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ट्रांसफर एक्ट लागू होने से पहले हो गयाआबकारी विभाग में ट्रांसफर घोटाला !

  • आबकारी विभाग का चर्चित अधिकारी ने खेला ट्रांसफर में खेल  !
  • सूबे का आबकारी विभाग भी विपक्ष के सीधे निशाने पर !
  • स्थानांतरण में भी मोटा खेल किये जाने की चर्चाएं सरे आम!

राजेन्द्र जोशी 

देहरादून : उत्तराखंड के आबकारी विभाग में सरकार की स्थानांतरण पालिसी लागू होने से पहले एक चर्चित अधिकारी ने अपना प्रभुत्व कायम करने और आबकारी मुख्यालय का सर्वे -सर्वा  बनने के लिए ऐसा खेल, खेल दिया कि जिससे विभागीय मंत्री की फजीहत होनी तय है। वहीँ सूबे का आबकारी विभाग भी विपक्ष के सीधे निशाने पर आ गया है । इतना ही नहीं इस चर्चित अधिकारी द्वारा साल के बीच में (मिड टर्म) में 12 जिला आबकारी अधिकारियों और 23 आबकारी निरीक्षकों के स्थानांतरण में भी मोटा खेल किये जाने की चर्चाएं सरे आम हो गयी हैं। 

चर्चाएं तो यहाँ तक हैं कि बीते समय में जब यहाँ सचिव आबकारी व आबकारी आयुक्त के पद पर वर्तमान में गढ़वाल कमिश्नर दलीप जावलकर थे तो उन्होंने ऐसे अधिकारियों की वहां जरा भी नहीं चलने दी और इसको फ्रीज़ में लगा दिया था. जिससे विभाग में इनके वे कार्य नहीं हो पा रहे थे जो यहाँ का कॉकस करना चाहता था।  लेकिन बाद में इस कॉकस ने दलीप जावलकर जैसे अधिकारी को  शराब लॉबी से साथ मिलकर आबकारी विभाग से ही हटवा दिया था ,जिसके बाद से इनका यहाँ एकछत्र साम्राज्य हो गया था लेकिन इसके बाद भी इस चर्चित अधिकारी की राह में कई रोडे थे जो इनका बनता हुआ खेल खराब करने पर उतारू थे , जिन्हे अब इन्होने ठिकाने लगाया है। इसके बाद यहाँ युगल किशोर पंत को लाया गया लेकिन इस चर्चित अधिकारी ने युगल किशोर पंत को भी वहां से  कई आरोप लगवाकर करवाकर हटवा दिया। अब इसके बाद षणमुगम को एमडीडीए से यहाँ का आबकारी आयुक्त बनाया गया है।  लेकिन सूत्रों का कहना है कि मुख्यालय में तैनात यह चर्चित अधिकारी आबकारी मंत्री तो क्या आबकारी आयुक्त षणमुगम तक को अँधेरे में रखते हुए अपना उल्लू सीधा करने में लगा हुआ है।  

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आबकारी विभाग  के एक यह चर्चित अधिकारी ने आबकारी निदेशालय में अपना प्रभुत्व कायम करने के उद्देश्य से पूरे आबकारी विभाग में आमूल-चूल परिवर्तन कर डाला है। चर्चाएं तो यहाँ तक हैं कि विभाग में जो पद विभागीय संरचना में थे ही नहीं उन पदों पर दो एडिशनल कमिश्नरों को स्थानांतरित कर दिया गया है जिसमें एक को गढ़वाल का एडिशनल कमिश्नर बनाया गया है तो दूसरे को कुमायूं का।  जबकि विभागीय संरचना में यह दोनों पद मुख्यालय के बताये गए हैं।  वहीँ सूत्रों का कहना है कि यह सब इस चर्चित अधिकारी ने मुख्यालय में अपना प्रभुत्व कायम रखने के साथ ही इस इरादे से किया है कि मुख्यालय में कौन सा निर्णय या डील की जा रही है किसी को उसकी कानों कान खबर ही न हो सके। 

प्राप्त जानकारी के अनुसार इस चर्चित अधिकारी ने मुख्यालय में वर्षों से दो-दो पदों पर आसीन जॉइन्ट कमिश्नर को भी वहां से चलता करते हुए उसे गढ़वाल का जॉइन्ट कमिश्नर बना डाला है।  इसके बाद अब आबकारी निदेशालय में इस चर्चित अधिकारी के निर्णयों पर सवालिया निशान  लगाने वाला कोई भी अधिकारी स्तर का अधिकारी नहीं बचा है।  इससे यह साफ़ है कि यह चर्चित अधिकारी आगामी वित्तीय वर्ष से कोई नया खेल खेलने का तना-बाना अभी से बुनने लगा है।  वह भी विभागीय मंत्री को अँधेरे में रखते हुए।

जबकि स्थानांतरण पालिसी में साफ़ है कि एक विभाग में 20 फीसदी से अधिक स्थानांतरण नहीं किया जा सकते और वह भी स्थानांतरण काल के दौरान ही किये जा सकते है लेकिन यहाँ साल के बीच के स्थानांतरण की यह कहानी किसी के गले नहीं उतर पा रही है।  कि आखिर सरकार द्वारा बीते विधासभा सत्र के दौरान लाये गए स्थानांतरण नीति के लागू हो जाने से पहले ऐसी क्या जरुरत आन पड़ी जो इतने ब्यापक स्तर पर आबकारी विभाग में स्थानांतरण किये गए।

devbhoomimedia

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