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नदियां-गदेरे बचेंगे, तभी हम और धरती भी बची रह पायेगी : डा. जोशी

  • -पर्यावरणविद पद्मश्री जोशी बोले अब समय ‘पारिस्थितिकी’ क्रांति का
  • -डाॅ. ज्योति बनी ‘स्पर्श गंगा’ की ब्रांड अम्बेसडर

देहरादून । मोक्षदायिनी, पतित पावनी माँ गंगा की निर्मलता-अविरलता अक्षुण्ण बनाये रखने को सबसे जुटने का आह्वान करते हुए प्रख्यात पर्यावरणविद, पद्मश्री डाॅ0 अनिल जोशी ने कहा कि जब हमारी नदियां-गदेरे बचेंगे, तभी हम और हमारी धरती भी बची रह पायेगी। उन्होंने इस दिशा में ‘स्पर्श गंगा’ अभियान की सराहना करते हुए कहा कि आज देवभूमि उत्तराखण्ड में इस अभियान के ‘भगीरथों’ के प्रयास से ही यह महा अभियान एक ‘स्वतः स्फूर्त’ जन अभियान बन गया है। उन्होने कहा कि आज देश दुनियाँ में गंगा को लेकर जो भी हो-हल्ला मचा है उसकी नींव रखने का काम इस अभियान के प्रणेता पूर्व मुख्यमंत्री वर्तमान सांसद डाॅ.रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने किया।

पद्मश्री डाॅ. जोशी यहाँ ‘स्पर्श गंगा’ अभियान की गोष्ठी में बोल रहे थे। डाॅ. जोशी ने कहा कि किस तरह दुनिया में पहले औद्योगिक क्रांति की जरूरत पड़ी और फिर उसके बाद ‘हरित क्रांति’ का दौर आया ठीक उसी तरह अब समय पारिस्थितिकी क्रांति का है। इस क्रांति के लिए सभी को आगे आना होगा और पूरे मनोयोग से जुटना होगा। उन्होंने इसके लिए देवभूमि उत्तराखण्ड में ‘स्पर्श गंगा’ के स्वतः स्फूर्त महाअभियान को अनुकरणीय बताया और कहा कि इसके स्वंयसेवी भगीरथों की तरह ही हम सबको जुटना होगा। यह अभियान गंगा समेत उसकी समस्त सहायक नदियों में चलाना होगा। गाँव-गाँव, गदेरो तक जाना होगा, तभी गंगा निर्मल बनी रह सकेगी।

डाॅ. जोशी ने इसके लिए गाँव-गाँव जाकर जनजागरूकता अभियान चलाये जाने पर जोर दिया। उन्होंने भारी अफसोस जताया कि आज हमने अपनी नदियों, गदेरों को कूड़ा गाड़ी बनाकर रख दिया है। इस पर रोक बिना नदियों की निर्मलता की बात बेमानी है। इसके लिए सिर्फ सरकारी प्रयासों से ही काम नहीं चलेगा, लोगों को आगे आना होगा। उनका कहना था कि स्पर्श गंगा अभियान की खूबी ही यही रही है कि यह आज एक जन अभियान बन गया है। इसके लिए उन्होंने प्रदेश के लाखों-लाख स्वयंसेवकों के अभिनंदनीय व अनुकरणीय सेवा के लिए आभार भी जताया साथ ही इसका पूरा श्रेय पूर्व मुख्यमंत्री वर्तमान सांसद डाॅ0 निशंक को दिया और कहा कि आज गंगा को लेकर जो भी चिंताये व चर्चायें हो रही हैं उसकी वास्तव में नीव रखने का पुख्ता काम डाॅ. निशंक ने ही किया। इसके लिए उन्होंने आम जन से लेकर सभी राजनेताओं से इस महायज्ञ में अपनी ओर से यथासम्भव आहुति का आह्वान किया।

डाॅ. जोशी ने कहा कि यह हमारी नादानी और नकारेपन का ही नतीजा है कि आज देश की 275 से ऊपर नदियां तेजी से अपना अस्तित्व खोने जा रही हैं। जल, जंगल, जमीन और पर्यावरण धीरे-धीरे हमसे कटते जा रहे हैं हम अभी भी नहीं चेते तो फिर हमें कोई नहीं बचा सकता।

इस दौरान डाॅ. जोशी ने जानी-मानी चिकित्सक डाॅ. ज्योति द्विवेदी को स्पर्श गंगा महाअभियान का ब्रांड अंबेसडर भी घोषित किया। इस सम्मान के लिए आभार जताते हुए डाॅ. ज्योति ने पूरे मनोयोग से इस अभियान को जन-जन से जोड़ने को पूरी ताकत लगाने का वादा किया। इस अवसर पर पर्यावरण प्रेमी कल्याण सिंह रावत ‘मैती’ ने गंगा के साथ-साथ उन गाड-गदेरों की भी सुध लिए जाने पर जोर दिया जिन्हें हमारे गांव-कस्बों ने कचरा निपटाने का उपक्रम बनाकर रख दिया।

गोष्ठी में सी.एम.आई. के निदेशक वरिष्ठ चिकित्सक डाॅ.आर.के.जैन ने निर्मल गंगा के इस पुनीत अभियान में सबसे जुड़ने की अपील की। इस दौरान ‘स्पर्श गंगा अभियान’ की टी शर्ट का अनावरण डाॅ. जोशी द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन डाॅ.सर्वेश उनियाल व नीरज रावत ने किया। गोष्ठी में उत्तराखण्ड भर से आए पर्यावरण प्रेमी व अन्य संगठनों समेत आम लोगों ने भी शिरकत की।

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