PERSONALITY

उत्तराखण्ड को ”गाँधीवादी दृष्टि” देने वाली ‘’सरला बहन’’ का आज है जन्म दिवस

सरला बहन ने रखी उत्तराखंड के सर्वोदई आन्दोलन की नींव 

(5 अप्रैल 1901- 8 जुलाई 1982)

कुसुम रावत 

आज गाँधी जी की प्रिय शिष्या सरला बहन का जन्म दिवस है। उन्होंने अपना पूरा जीवन मानवता, मानवीय मूल्यों को बनाने, पर्यावरण संरक्षण, महिला सशक्तिकरण, शराबबंदी, महिला शिक्षा, कमतरों को आगे बढ़ाने और पहाड़ों की सेवा में अर्पण कर दिया था। उनको यह नाम बापू ने दिया था। उनका नाम ‘कैथरीन मेरी हाईलामन’ था। इनके पूर्वज स्विस जर्मन थे। वह 1932 में हिंदुस्तान आ गई थीं और उदयपुर में ‘विद्या भवन’ नाम की शिक्षण संस्था में काम करने लगी। इन्होने 3-4 महीनों में ही हिंदी पढना-लिखना सीख लिया। बाद में वह अनुसुईया बहन के साथ गाँधी जी के पास सेवा ग्राम, वर्धा चली गई। वहीँ से वह सरला बहन नाम से जानी गईं। वंहा वह कई साल ‘तालीम संघ’ में रहीं।

उसके बाद बापू ने उनको स्वास्थ्य लाभ हेतु अल्मोड़ा जिले में भेजा। उस पहाड़ी छेत्र में सरला बहन ने गाँधी जी की प्रेरणा से बड़ी निष्ठा से लोगों की सेवा की। उनका योगदान आजादी के आन्दोलन और उतराखंड में सर्वोदय आन्दोलन की नीव रखने में बहुत विस्मयकारी है। कौसानी के विश्व विख्यात ‘’लक्ष्मी आश्रम’’ की नींव सरला बहन ने ही रखी। उत्तराखंड में गाँधी और विनोबा भावे के चिंतन, दर्शन, और विचारों को अपने आचरण में सौ प्रतिशत जीने वाली इस महान महिला ने गाँधी जी के ‘’बुनियादी तालीम’’ शिक्षा पद्धति से सैकड़ों बालिकाओं को तैयार कर विश्व विख्यात सर्वोदई कार्यकर्ताओं की एक लम्बी चौड़ी फौज तैयार कर उत्तराखंड के सर्वोदई आन्दोलन की नीव रखी। सरला बहन के साथ ही गाँधी जी की दूसरी अंग्रेज़ शिष्या मीरा बहन ने गढ़वाल में सर्वोदई आन्दोलन की नींव को पुख्ता किया।

हम गाँधी को मानते हैं पर उत्तराखंड में इन दो महान महिलाओं ने ही सर्वोदय विचार और गाँधी चिंतन को अपने आचरण में उतार कर आम आदमी तक फैलाया। भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान उन्होंने जेल में बंद सेनानियों के परिवारों की देखभाल की। सरकार ने इस वजह से उनको जेल भी भेजा पर वह उनको दबा न सकी।

सरला बहन की पुस्तक ‘’प्रकर्ति संरक्षण और विनाश’’ और ‘’स्वस्थ जीवन’’ आज ‘’कोरोना कहर’’ के दौर में उन बुनियादी बिन्दुओं की ओर इशारा कर रही हैं जिन चिंताओं में मानव मन भय से आक्रांत है,

उत्तराखंड में सुन्दरलाल बहुगुणा, विमला बहुगुणा, मान सिंह रावत और शशि प्रभा रावत, चंडी प्रसाद भट्ट, धूम सिंह नेगी, राधा बहन, केदार सिंह कुंजवाल, सदन मिश्रा, शोभा बहन, योगेश बहुगुणा, विजय जड़धारी, बिहारी भाई, कुंवर प्रसून, भवानी भाई जैसे सैकड़ों सर्वोदई उनकी ही देन हैं।

उनके जीवन में जो सादगी, त्याग और तपस्या की भावना है वह सार्वजानिक जीवन में दुर्लभ है, उन्होंने कभी राजनीति में उतरने की इच्छा नहीं की पर उनका उत्साह और उदगार किसी भी राजनैतिक कार्यकर्त्ता से कम नहीं है। उनकी आत्म कथा ‘’व्यवहारिक वेदांत एक आत्म कथा’’ से उनके जीवन चरित्र और महान कामों के बारे में जाना जा सकता है।

उनके जन्मदिवस पर ‘’उत्तराखंड सर्वोदय मंडल’’ के सुन्दर लाल बहुगुणा, विमला बहुगुणा, धूम सिंह नेगी, योगेश बहुगुणा, विजय जडधारी, सुदेशा बहन, डॉ विजय शुक्ला, साहब सिंह सजवान, देवेन्द्र बहुगुणा, बीजू नेगी, हरवीर सिंह कुशवाहा, इंदु शुक्ला, कुंवर सिंह सजवान, कुसुम रावत, सुमित्रा चौहान शैलेन्द्र भंडारी रश्मि पैनुली, ज्योति गुप्ता ने आपस में दूरभाष पर उनका भावपूर्ण स्मरण किया।कोरोना के कारण गोष्ठी न करने का निर्णय लिया गया था।

हे पुण्यात्मा आपको ‘’सर्वोदय परिवार’’ का सादर नमन!

Related Articles

Back to top button
Translate »