EXCLUSIVE

हैली निविदा में HC की लताड़ से बचने के लिए उड्डयन विभाग ने कर डाला ”खेल”

निविदा में सुरक्षा व ऑडिट रिपोर्ट की अनदेखी

कांग्रेस से संबंध रखने वाली कंपनी को दे दिया ठेका 

सूबेवासियों व तीर्थ यात्रियों की जान से खेलने पर आमादा उड्डयन विभाग 

देहरादून : प्रदेश सरकार के नागरिक उड्डयन विभाग ने एक बार फिर सूबे के पर्वतीय दूरस्थ इलाकों में हेलीकॉप्टरों को उड़ाने के अनुभव व ऐसे हेलीकॉप्टरों को रखने वाली कंपनियों की निविदाओं को दरकिनार करते हुए सूबे की जनता की जान से खिलवाड़ करने का पूरा इंतजाम कर दिया है । वहीँ चर्चाओं के अनुसार यह मामला उच्च न्यायालय में चले जाने के चलते उड्डयन विभाग ने अपनी टोपी बचने के चक्कर में यहाँ एक और बड़ा ”खेल” खेल दिया है विभाग ने ऐसी कंपनी को यह सेवाएँ चलाने की निविदा आबंटित कर दी है जिसका सूबे में न तो हेलीकाप्टर उड़ाने का अनुभव है और न उसके पास यहाँ चलने वाले हेलीकाप्टर ही हैं।

वहीँ चर्चाओं के अनुसार इस निविदा में नागरिक उड्डयन विभाग ने जहाँ अपनी चहेती कंपनी को सूबे में हैली व हवाई सेवा देने वाली निविदा में भी ”खेल” कर दिया ताकि उच्च न्यायालय की लताड़ से भी बचा जा सके, वहीँ विभाग ने उच्च न्यायालय के उस आदेश की भी अवहेलना कर डाली जिसमे न्यायालय ने निविदा में सुरक्षा व ऑडिट रिपोर्ट की अनदेखी न करने को कहा था लेकिन चहेती कंपनी के मामले में फंसने के बाद विभाग ने कांग्रेस के एक सदस्य की इस दूसरी कंपनी के नाम निविदा आवंटित करते समय विभाग ने अनुभव के साथ साथ शिड्यूल व नान शिड्यूल की शर्तों में भी शिथिलता बरतने के साथ ही सुरक्षा मानकों को भी दरकिनार कर दिया है। इससे यह साफ़ हो गया है कि सूबे का नागरिक उड्डयन विभाग राज्यवासियों व तीर्थ यात्रियों की जान को लेकर कितना संजीदा है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार कथित तौर पर उच्चतम बिडिंग के आधार पर जिंदल समूह की इंडिया फ्लाई सेफ एविएशन कंपनी को प्रदेश में हवाई सेवा की जिम्मेदारी दी गई है। यह कंपनी सरकार को सालाना 12 करोड़ रुपये का राजस्व देगी। दूसरे स्थान पर चर्चित रही कंपनी हेरिटेज एविएशन ने चार करोड़ रुपये की बिड डाली थी। अन्य कंपनी की बिड एक से दो करोड़ रुपये के बीच थी। हालांकि चयनित कंपनी को काम अवार्ड करने का निर्णय हाईकोर्ट के अंतिम निर्णय के बाद ही हो पायेगा। लेकिन सुरक्षा व अनुभव की शर्तों को जिस तरह से प्रदेश के उड्डयन विभाग ने दरकिनार किये हैं उससे साफ़ है उच्च न्यायालय इसपर संज्ञान लेते हुए एक बार फिर पारदर्शी तरीके से निविदाएँ आमंत्रित करने के निर्देश से सकता है।

वहीँ वर्षों से केदारघाटी में हैली सेवाएँ से रहीं कंपनियों में इस बात का रोष है कि जिस कंपनी के पास उच्च हिमालयी इलाकों में हेलीकॉप्टरों को न तो उड़ाने का अनुभव है और न ही इस कंपनी के पास उच्च हिमालयी इलकों में उड़ने वाले हेलिकोप्टरों में ”बेल 407 अथवा यूरोक्राफ्ट  B -3 जैसे हेलीकाप्टर ही है,  वहीँ उत्तराखंड सरकार के अधिकारियों ने इस निविदा से सुरक्षा व ऑडिट जैसी महत्वपूर्ण शर्तों को हटाकर राज्यवासियों व तीर्थयात्रियों की जान के साथ खिलवाड़ करने का काम किया है। जिसे लेकर वे चिंतित हैं और मामले को लेकर वे उच्च न्यायालय से लेकर उच्चतम न्यायालय तक का दरवाजा खटखटा सकते हैं,वहीँ एक बयान में इन कंपनियों की ओर से कहा गया कि सरकार ने जिस कंपनी का चयन किया, वह कांग्रेस से संबंध रखती है

वहीँ नागरिक उड्डयन सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम के अनुसार चयनित कंपनी इंडिया फ्लाई सेफ एविएशन गढ़वाल व कुमाऊं में पांच-पांच जगह हवाई सेवाएं देगी। हर क्षेत्र में तीन-तीन सेवा सप्ताह में दो बार देनी अनिवार्य है। केदारनाथ में हवाई सेवा का जिम्मा भी इसी कंपनी के पास रहेगा। सचिव सुंदरम ने बताया कि जिन कंपनियों ने कोर्ट में रिट दायर की थी, उन्होंने यह मांग उठाई थी कि बिडिंग आदि की प्रक्रिया पर रोक लगाई जानी चाहिए।

devbhoomimedia

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : देवभूमि मीडिया.कॉम हर पक्ष के विचारों और नज़रिए को अपने यहां समाहित करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह जरूरी नहीं है कि हम यहां प्रकाशित सभी विचारों से सहमत हों। लेकिन हम सबकी अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार का समर्थन करते हैं। ऐसे स्वतंत्र लेखक,ब्लॉगर और स्तंभकार जो देवभूमि मीडिया.कॉम के कर्मचारी नहीं हैं, उनके लेख, सूचनाएं या उनके द्वारा व्यक्त किया गया विचार उनका निजी है, यह देवभूमि मीडिया.कॉम का नज़रिया नहीं है और नहीं कहा जा सकता है। ऐसी किसी चीज की जवाबदेही या उत्तरदायित्व देवभूमि मीडिया.कॉम का नहीं होगा। धन्यवाद !

Related Articles

Back to top button
Translate »