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उत्तराखंड सरकार के बड़े फैसले : बायोमेट्रिक हाजिरी से तय होगी सैलरी

उत्तराखंड सरकार के बड़े फैसले : बायोमेट्रिक हाजिरी से तय होगी सैलरी

देहरादून : उत्तराखंड के सरकारी कर्मचारियों को अब अपनी उपस्थिति को लेकर सतर्क रहना होगा। उनकी सैलरी अब सीधे बायोमेट्रिक हाजिरी से जुड़ने जा रही है। मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने सचिवालय में हुई सचिव समिति की बैठक में स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि प्रदेशभर में आधार आधारित बायोमेट्रिक उपस्थिति शुरू की जाए।

सबसे अहम बात यह है कि इस उपस्थिति को आईएफएमएस (सैलरी सिस्टम) से लिंक किया जाएगा, यानी हाजिरी नहीं तो वेतन में दिक्कत आ सकती है। आईटीडीए को इसके लिए जल्द मैकेनिज्म तैयार करने को कहा गया है।

स्कूलों में 8 मार्च 2026 तक की समय सीमा

बेटियों की सुरक्षा और सेहत को ध्यान में रखते हुए सरकार ने सख्त रुख अपनाया है। प्रदेश के सभी सरकारी प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों को 8 मार्च 2026 तक गर्ल्स टॉयलेट से ‘सैचुरेट’ (पूर्णतः सुसज्जित) करना होगा। मुख्य सचिव ने चिंता जताई कि कई स्कूलों में शौचालय तो हैं, लेकिन सफाई न होने के कारण वे बेकार पड़े हैं।

शिक्षा विभाग को निर्देश दिया गया है कि वे सिर्फ टॉयलेट न बनाएं, बल्कि उनकी नियमित सफाई का भी पूरा ‘वर्क प्लान’ तैयार करें। इसके साथ ही, बच्चों को अपने राज्य की संस्कृति समझने के लिए 2 से 3 दिन के टूरिस्ट प्लेस भ्रमण पर भी भेजा जाएगा।

आंगनवाड़ी केंद्रों को गोद लेंगे कॉलेज

आंगनवाड़ी केंद्रों की दशा सुधारने के लिए एक नया मॉडल अपनाया जाएगा। वित्तीय वर्ष 2026-27 का पूरा सीएसआर (कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) फंड अब आंगनवाड़ी केंद्रों पर खर्च होगा। मुख्य सचिव ने विश्वविद्यालयों और कॉलेजों से अपील की है कि वे अपने आसपास के आंगनवाड़ी केंद्रों को गोद लें।
भविष्य में नए आंगनवाड़ी केंद्र स्कूलों के नजदीक ही खोले जाएंगे। इससे छोटे बच्चों के लिए स्कूल और आंगनवाड़ी के बीच का फासला कम होगा और वे आसानी से शिक्षा की मुख्य धारा से जुड़ सकेंगे।

2036 ओलिम्पिक के लिए अभी से तलाश

खेल विभाग को भविष्य की बड़ी तैयारी करने के निर्देश मिले हैं। लक्ष्य है- 2036 ओलिम्पिक गेम्स। उत्तराखंड के खिलाड़ी भी इन खेलों में मेडल ला सकें, इसके लिए अभी से 10 से कम उम्र के बच्चों पर फोकस किया जाएगा।

पूरे प्रदेश से प्रतियोगिताओं के जरिए 1000 से 1500 ऐसे बच्चे छांटे जाएंगे, जिन्हें अगले 10 साल तक विशेष ट्रेनिंग मिलेगी।

हर जिले की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए ‘वन डिस्ट्रिक्ट वन स्पोर्ट’ योजना लागू की जाएगी ताकि स्थानीय प्रतिभाओं को सही मंच मिल सके।
ई-ऑफिस और पर्यटन को रफ्तार

प्रशासनिक कार्यों में तेजी लाने के लिए सभी विभागों और जिला कार्यालयों में 100 प्रतिशत ई-ऑफिस व्यवस्था लागू होगी। गृह विभाग की तर्ज पर अन्य विभागों को भी इसे अपनाना होगा। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ‘वन स्टेट वन ग्लोबल डेस्टिनेशन’ के तहत प्रदेश के 5 से 7 खास स्थल विकसित किए जाएंगे। इसके अलावा, हर जिले को अपने स्थानीय त्योहारों को प्रमोट करने के लिए ‘वन डिस्ट्रिक्ट वन फेस्टिवल’ चिह्नित करने को कहा गया है।

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