UTTARAKHAND

चर्चाओं और विवादों में रहने वाले मुख्यमंत्री के करीबी नहीं हो सकते

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के एक्शन ने साफ कर दिया, यहां कोई नहीं है चहेता 

सरकार ने अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश का भार कम कर दिया सन्देश 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो

देहरादून। अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के सबसे चहेते अफसरों में माना जा रहा था, लेकिन गुरुवार को त्रिवेंद्र के एक्शन ने साफ कर दिया, यहां कोई चहेता नहीं है। चर्चाओं और विवादों में रहने वाले उनके कतई भी करीबी नहीं हो सकते।
यूपी के विधायक अमनमणि त्रिपाठी और उनके साथियों को लॉकडाउन में उत्तराखंड का सैर सपाटा कराने में मदद करने वाले अपर मुख्य सचिव से लोक निर्माण विभाग जैसा महत्वपूर्ण पद वापस लेकर उनका भार कम कर दिया। वहीं विधाय़क त्रिपाठी को पास जारी करने वाले देहरादून के अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) रामजी शरण को रुद्रप्रयाग स्थानान्तरित कर दिया।
उत्तराखंड में गुरुवार को आईएएस और पीसीएस अधिकारियों के स्थानांतरण किए गए। कुछ अधिकारियों के लिए ये तबादले उनके लिए तथा अन्य अधिकारियों के लिए किसी सबक से कम नहीं है। अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश से लोक निर्माण विभाग तथा अध्यक्ष ब्रिज, रोपवेज, टनल एवं अदर इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कारपोरेशन ऑफ उत्तराखंड लिमिटेड (ब्रिडकुल) की जिम्मेदारी वापस ले ली गई है। इसके एवज में उनको कोई अन्य जिम्मेदारी नहीं दी गई। हालांकि उनके पास अभी भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां हैं।
यूपी के विधायक त्रिपाठी और उनके साथियों को लॉकडाउन में उत्तराखंड की सैर की अनुमति देने के लिए अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने ही देहरादून जिला प्रशासन को पत्र लिखा था। यहीं नहीं इस पत्र को उन्होंने रुद्रप्रयाग, चमोली और पौड़ी गढ़वाल के जिलाधिकारियों को भी सूचनार्थ और आवश्यक कार्यवाही के लिए लिखा था।
सीधे तौर पर यह पैरवी नहीं बल्कि जिला प्रशासन को अपर मुख्य सचिव का आदेश ही था। चौंकाने वाली बात तो यह है कि अपर मुख्य सचिव ने स्वयं पत्र में विधायक सहित 11 लोगों के नाम और तीन गाड़ियों के नंबर देकर लॉकडाउन तोड़ने में मदद की थी।
इस पत्र में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के नाम का सहारा लेकर जिला प्रशासन को गुमराह करने की कोशिश की गई थी । पत्र में कहा गया था कि विधायक त्रिपाठी और उनके साथ दस अन्य़ सदस्य को यूपी के मुख्यमंत्री के स्वर्गीय पिताजी के पितृ कार्य हेतु श्री बदरीनाथ धाम जाना है , जबकि उस दौरान बदरीनाथ धाम के कपाट खुले ही नहीं थे और केदारनाथ जाने की किसी को भी अनुमति नहीं थी ऐसे में अपर मुख्य सचिव द्वारा पास जारी करना विवादों की सुर्खियां बन गया।
विधायक त्रिपाठी और उनके साथियों को चमोली प्रशासन ने गौचर से वापस लौटा दिया तो पूरे मामले का खुलासा हुआ। इस मामले में यूपी सरकार ने नाराजगी व्यक्त की थी। साफ हो गया था कि अपर मुख्य सचिव ने  मनगढंथ तथ्यों के आधार पर विधायक त्रिपाठी और उनके साथियों को उत्तराखंड की सैर कराने में मदद की।
देहरादून के अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) रामजी शरण ने विधायक त्रिपाठी और आठ लोगों को तीन गाड़ियों से श्री बदरीनाथ धाम और श्री केदारनाथ धाम जाने का पास भी जारी कर दिया। गुरुवार को हुए स्थानांतरण में अपर जिलाधिकारी रामजी शरण को इसी पद पर रुद्रप्रयाग जिले में स्थानांतरित कर  दिया गया है ।

devbhoomimedia

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