केदारनाथ-बदरीनाथ में भारी बर्फबारी के बाद सैकड़ों श्रद्धालु जहाँ -तहाँ फंसे

- पुलिस की टीमें पांच-पांच का ग्रुप बना कर रही यात्रियों की मदद
- बीते दिन केदारनाथ में हुई थी दो श्रद्धालुओं की मौत
- बर्फीले तूफान की चपेट में आकर एक की मौत और एक लापता
देहरादून : यह पहली बार ही हुआ है जब कपाट खुलने के 10 दिन बाद ही यात्रा को मौसम के कारण रोकना पड़ा हो। इस बार मई के महीने में उत्तराखंड के चारों धाम बर्फ से ढक गए हैं। केदारनाथ में भारी बर्फबारी हुई है। बदरीनाथ में भी लगातार तीसरे दिन बर्फ गिरी है। केदारनाथ से बताया जा रहा है कि केदारनाथ में तीन इंच से अधिक बर्फ गिरी है। वहीँ पिथौरागढ़ में उच्च हिमालयी क्षेत्र बर्फीले तूफान की चपेट में आने से एक ग्रामीण की मौत हो गई और उत्तरकाशी के गंगोत्री में बर्फीले तूफान की चपेट में आकर पोर्टर लापता हो गया। उच्च हिमालयी क्षेत्र में पिछले तीन दिन से लगातार हो रही बर्फबारी के चलते गुंजी से लिपूपास तक (27 किमी.) कैलाश मानसरोवर मार्ग बर्फ से पट गया है। इससे जवानों को पेट्रोलिंग में दिक्कत हो रही है।
बर्फबारी के कारण बीते दिन केदारनाथ गए पूर्व सीएम हरीश रावत भी यहां फंस गए थे। उनके साथ केदारनाथ विधयाक मनोज रावत और राज्य सभा सांसद प्रदीप टम्टा भी मौजूद थे। बीती शाम को मौसम साफ होने के बाद हेलीकॉप्टर ने उड़ान भरी और पूर्व सीएम हरीश रावत साथियों के साथ गुप्तकाशी पहुंचाये गए । उधर, पुलिस की टीमें पांच-पांच का ग्रुप बनाकर कर यात्रियों की मदद कर रही है।
केदारनाथ में रात 2 बजे से हो रही लगातार बर्फबारी और रास्तों में बारिश से मंगलवार को केदारनाथ से 4272 यात्रियों को 12 बजे तक वापस भेज दिया गया। जबकि राज्य मौसम विभाग की चेतावनी और बारिश एवं बर्फबारी के चलते प्रशासन ने तीर्थयात्रियों को सुरक्षा की दृष्टि से पड़ावों पर रोका। वहीं केदारनाथ में सोमवार शाम और मंगलवार को दो श्रद्धालुओं की मौत की सूचना है। वहीं बदरीनाथ और केदारनाथ की यात्रा रोकी गयी है। केदारनाथ पैदल मार्ग के पड़ावों पर ही यात्रियों को रोका जा रहा है। प्रशासन ने केदारनाथ जाने वाले यात्रियो को सोनप्रयाग और गौरीकुंड में रोक दिया है। पुलिस अनाउंस कर यात्रियों को मौसम के बारे में अलर्ट कर रही है। श्रद्धालुओं को कमरों से बाहर न आने की सलाह दी जा रही है। पुलिस ने मंदिर परिसर से यात्रियों को हटाया है। उधर, बदरीनाथ में भी लगातार तीसरे दिन बर्फबारी हुई है। बर्फबारी के चलते कड़ाके की ठंड पड़ रही है। पुलिस और एसडीआरएफ की टीमें यात्रियों की सहायता में जुटी है। बुजुर्ग और असहाय यात्रियों को सेल्टर एवं धर्मशालाओं में ठहराया जा रहा है। सुरक्षा कारणों से बदरीनाथ यात्रियों को पांडुकेश्वर, बद्रीनाथ, जोशीमठ में रोका गया।
वहीँ उत्तरकाशी जिले में ओजरी डाबरकोट में यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग बंद हो गया था। इसपर यातायात सुचारू कर दिया गया है। टिहरी जिले में रात से बारिश का सिलसिला जारी है। बारिश के कारण तापमान गिरने से ठंड लौट आई है। मई के महीने में ठंड से लोगों का बुरा हाल है। बता दें कि कल भी केदारनाथ धाम में बर्फबारी हुई थी। चारधाम सहित गढ़वाल मंडल के साथ ही कुमाऊं के कई इलाकों में रुक-रुक कर बारिश हो रही है। हेमकुंड में भी बर्फबारी के चलते यात्रा की तैयारियों के कार्य ठप पड़े हैं। आंधी के चलते देहरादून में कई स्थानों पर पेड़ उखड़ गए।
उत्तरकाशी में गंगोत्री से केदार ताल की ट्रैकिंग पर गया एक 41 सदस्यीय पर्यटक दल भारी बर्फबारी के कारण भुज खर्क के पास फंस गया। मंगलवार को वापसी के वक्त इस दल में शामिल एक पोर्टर के एवलांच की चपेट में आने से दबने की सूचना है। दल में शामिल अन्य लोग सुरक्षित बताए जा रहे हैं। सूचना मिलते ही वन विभाग, एसडीआरएफ और प्रशासन की खोज एवं बचाव टीम मौके के लिए रवाना हो गई है।
गंगोत्री नेशनल पार्क के रेंजर प्रताप पंवार ने बताया कि रविवार को इंडिया हाइक्स का एक 25 सदस्यीय पर्यटक दल गंगोत्री से केदार ताल की ट्रैकिंग पर निकला था। इनके साथ 12 पोर्टर, चार गाइड और कुक भी हैं। इस दल ने गंगोत्री से आठ किमी आगे भुज खर्क में कैंप किया था। सोमवार से क्षेत्र में भारी बर्फबारी के कारण यह दल आगे नहीं बढ़ पाया। मंगलवार को लौटते समय रास्ते में एवलांच आने पर दल में शामिल पोर्टर नेपाल निवासी आकाश (32) बर्फ के नीचे दब गया।
मदद के लिए गंगोत्री से पहुंचे दल में शामिल पोटर्स ने इसकी सूचना प्रशासन को दी। यात्रा मजिस्ट्रेट चक्रधर सेमवाल ने बताया कि पर्यटकों के फंसे होने की सूचना मिलते ही वन विभाग एवं एसडीआरएफ की टीम खोज और बचाव कार्य के लिए घटनास्थल की ओर रवाना कर दी गई है। दल में शामिल छह पर्यटकों के लौटने पर आठ और पोर्टर मौके के लिए रवाना हुए हैं। गंगोत्री लौटे पोटर्स के अनुसार, दल में शामिल शेष सभी लोग सुरक्षित हैं। इन्हें जल्द ही सुरक्षित गंगोत्री लाया जाएगा।
गौरतलब हो कि समुद्र सतह से 4750 मीटर ऊंचाई पर स्थित केदार ताल थलय सागर आदि हिमशिखरों का बेस है। गंगोत्री से केदारताल पहुंचने के लिए 17 किमी की दुर्गम दूरी तय करनी पड़ती है। केदारताल तक पहुंचने के लिए रास्ते में भुज खर्क और केदार खर्क में कैंप करना पड़ता है। हर साल बड़ी संख्या में पर्यटक केदार ताल की ट्रैकिंग पर पहुंचते हैं। बीते एक पखवाड़े में ही 47 पर्यटक केदार ताल की यात्रा कर चुके हैं।
वहीँ कुमायूं मंडल के पिथौड़ागढ़ जिले में तहसील बंगापानी के माइग्रेशन गांव गोल्फा निवासी आनंद सिंह (40) पुत्र चंदन सिंह 2 मई को पत्नी जमंती देवी और अन्य ग्रामीणों के साथ उच्च हिमालयी क्षेत्र की वन पंचायत जिब्बा में कीड़ा जड़ी दोहन के लिए गया था। 6 मई (रविवार) की शाम जिब्बा ग्लेशियर में बर्फीला तूफान आ गया। इसकी चपेट में आकर आनंद की तबीयत बिगड़ गई। ग्रामीण उसे जिब्बा वन पंचायत लेकर पहुंचे। मौसम खराब होने की वजह से उन्हें रात भर जिब्बा में ही रुकना पड़ा। सोमवार सुबह ग्रामीण लकड़ी के स्ट्रेचर में उसे लेकर गोल्फा रवाना हुए, लेकिन उन्हें गोल्फा पहुंचते-पहुंचते शाम हो गई। इस बीच आनंद की तबीयत और बिगड़ गई। मंगलवार सुबह ग्रामीण उसे लेकर बगीचा बगड़ मार्ग पहुंचे और जिला अस्पताल ले जा रहे थे कि उसकी रास्ते में ही मौत हो गई।