नेताओं के लिए जन संगठनों ने जारी किया घोषणा पत्र
श्रीनगर (गढ़वाल) : आम जनता की आशाओं और आकांक्षाओं को राजनीतिक दलों के घोषणा पत्र में शामिल करवाने को लेकर विभिन्न संगठनों की ओर से तैयार किए गए जनघोषणा पत्र 2017 के प्रारूप को गुरुवार को श्रीनगर में जारी किया है। राजनीतिक दलों के लिए तैयार यह घोषणा पत्र आध्यात्मिक संतों, स्वयंसेवी संगठनों और आंदोलनकारियों के सहयोग से रक्षासूत्र आंदोलन और पर्वतीय विकास शोध केंद्र का जनसंवाद घोषणा पत्र तैयार किया गया है। इसे शीघ्र ही राज्य में चुनाव लड़ने वाले सभी राजनीतिक दलों को दिया जाएगा।
श्रीनगर में गोगंगा शिविर कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में श्रीकृष्ण आश्रम धाम गंगोत्री के संस्थापक स्वामी हरिकृपानंद ने कहा कि वोट लेने के बाद नेता जरा भी मुड़कर नहीं देखते हैं। यही कारण है कि देश की आजादी के बाद और उत्तराखंड राज्य निर्माण के 16 साल बाद भी आम जनता विशेषकर पहाड़ की समस्याएं जस की तस हैं।
उन्होंने कहा कि नेताओं की इसी सोच के कारण उत्तराखंड निर्माण के बाद भी आज तक पलायन नहीं रुका। रक्षासूत्र आंदोलन के संयोजक सुरेश भाई ने कहा कि उत्तराखंड राज्य बनने के बाद किसी भी राजनीतिक दल ने आम आदमी के जीवन और उसकी जीविका को लेकर कार्य नहीं किया। राज्य के नौकरशाह और नेताओं की सोच से आम आदमी दूर रहा।
सुशीला भंडारी ने कहा कि बाल मजदूरी महिला कष्ट मुक्ति, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे गंभीर विषयों पर मौलिक सोच वाले जनप्रतिनिधियों का अभाव है। डाल्यों का दगड़्या संस्था के अध्यक्ष डॉ. मोहन सिंह पंवार ने कहा कि घोषणापत्रों को लेकर राजनीतिक पार्टियों को भी समय-समय पर जनता से सीधे संवाद स्थापित करना चाहिए ।
इस अवसर पर पर्वतीय विकास शोध केंद्र के नोडल अधिकारी डॉ. अरङ्क्षवद दरमोड़ा ने कहा कि इस जनघोषणा के प्रारूप को शीघ्र ही सभी राजनीतिक दलों को दे दिया जाएगा। इस मौके पर गंगा आरती समिति के अध्यक्ष प्रेमबल्लभ नैथानी भी उपस्थित थे।