गंगा को निर्मल करने के लिये हमारी सरकार प्रतिबद्ध : गडकरी

- स्वामी चिदानन्द सरस्वती एवं केन्द्रीय मंत्री नितिन गड़करी की हुई मुलाकात
नयी दिल्ली : गंगा संरक्षण मंत्री नितिन गड़करी ने कहा कि गंगा को निर्मल करने के लिये हमारी सरकार प्रतिबद्धता है और हमें इसके सुखद परिणाम भी शीघ्र ही प्राप्त होंगे। श्री नितिन गड़करी जी ने परमार्थ निकेतन द्वारा किये जा रहे रचनात्मक कार्यो की प्रशंसा की तथा कहा कि पर्यावरण एवं गंगा के संरक्षण के क्षेत्र में काफी कार्य किया जा रहा है और हमारी भी प्रतिबद्धता इस ओर होगी।
दिल्ली में परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज एवं सड़क परिवहन एवं राज्य मंत्री, जहाजरानी मंत्री एवं जल संसाधन नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री नितिन गड़कारी जी की गंगा के दोनों तटों पर हरित गलियारा, हरित शवदाह गृह, जैविक खेती, एवं वायु प्रदूषण में कमी लाने हेतु धान की पुराली से मकानों का निर्माण पर हुई विस्तृत चर्चा हुई।
पूज्य स्वामी जी ने नये मंत्रालय की जिम्मेदारी के लिये अभिनन्दन करते हुये आशीर्वाद स्वरूप षिवत्व का प्रतिक रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया। पूज्य स्वामी जी ने श्री गड़करी जी से माँ गंगा की वर्तमान स्थिति के विषय में चर्चा करते हुये कहा कि गंगा में जो विषाक्त जल प्रवाहित किया जा रहा है उसे रोकने के लिये चरणद्ध योजना तैयार करने की जरूरत है। साथ ही गंगा के दोनों तटों पर हरित गलियारा, हरित शवदाह गृह, जैविक खेती, वृक्षारोपण के माध्यम से प्रदूषण को रोका जा सकता है।
उन्होने कहा कि गंगा के किनारे वाले गावों एवं शहरों को खुले में षौच से मुक्त करना नितांत आवष्यक है। पूज्य स्वामी जी ने गंगा एक्षन परिवार एवं ग्लोबल इण्टरफेथ वाष एलायंस द्वारा चलाये जा रहे जागरूकता अभियान एवं संरचनात्मक कार्यषालाओं की भी जानकारी दी। उन्होने पूज्य स्वामी जी ने बढ़ते वायु प्रदूषण पर चिंता व्यक्त करते हुये कहा कि वायु प्रदूषण में वद्धि के लिये अन्य कारकों को साथ किसानों द्धारा धान की पुराली को जलाना भी एक कारण है।
प्रदूषण में कमी लाने हेतु एग्री बोर्ड द्वारा धान की ’पुराली से प्लायवूड’ का निर्माण, पर किये जा रहे कार्य के विषय में जानकारी दी। उन्होने कहा कि इससे गरीबों को रोजगार प्राप्त होगा, किसानां पुराली के बदले आर्थिक धन लाभ होगा, अस्थमा एवं श्वास की बीमारीयां में कमी आयेगी, सस्ते दामों पर घर उपलब्ध होंगे एवं प्राकृतिक आपदा से विस्थापित लोंगों को कम समय में आवास भी उपलब्ध कराया जा सकता है।