नेताजी पर अब ईवीएम पर सवाल किसलिए ?
देहरादून। चुनाव प्रक्रिया के दौरान आरोप प्रत्यारोप तो सामान्य बात है, लेकिन इस बार उत्तराखंड में भी कई जगह प्रत्याशी अपनी हार के लिए इलेक्टोनिक वोटिंग मशीन की कार्यप्रणाली पर संदेह जता रहे हैं। जबकि निर्वाचन आयोग ने मतदान से पहले प्रत्याशियों तीन बार ईवीएम की जांच का मौका दिया। मतदान से मतगणना के बीच स्ट्रांग रूम के बाहर निगरानी रखने को भी बुलाया, लेकिन इस दौरान ज्यादातर प्रत्याशी बेखबर बने रहे।
आयोग की तय प्रक्रिया के मुताबिक पहले ईवीएम की फर्स्ट लेबल चैकिंग होती है। इसमें ईवीएम में तकनीकी कमियों को जांचा जाता है। इस दौरान उपलब्ध ईवीएम में से दस प्रतिशत का औचक चयन कर इनमें एक- एक हजार डमी वोट डाले जाते हैं। इसमें भी प्रत्येक बटन के जरिए वोट दिया जाना जरूरी है। देहरादून जिले में यह काम नवंबर में किया गया, इसके लिए जिला निर्वाचन कार्यालय ने सभी दलों को पत्र भेजकर प्रक्रिया में शामिल होने के बुलाया। लेकिन वाम दलों को छोडक़र किसी का भी प्रतिनिधि इस प्रक्रिया में शामिल नहीं हुआ।
इसके बाद चुनाव प्रक्रिया शुरू होने पर विधानसभा के रिटर्निंग अधिकारियों के द्वारा ईवीएम में प्रत्याशी का नाम और चुनाव चिन्ह फिट करते समय भी प्रत्याशियों को बुलाया गया। इस दौरान भी कुल ईवीएम के पांच प्रतिशत में एक हजार डमी वोट डाल ईवीएम की जांच की गई। तीसरी और अंतिम जांच वोट से ठीक पहले मॉक पोल के दौरान की गई। इसमें चुनाव एजेंट की उपस्थिति में यह देखा गया कि दबाए गए बटन के अनुसार वोट पड़ रहा है या नहीं। चूंकि मॉक पोल में रिजल्ट भी साथ साथ दिख जाता है, इसलिए गड़बड़ी होती तो तत्काल पकड़ में आ जाती। लेकिन देहरादून में 2111 ईवीएम में कहीं भी इस तरह की शिकायत नहीं आई।
मतदान से मतगणना के बीच ईवीएम की निगरानी के लिए भी निर्वाचन आयोग ने फिर सभी दलों को बुलाया। दलों और प्रत्याशियों को ऑफर दिया गया कि वो चाहें तो स्ट्रांग रूम के बाहर कंट्रोलरूम में 24 घंटे अपनी निगरानी बैठा सकते हैं। दून में ऐसा तो किसी दल ने नहीं किया, अलबत्ता कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय समेत कुछ प्रत्याशियों ने स्ट्रांग रूम का जायजा लेकर वहां के इंतजाम की तारीफ की।
इस बार आयोग नेपहली बार चुनिंदा सीट पर चुनाव में पेपर ट्रेल मशीन वीवीपैट का भी इस्तेमाल किया। इसमें वोटिंग मशीन पर वोट दबाने के साथ ही मतदाता को वीवीपैट मशीन पर निकली पर्ची में यह देखने का भी मौका मिला कि उनका वोट दबाए गए बटन के अनुसार गया की नहीं। देहरादून में धर्मपुर विधानसभा में यह प्रयोग किया गया, लेकिन कहीं भी मतदाताओं ने तब संदेह नहीं किया।
उत्तराखंड में इस्तेमाल की गई ईवीएम बिहार से आई थी। जहां चुनाव में जनता दल यूनाईटेड और राष्ट्रीय जनता दल को भारी बहुतम मत के साथ जीत मिली। अब इन्ही ईवीएम से उत्तराखंड में एक दम उलट भाजपा के पक्ष में परिणाम आया है। जाहिर है ईवीएम में गड़बड़ी या छेड़छाड़ बस नेताओं की बहानेबाजी भर है।