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ना आरोप पत्र, ना मुकदमा, ना सुनवाई, सीधे सजा

उत्तराखंड भाजपा में मीडिया प्रभारी अजेंद्र अजय को पद से हटाने का मामला गर्माया

अजेंद्र अजय को पार्टी संविधान के अनुसार, कोई नोटिस नहीं दिया गया, सीधे पद से हटाने का फरमान

उनको पद से हटवाने में सफल हो गए, प्रदेश अध्यक्ष को हमेशा घेरे रहने वाले कुछ नेता

देवभूमि मीडिया ब्यूरो

देहरादून। ना आरोप पत्र, ना मुकदमा, ना सुनवाई, सीधे सजा सुना दी गई। उत्तराखंड भाजपा दावा करती है कि वो लोकतांत्रिक मूल्यों की सबसे बड़ी पैरोकार है, लेकिन यहां अध्यक्ष ने मीडिया प्रभारी अजेंद्र अजय को मनमाने तरीके से पद से हटा दिया। यह घटना सीधे तौर पर दर्शाती है कि उत्तराखंड भाजपा में मनमानी सिर चढ़कर बोल रही है। जहां प्रदेश सरकार कोरोना संकट से लड़ रही है, वहीं सत्तारूढ़ दल के प्रदेश अध्यक्ष अपने पार्टी के नेताओं से लड़ने में व्यस्त हैं। 
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत ने प्रदेश मीडिया प्रभारी अजेंद्र अजय को उनके पद से हटा दिया। इससे पार्टी में अंदरखाने बड़ी हलचल मची है। अजेंद्र को पद से हटाने के लिए पार्टी ने लोकतांत्रिक प्रावधान का पालन नहीं किया।
सूत्रों के अनुसार, अजेंद्र को पद से हटाने का कारण तक नहीं बताया गया। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और मीडिया प्रभारी के बीच खटास पैदा करने में सबसे बड़ी भूमिका अध्यक्ष को घेरे रहने वाले कुछ पार्टी नेताओं की बताई जाती है।
इनमें कुछ वो लोग भी शामिल हैं, जिन्होंने पार्टी का मीडिया प्रभारी बनने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाया था, लेकिन सब दावेदारों के अरमानों पर पानी फेरते हुए पार्टी ने अजेंद्र को मीडिया प्रभारी बनाया था। 
बताया जाता है कि अजेंद्र अजय इस पद पर काम करने के बिल्कुल भी इच्छुक नहीं थे और उन्होंने इस पद को अपनी वरिष्ठता के लिहाज से उपयुक्त नहीं माना था, लेकिन बाद में उन्होंने पार्टी का निर्णय स्वीकार कर लिया। मीडिया प्रभारी बनते ही वो पार्टी के भीतर कुछ लोगों की आंखों में खटकने लग गए थे।
सूत्रों के मुताबिक प्रदेश अध्यक्ष ने पार्टी के किसी भी वरिष्ठ नेता से चर्चा किए बगैर अजेंद्र को मीडिया प्रभारी पद से कार्यमुक्त करने का फरमान जारी कर दिया और पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. देवेंद्र भसीन को मीडिया प्रभारी का अतिरिक्त दायित्व सौंप दिया। 
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प्रदेश अध्यक्ष का एकतरफा निर्णय पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के गले नहीं उतर रहा है। पार्टी में कोई भी निर्णय लेने से पहले वरिष्ठ नेता आपस में बातचीत करते हैं और केंद्रीय नेतृत्व के संज्ञान में मामले को लाते हैं, लेकिन प्रदेश अध्यक्ष ने ऐसा कुछ भी करना उचित नहीं समझा और सीधे मीडिया प्रभारी को अपने स्तर से हटा दिया।
जबकि पार्टी संविधान में किसी को हटाने के लिए एक प्रक्रिया है। पार्टी की अनुशासन समिति इस मामले को देखती है, लेकिन मीडिया प्रभारी को हटाने से पहले पार्टी ने ना ही उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया और ना ही उनसे कोई स्पष्टीकरण लिया। इससे सारी प्रक्रिया पर ही अब सवालिया निशान लग गए हैं। 
वहीं, डॉ. भसीन को मीडिया प्रभारी का अतिरिक्त प्रभार देने के निर्णय पर भी कुछ लोग सवाल उठा रहे हैं। इन लोगों का मानना है कि पार्टी के प्रवक्ताओं में कई वरिष्ठ नेता भी हैं। मीडिया प्रभारी की जिम्मेदारी डॉ. भसीन की बजाय किसी वरिष्ठ प्रवक्ता को सौंपी जानी चाहिए थी। डॉ. भसीन लंबे समय से पार्टी के मीडिया प्रभारी रहे हैं।  
उधर, मीडिया प्रभारी पद से हटाए जाने पर अजेंद्र अजय ने अभी तक चुप्पी साधी हुई है। अजेंद्र मीडिया के सामने कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने अभी तक मीडिया के सामने यही बोला है कि पार्टी फोरम पर अपनी बात रख दी गई है और पार्टी नेतृत्व का जो भी आदेश होगा, एक कार्यकर्ता के रूप में वो उसका पालन करेंगे।

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