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केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने कहा : नहीं बंद होगा NTPC का तपोवन विष्णुप्रयाग प्रोजेक्ट

केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने किया तपोवन क्षेत्र में ऋषिगंगा में ग्लेशियर टूटने से हुए नुकसान का आंकलन

साढ़े तीन हजार करोड़ के इस प्रोजेक्ट को करीब 1500 करोड़ का हुआ है नुकसान 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

परियोजना का बैराज न होता, तो आगे और ज्यादा होता नुकसान : आरके सिंह
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि तपोवन विष्णुप्रयाग हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट का यदि बैराज न होता, तो नुकसान बहुत ज्यादा होता। इस बैराज के कारण पानी का बहाव काफी कम हुआ। जिससे आगे नुकसान नहीं हुआ। बैराज न होने पर ये नुकसान जोशीमठ से आगे तक होता। इस घटना से आर्थिक नुकसान से ज्यादा लोगों की जो जान माल का नुकसान हुआ है, वो हमारे लिए अधिक परेशानी की बात है। 
तपोवन (जोशीमठ) : सोमवार को केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने तपोवन क्षेत्र में ऋषिगंगा में ग्लेशियर टूटने से हुए नुकसान के आंकलन को क्षेत्र का दौरा किया। उन्होंने साफ किया कि आपदा के बाद भी प्रोजेक्ट को बंद नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा यह पहली बार है जब किसी परियोजना को लगभग साढ़े तीन हजार करोड़ के इस प्रोजेक्ट को करीब 1500 करोड़ का नुकसान हुआ है।
केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री श्री आरके सिंह ने सोमवार को जोशीमठ के रैणी क्षेत्र में ग्लेशियर टूटने से आयी आपदा से रैणी एवं तपोवन क्षेत्र में हुए नुकसान का स्थलीय निरीक्षण कर स्थिति का जायजा लिया।
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आपदा ग्रस्त क्षेत्र से लौटते हुए जौलीग्रान्ट एयरपोर्ट पर मीडिया से अनौपचारिक वार्ता करते हुए केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री श्री आरके सिंह ने बताया कि आपदा प्रभावित क्षेत्रों में रेस्कयू वर्क आईटीबीपी, आर्मी, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ एवं स्थानीय पुलिस द्वारा आपसी समन्वय के साथ किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस आपदा में कार्यरत एक विद्युत परियोजना पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गयी है, जबकि तपोवन स्थित एनटीपीसी को भी काफी क्षति पंहुची है।
उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में हुए नुकसान के कारणों की इसरो की इमेजेज के आधार पर एनटीपीसी, टीएचडीसी एवं एसजेवीएनएल के पदाधिकारी भी अध्ययन करेंगे, इनकी एक टीम पैदल भी क्षेत्र को भ्रमण के लिये जायेगी। उन्होंने कहा कि ऐसी आपदाओं की पूर्व जानकारी के लिये जिन हिल स्टेट में एनटीपीसी आदि के पावर प्रोजेक्ट हैं वहां पर प्रोजेक्ट के साथ ही स्थानीय लोगों के व्यापक हित में अर्लि वार्निग सिस्टम प्रणाली उपलब्ध करायी जायेगी। इससे पर्वतीय क्षेत्रों में भारी हिमपात के कारण उत्पन्न हिमस्खलन आदि की घटनाओं की पूर्व में जानकारी उपलब्ध हो सकेगी।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि इतनी बड़ी इस त्रासदी में पानी एवं मलबे के तेज बहाव को रोकने में एनटीपीसी बैराज के मजबूत ढ़ांचे ने बड़ा काम किया अन्यथा पानी का यह आवेग राज्य के नीचे के क्षेत्रों में भारी तबाह का कारण बन सकता था। 2013 में जिस प्रकार पानी के बहाव को टिहरी बांध ने रोकने का कार्य किया उसी तरह इस बैराज ने भी पानी को रोकने का कार्य किया।
उन्होंने कहा कि इस दुर्घटना में काफी लोग मिसिंग है। जिनमें एनटीपीसी के 91 तथा निजी कम्पनी के 44 लोग भी शामिल है, जितने लोग मिसिंग है उनको तलाशने का कार्य तेजी में किया जा रहा है। अब तक 20 शव बरामद किये जा चुके है। क्षेत्र के गांवो के भी कुछ लोग लापता है जिनमें 2 पुलिस वाले भी शामिल है।
उन्होंने कहा कि मृतक आश्रितों को राज्य सरकार एवं केन्द्र सरकार द्वारा आर्थिक सहायता उपलब्ध करायी जा रही है जबकि एनटीपीसी के जो कार्मिक मिसिंग है जिनके जीवित होने की उम्मीद कम है, उनके परिवारों को ऊचाहार की दुर्घटना की भांति 20 लाख की आर्थिक सहायता दी जायेगी। उन्होंने कहा कि गांव के मिसिंग लोगों की कैसे बेहतर ढ़ंग से मदद की जाय इसकी भी योजना बनायी जा रही है। उन्होंने कहा कि यदि प्रभावित गांव वालों को एनटीपीसी में यदि वे चाहेंगे तो उन्हें काम दिया जायेगा इसके अतिरिक्त सीएसआर के तहत भी पीडितों की मदद की जायेगी। उन्होंने कहा कि एनटीपीसी के टनलो को अभी लोडरो से डिसिल्ट किया जा रहा है, उसमें और तेजी लाये जाने के लिए 5 स्लडी पंपो की व्यवस्था की जा रही है।
इस अवसर पर सचिव ऊर्जा श्रीमती राधिका झा भी उपस्थित थी।

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