कोरोना संक्रमण के चलते प्रशासन की ओर से चार-चार लोगों को ही मंदिर में मौजूद रहने की अनुमति
यमुना घाटी के खरसाली में खुले शनि देव मंदिर के कपाट
द्वितीय केदार मध्यमेश्वर और तृतीय केदार तुंगनाथ धाम के कपाट खोलने की तिथि हुई तय
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून : कोरोना की दहशत के बीच उत्तराखंड की चार धाम यात्रा की तैयारियां भी शुरू हो गयी है। बैशाखी पर्व पर जहां देशभर में कोरोना के चलते श्रद्धालु घरों से बाहर नहीं निकले वहीं केदारनाथ यात्रा के मुख्य पड़ाव स्थल गौरीकुंड में गौरा माई मंदिर के कपाट बैशाखी पर्व पर सोमवार को मंदिर के कपाट खोले दिए गए। इस दौरान कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए कपाट खुलने के इस मौके पर पुजारी समेत केवल पांच लोग मौजूद रहे। जबकि उखीमठ के प्राचीन ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ और मक्कूमठ स्थित मार्कंडेय मंदिर में भगवान शिव के द्वितीय केदार मध्यमेश्वर और तृतीय केदार तुंगनाथ धाम के कपाट खोलने की तिथियों की घोषणा हुई। मध्य हिमालय के सुरम्य शृंखलाओं के मध्य स्थित मध्यमेश्वर धाम को आगामी 11 मई को और तुंगनाथ धाम के कपाट आगामी 20 मई को खोले जाएंगे। वहीं बैसाखी पर्व पर ही मुहूर्त के अनुसार मां यमुना के शीतकालीन प्रवास स्थल खरसाली गांव स्थित यमुना के भाई शनि महाराज के मंदिर के कपाट परंपरागत विधि विधान के साथ श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोले गए। वहीं कोरोना संक्रमण के चलते तिथि निकालने के मौके पर प्रशासन की ओर से चार-चार लोगों को ही मंदिर में मौजूद रहने की अनुमति दी गई है।
बैसाखी पर्व पर परम्परागत रूप से भगवान आशुतोष के पंचगद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में द्वितीय केदार मध्यमेश्वर और मक्कूमठ स्थित मार्कंडेय मंदिर में तृतीय केदार तुंगनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथियां निकाली गईं। मिली जानकारी के अनुसार भगवान मध्यमेश्वर की डोली सात मई को गर्भगृह से बाहर आएगी और आठ मई को स्थानीय लोगों की ओर से भगवान को नवान्न का भोग लगाया जाएगा। जबकि नौ मई को डोली ओंकारेश्वर मंदिर से प्रस्थान कर राकेश्वरी मंदिर रांसी, दस मई को गौंडार और 11 मई को सुबह मध्यमेश्वर धाम पहुंचेगी। इसी दिन सिंह लग्न में भगवान मध्यमहेश्वर मंदिर के कपाट खोले जाएंगे।
वहीं भगवान तुंगनाथ की डोली 18 मई को मार्कंडेय मंदिर के गर्भगृह से बाहर लाई जाएगी। यहां स्थानीय लोगों की ओर से भगवान को नए अनाज का भोग लगाने के बाद इसी दिन डोली भूतनाथ मंदिर के लिए प्रस्थान करेगी। 19 को डोली चोपता और 20 मई को सुबह तुंगनाथ धाम पहुंचेगी। इसी दिन कर्क लग्न में दोपहर 11.30 बजे मंदिर के भगवान तुंगनाथ के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे। वहीं कोरोना संक्रमण के चलते तिथि निकालने के मौके पर प्रशासन की ओर से चार-चार लोगों को ही मंदिर में मौजूद रहने की अनुमति दी गई है।
इधर यमुना घाटी में समेश्वर देवता यानि शनिदेव मंदिर के कपाट भी बैसाखी पर्व पर खोल दिए गए। इससे पहले परम्परागत विधि विधान से मां यमुना के शीतकालीन प्रवास स्थल खरसाली गांव स्थित यमुना के भाई शनि महाराज के मंदिर के कपाट परंपरागत विधि विधान के साथ श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोले गए। इस दौरान शनिदेव की डोली ने मंदिर परिसर में आकर खुशहाली-समृद्धि का आशीर्वाद दिया।
उल्लेखनीय है कि खरसाली गांव में मां यमुना के भाई शनि महाराज का प्राचीन पांच मंजिला मंदिर है। क्षेत्र के स्थानीय ग्रामीण शनि महाराज को समेश्वर देवता के नाम से पुकारते हैं। मंदिर के कपाट हर वर्ष शीतकाल में अन्य हिमालयी मंदिरों की तरह बंद कर दिए जाते हैं, जिनके खुलने का सिलसिला बैसाखी के पावन पर्व के बाद शुरू हो जाता है।