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UJVNLअधिकारी विश्व बैंक के ऋण के रुपयों से भर रहे अपनी जेबें !

  • जल विद्युत निगम के ठेकों में भारी घोटाला !
  • एक ही कार्य के लिए दो-दो बार लिया जा रहा है ऋण !

देवभूमि मीडिया ब्यूरो

देहरादून : उत्तराखंड जल विद्युत निगम विश्व बैंक से मिलने वाले ऋण के पैसे से बंदरबांट करते हुए उत्तराखंड की भोली-भाली जनता के सिर पर कर्ज का बोझ डालकर अपनी जेबें भरने पर लगा हुआ है। यह मामला मात्र एक बानगीभर है और भी न जाने कितने मामले इनकी अलमारियों में रखी फाइलों में दफ़न होंगे यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा। लेकिन राज्य में तैनात ब्यूरोक्रेट और टेक्नोक्रेट को इस बात की कतई भी चिंता नहीं कि उसे इस उधार के रुपयों को वापस भी लौटाना है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार उत्तराखंड जल विद्युत निगम के मातहत अधिकारियों द्वारा व्यक्ति विशेष को लाभ पहुंचाने के लिए निगम द्वारा नियमों को ताक पर रखते हुए कई काम आजकल करवाए जा रहे हैं। इतना ही नहीं जल विद्युत निगम  मातहत अधिकारियों में अपने चाहते ठेकेदारों को लाभ दिए जाने की नियत से अनुबंध से पहले निविदाओं में उनके अनुसार कई बार शर्तों और अहर्ताओं तक को उनके अनुसार बदल डाला।  

सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार जल विद्युत निगम के अनुबंध संख्या 36 /EE/PCM –DKP/2016-17 की निविदाओं में विभागीय अधिकारियों ने निविदा में सबसे कम दरें देने वाले ठेकेदार की दरों को दरकिनार करते हुए उसे एक सिरे से बाहर करते हुए निविदा में दूसरे ठेकेदार से मोल भाव करते हुए सबसे कम दरों को देने वाले ठेकेदार की दरों पर अनुबंध करने की आदेश दे दिए गए जो सर्वथा निगम में भ्रष्टाचार किये जाने की पोल खोलने के लिए काफी है।

इतना ही नहीं सूत्रों के अनुसार जल विद्युत निगम द्वारा दो करोड़ 51 लाख 77 हज़ार 228 के अनुबंध 36/EE/ PCM –DKP/2016-17 में तीन करोड़ 75 लाख रुपये का कार्य अनुबंध से इतर कराया जा चुका है। इतना ही नहीं निगम द्वारा अब अपनी अतिरिक्त जेबें भरने के लिए इसी अनुबंध के अंतर्गत CWC/DRIP GOVT।OF INDIA/WORD BANK से 10 करोड़ रूपये की अतिरिक्त मांग की गयी है।यानि ऋण के रुपयों से अधिकारी अपनी जेबें भरने का काम कर रहे हैं अन्यथा उपरोक्त निविदा में इस कार्य को क्यों नहीं शामिल किया गया।

सूत्रों के अनुसार जल विद्युत निगम वहीँ इसी कार्य क्षेत्र (Protection work on left side down streem bank of Dakpathar Barrage-dehradun) के अनुबंध संख्या 34/EE/PCM-DKP/2016-17 व अनुबंध संख्या 35/EE/PCM-DKP/2016-17 जो विभागीय दरों से 42 फीसदी कम दरों पर अनुबंधित किया गया था जिसे ठेकेदार द्वारा इन दरों पर अनुबंध में वर्णित मात्रा से अधिक कार्य करने हेतु सहमति देने पर भी शून्य फीसदी वैरियेशन भी न करते हुए अनुबंध कर दिया गया। इस तरह के अनुबंध से साफ़ तौर पर निगम के अधिकारियों की मिली भगत प्रतीत होती है।कि ठेकेदार व स्वयं को लाभ पहुंचाने की नियत से यह कार्य उसे दिया गया।यहाँ यह बात भी सामने आती है कि यदि बैराज क्षेत्र में यह कार्य करवाना इतना आवश्यक था तो विभागीय दरों से 42 फीसदी यानि लगभग आधी कम दरों पर कार्य करने के इच्छुक ठेकेदार का कैसे अनुबंध कर दिया गया और वह इतने कम दरों पर कैसे कार्य कर पायेगा या नहीं यह भी निगम के अधिकारियों ने विचार नहीं किया। मामले में भ्रष्टाचार साफ़ तौर पर तब सामने आता है, जब निगम के मातहत अधिकारियों ने दो करोड़ 51 लाख के अनुबंध को तीन करोड़ 75 लाख तक का काम कराने के बाद भी अनुबंध फाइनल नहीं किया और CWC/DRIP GOVT।OF INDIA/WORD BANK से 10 करोड़ रूपये के कार्य कराने के लिए धन की मांग क्र डाली जबकि अनुबंध 36 में भी इस राशि की मांग की गयी यानि एक ही कार्य के लिए दो-दो बार ऋण की मांग किया जाना अपने आप में भ्रष्टाचार और ऋण के रूपये से अपनी जेबें भरने का अपने आप में अनूठा उदाहरण है।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार निगम के अधिकारियों ने अनुबंध संख्या 33/EE/PCM-DKP/2016-17 में इछाड़ी बाँध परियोजना के सातों SPILLWAY GATE की अनुबंध राशि 5 करोड़ 3 लाख 2 हज़ार 454 रुपये का कार्य  तीन गेटों पर ही समाप्त कर डाला जबकि इस रकम से बाँध क्षेत्र के सातों गेटो का मरम्मत का कार्य किया जाना था।और अब बाकि चार गेटों के लिए अतिरिक्त 12 करोड़ रुपयों की मांग की जा रही है यानि इतने रुपयों से भी जब जेबें नहीं भरी तो और रुपयों की मांग की जा रही है।

सूत्रों के अनुसार जबकि इस बाँध क्षेत्र के सातों गेटों के कार्य का आगणन साढ़े पांच करोड़ रुपये का बनाया गया था लेकिन अधिकारियों ने अपनी जेबें भरने और अपने चहेते ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिए इसका आगणन 17 करोड़ रुपये तक पहुंचा डाला है। जो जांच का विषय है। इतना ही नहीं इस अनुबंध में भी CWC/DRIP GOVT।OF INDIA/WORD BANK से अतिरिक्त धनराशि की मांग की गयी।

कुल मिलकर उत्तराखंड जल विद्युत निगम में भ्रष्टाचार का यह मामला मात्र एक उदाहरण है और भी न जाने कितने भ्रष्टाचार के कारनामों से निगम की फाइलें भरी पड़ी होंगी यह बारीकी से जांच के बाद ही पता चलेगा लेकिन यह बात साफ़ है कि उत्तराखंड की जनता को विश्व बैंक के कर्ज तले दबाकर निगम के मातहत अधिकारी किस तरह मौज काट रहे हैं यह सिर्फ एक बानगी भर है ।

devbhoomimedia

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