दिल्ली के जंतर-मंतर पर केंद्र पर बरसे उत्तराखंड CM और दिया धरना
नयी दिल्ली : भागीरथी इको सेंसिटिव जोन के मास्टर प्लान को केंद्र सरकार द्वारा खारिज किये जाने के विरोध में मुख्यमंत्री हरीश रावत ने दिल्ली के जंतर-मंतर में सरकार के मंत्रियों, विधायकों और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ धरना दिया।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय भी धरने में शामिल हुए। इस अवसर पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से प्रधानमंत्री को एक ज्ञापन प्रेषित किया गया। ज्ञापन में केंद्र पर उत्तराखंड से सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाते हुये मध्य हिमालय के विकास की नीति बनाने की मांग की गई है।
केंद्र सरकार ने राज्य सरकार के भागीरथी इको सेंसिटिव जोन के मास्टर प्लान को खारिज कर दिया था। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इसके विरोध में दिल्ली में धरना देने का एलान किया था। बृहस्पतिवार को मुख्यमंत्री, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष, कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य, सुरेन्द्र सिंह नेगी, मंत्री प्रसाद नैथानी समेत कई विधायकों व पार्टी पदाधिकारी व कार्यकर्ता जंतर-मंतर पहुंचे जहां उन्होंने धरना दिया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार पर कांग्रेस शासित सरकारों की प्रति सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि पर्यावरण के नाम पर उत्तराखंड की विकास योजनाओं पर पाबंदी लगाई जा रही है। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता मथुरा दत्त जोशी ने बताया कि उपवास के बाद पार्टी की ओर से प्रधानमंत्री को एक ज्ञापन प्रेषित किया गया है।
प्रधानमंत्री को प्रेषित ज्ञापन में कहा गया कि जल, जंगल और जमीन उत्तराखंड राज्य की सबसे बड़ी संपदा है। लेकिन पर्यावरण के नाम पर राज्य अपने संसाधनों का नियंत्रित इस्तेमाल नहीं कर पा रहा है। ज्ञापन में 2013 की आपदा से हुई क्षति की भरपाई के लिए स्वीकृत पुनर्निर्माण पैकेज की 4000 करोड़ रुपये की धनराशि जारी करने की मांग की गई।
ज्ञापन में केंद्र से मध्य हिमालय विकास के लिए सतत विकास नीति बनाने, गंगा के जल संवर्द्धन एवं प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए केंद्र को भेजी गई योजनाओं को स्वीकृति देने और विकट भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए समूचे राज्य को केंद्रीय सेवाओं में आरक्षण देने की मांग भी उठाई गई है।