UTTARAKHAND

मुख्यमंत्री को ही जिले में जब हालात संभालने के लिए आगे आना पड़े तो अफसर क्या कर रहे हैं ?

पुलिस और प्रशासन के निगरानी और सूचना तंत्र में भारी समन्वय की कमी

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

देहरादून। हल्द्वानी के वनभूलपुरा में हालात इस कद्र हो गए कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को वहां कर्फ्यू लगाने के आदेश देने पड़े। सवाल यह उठता है कि कोरोना संक्रमण की आपात स्थिति में वनभूलपुरा में हालात इतने खराब कैसे हो गए, क्या पुलिस और प्रशासन के निगरानी और सूचना तंत्र में कोई कमी रह गई थी। जब हालात संभालने के लिए मुख्यमंत्री को ही आगे आना हो, तो कुमाऊं मंडल से लेकर देहरादून शासन में बैठे अफसर क्या कर रहे थे।

तबलीगी जमात से कोरोना संक्रमण फैलने के मामले में नैनीताल जिला संवेदनशील माना जाता रहा है। देहरादून के 18 मामलों के बाद दूसरा नंबर नैनीताल जिला का आता है। इस जिला में आठ व्यक्ति कोरोना से संक्रमित हैं। अपनी हर खबर को सोशल मीडिया और मीडिया में फैलाने वाले नैनीताल जिले के डीएम सविन बंसल के प्रशासन का सूचना तंत्र बनभूलपुरा के मामले में विफल साबित हुआ।

क्या प्रशासन और पुलिस के अधिकारियों को इस बात की कोई सूचना नहीं थी कि इस क्षेत्र में किसी व्यक्ति को आइसोलेशन में ले जाने की प्रशासनिक कार्यवाही के दौरान भीड़ सड़क पर उतर सकती है। यदि प्रशासन और पुलिस के अधिकारियों को इस बात की जानकारी नहीं है तो आपात स्थिति में उनकी मॉनिटरिंग और सूचनाओं का अंदाजा लगाया जा सकता है।

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रविवार को हुए बवाल के बाद शासन और प्रशासन के अधिकारी यह फैसला तक नहीं ले पाए कि जो इलाका कोरोना संक्रमण के मामले में संवेदनशील है, वहां बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ लग जाने तथा सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का तार-तार हो जाने पर, क्या कार्रवाई की जाए। आखिरकार मुख्यमंत्री को ही कर्फ्यू लगाने के आदेश मुख्य सचिव और गृह सचिव को करने पड़े।

इस घटना से  साफ तौर पर कहा जा सकता है कि यहां प्रशासन ने कोरोना संक्रमण जैसी आपात स्थिति से निपटने के लिए जमीनी स्तर पर होमवर्क नहीं किया था। प्रशासन और पुलिस का समन्वय इस इलाके में कमजोर साबित हुआ। वहीं सोशल मीडिया पर लगातार नैनीताल जिला प्रशासन के सिस्टम पर सवाल उठाए जा रहे हैं।

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