिकारी या कर्मचारी उनकी गतिविधि पर नज़र नहीं रखते ? यदि रखते तो क्यों नहीं ऐसे हाथियों को गांवों की तरफ जाने से रोका क्यों नहीं जाता ?
लेकिन इसके बाद भी वन्य जीव विभाग की ओर से कोई ठोस कदम इन हादसों को रोकने के लिए नहीं किए जा रहे। इसे लेकर तमाम संस्थाएं और पर्यावरण प्रेमी चिंतित हैं। उनका कहना है कि हाथियों की मौतें रोकने के बजाए सरकार ने उनके लिए आरक्षित एलिफेंट रिजर्व ही खत्म करने का जो फैसला लिया है भी गलत है, इससे हाथियों के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा है वे इसका पूरी तरह विरोध करेंगे। जबकि मैड संस्था ने तो एलिफेंट रिजर्व खत्म करने के खिलाफ केंद्र में शिकायत और कानूनी लड़ाई लड़ने की बात तक कही है।उनका कहना है सरकार अपनी सहूलियत के हिसाब से अभी किसी क्षेत्र को एलिफेंट रिजर्व आरक्षित कर देती है तो कभी उसे हटा देती है जो राज्य हिट में नहीं है.

Related Articles

Back to top button
Translate »