रंग लाने लगा है उत्तराखण्ड एकता मंच का गैरसैंण अभियान
बिना किसी नेता के स्वागत के बिना मंच व माईक के लिए झड़प के यह आयोजन सफल
राजनैतिक दलों द्वारा बार-बार छली गयी उत्तराखण्ड की जनता के दिलो दिमाग में जागी, आशा की नयी किरण
देव सिंह रावत
नई दिल्ली । गैरसैंण इन दिनों प्रदेश में सत्तासीन कांग्रेस व केन्द्र में सत्तारूढ़ भाजपा के बीच में नाक का सवाल बना है। गैरसैंण राजधानी बनाने के लिए उत्तराखण्ड जनता के ऐतिहासिक जनांदोलन हुए। बाबा मोहन उत्तराखंडी सहित सभी शहीदों व आंदोलनकारियों के संघर्ष का परिणाम है। इसी भावना को समझते हुए वर्तमान कांग्रेस सरकार ने यहां पर न केवल अधिवेशन बुलाये अपितु गैरसैंण में विधानसभा भवन आदि का निर्माण भी हो गया।
गैरसैंण राजधानी बनाने के लिए सभी आंदोलनकारी संगठनों, समर्पित पत्रकारों, प्रबुद्ध जनों के साथ राज्य हित की आवाज उठाने वाले राजनैतिक दलों का निरंतर दवाब रहा। इसी दवाब को और मजबूती देने व राज्य गठन की जनांकाक्षाओं को साकार करने के लिए उत्तराखण्ड एकता मंच दिल्ली ने भी इस दिशा में एक मजबूत पहल की। इसी साल 29 सितम्बर से 2 अक्टूबर तक ‘गैरसैंण राजधानी बनाओं व शहीदों को न्याय दो ’ नामक तीन दिवसीय यात्रा को जो सराहनीय संचालन उत्तराखण्ड एकता मंच ने संसद के दर से रामपुर तिराहे शहीद स्थल पर श्रद्धांजलि देते हुए कोटद्वार, सतपुली, पौड़ी, श्रीनगर, रूद्रप्रयाग, गोचर, कर्णप्रयाण व आदिबदरी होते हुए गैरसैंण में जो अलख जगायी उसका भी व्यापक प्रभाव प्रदेश के जनमानस व राजनैतिक दलों पर पड़ा।
यह यात्रा गैरसैंण से चौखुटिया होते हुए द्वाराहाट, रानीखेत, बेतालघाट पंहुची। बेताल घाट से यह यात्रा रामनगर होते हुए 2 अक्टूबर को संसद के द्वार पर जंतर मंतर पर पंहुच कर मुजफ्फरनगर काण्ड के गुनाहंगारों को सजा न दे पाने वाली देश की व्यवस्था को धिक्कारने व शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए आहुत काला दिवस में सम्मलित हुए । इसके साथ उत्तराखण्ड एकता मंच ने जो सराहनीय कार्य 20 नवम्बर को गैरसैंण राजधानी बनाओं व शहीदों को न्याय दो सहित 6 मांगो को लेकर दिल्ली के एतिहासिक रामलीला मैदान में विशाल सम्मेलन किया उससे न केवल उत्तराखण्ड के जनहितों को विस्मृत करने वाले उत्तराखण्ड के राजनैतिक दलों के साथ देश के हुकमरानों को भी इस आयोजन का सकारात्मक प्रभाव पड़ा।
इसका जीता जागता सबूत इसी आयोजन में दिल्ली सरकार ने जहां उत्तराखण्डियों की दिल्ली सरकार के समक्ष रखी दो मांगों को वहीं पर स्वीकार करने का ऐलान किया तथा उत्तराखण्ड सरकार ने गैरसैंण राजधानी बनाने की दिशा में अपने बढ़ते कदमों का हवाला देते हुए जनांकांक्षाओं को साकार करने का संकल्प लिया। इसी दवाब में केन्द्र में सत्तारूढ़ भाजपा के केन्द्रीय रेल मंत्री ने रेल नक्शे से सेकड़ों मील दूर गैरसैंण से ही प्रदेश की कई रेल परियोजनओं का ऐलान किया। इस प्रकार उत्तराखण्ड एकता मंच का सही दिशा में यह सार्थक प्रयास रंग लाने लगा है।
भले ही राजनैतिक दलों के चम्पूओं व निहित स्वार्थी तत्वो ने एकता मंच के इन प्रयासों का स्वागत करने के बजाय टांग खिंचाई करने का काम किया हो परन्तु उत्तराखण्ड एकता मंच दिल्ली ने गैरसैंण यात्रा व रामलीला मैदान रैली में उत्तराखण्ड के हजारों हजार युवाओं को जोड़ कर मात्र सांस्कृतिक कार्यक्रम व नेताओं का मंचों में स्वागत करने में जुटे सामाजिक संस्थाओं को अब प्रदेश के हितों के लिए एकजुट करने का महत्वपूर्ण कार्य कर दिया। इस आयोजन से राज्य गठन के बाद पहली बार उत्तराखण्डी समाज संगठित हो कर अपने हक हकूकों के लिए मजबूती से सफल आवाज उठाने में सफल रहा।
उत्तराखण्ड समाज का यह पहला आयोजन था जिसमें राजनैतिक दलों के बजाय केवल सरकारों को जनहित के चिन्हित मुद्दों पर अपने पक्ष रखने के लिए आयोजकों ने बुलाया। इसमें जहां दिल्ली सरकार, उत्तराखण्ड सरकार व केन्द्र सरकार को चिन्हित मुद्दों पर अपना पक्ष रखने के लिए आमंत्रित किया था। इस सम्मेलन में उत्तराखण्ड समाज के सम्मानित राजनेता, पत्रकार, साहित्यकार, रंगकर्मी, उद्यमी, नौकरशाह सहित वरिष्ठ समाजसेवी बिना किसी मंच, माईक व माला के मोह से उपर उठ कर समाज की एकजुटता के लिए बडे उत्साह से पूरे समाज सम्मलित रहे।
किसी नेता का न तो मंच से स्वागत हुआ व नहीं एक व्यक्ति के नेतृत्व वाली संस्था ने यह आयोजन किया। इसमें आयोजन का नेतृत्व भी समाज ने किया। इस रैली में समाज के हर तबके ने बड़े उत्साह से भाग लिया। हमारों की संख्या में उमड़े लोगों का बिना किसी नेता के स्वागत के बिना मंच व माईक के लिए झड़प के यह आयोजन सफल रहा। इसके लिए उत्तराखण्ड एकता मंच के सभी कार्यकत्र्ताओं व इस आयोजन को सफल बनाने वाले सभी सामाजिक संस्थाओं को हार्दिक बधाई। उत्तराखण्ड एकता मंच दिल्ली से अब राजनैतिक दलों द्वारा छले गयी उत्तराखण्ड की जनता के दिलो दिमाग में आशा की नयी किरण जाग गयी है। इन सफल आयोजन के बाद उत्तराखण्ड एकता मंच के नीति निर्धारकों की भी जिम्मेदारी बन जाती है कि वह एकता मंच की इस जनशक्ति को छोटे विवादस्थ कार्यो में न लगा कर राज्य व समाज के नवनिर्माण में लगाये।