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नगर पालिकाओं अकाउंटिंग का पुराना सिस्टम खत्म…………

प्रदेश के सभी निगमों और नगर पालिकाओं में अब अकाउंटिंग का पुराना सिस्टम खत्म होने जा रहा है। कैबिनेट बैठक में इनमें एकरूपता लाने के लिए दोहरी लेखा प्रणाली लागू करने पर मुहर लग गई है। तो इससे जहां खर्च-कमाई में पारदर्शिता आएगी तो वहीं निगम-पालिकाओं को क्रेडिट रेटिंग के हिसाब से योजनाओं के लिए बाजार से पैसा ले सकेंगे। बता दे की प्रदेश के सभी नगर निगमों, नगर पालिकाओं में अभी तक एकल लेखा प्रणाली लागू है, जो आय ओर व्यय का ब्यौरा रखने का पुराना तरीका है।शहरी विकास विभाग इन पर सीधे नजर रख सकेगा। इसके हिसाब से निकायों की बही खाता बनेगी। निकायों की क्रेडिट रेटिंग सिविल स्कोर की तरह होगी। इसी रेटिंग के आधार पर निकाय अपनी किसी भी योजना को पूरा करने के लिए बाजार से आसानी से लोन ले सकेंगें।
प्रदेश में अभी तक 500 वर्ग मीटर तक आवास निर्माण के जो नियम हैं, वह काफी सख्त हैं। इसके मुकाबले केंद्र सरकार का नेशनल बिल्डिंग कोड आसान है। सरकार ने अब 500 वर्ग मीटर तक के एकल आवास निर्माण में राज्य या केंद्र दोनों में किसी एक के कोड को चुनने की आजादी दे दी है। तो आवास विभाग की ओर से वन टाइम सेटलमेंटयोजना की अवधि फिर बढ़ाई जा सकती है।