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शहादत दिवस : टिहरी रियासत के ताबूत में अंतिम कील थी, कामरेड नागेंद्र सकलानी और मोलू भरदारी की शहादत


11 जनवरी 1948 को कीर्तिनगर में कामरेड नागेन्द्र सकलानी और कामरेड मोलू भरदारी की शहादत, टिहरी में राजशाही के खात्मे के परवाने पर निर्णायक दस्तखत सिद्ध हुई। यह वही राजशाही थी,जो 30 मई 1930 को तिलाड़ी में सैकड़ों किसानों का खून बहा चुकी थी। यही राजशाही थी,जिसने श्रीदेव सुमन के उत्तरदाई शासन की मांग पर गौर करने के बजाय उन्हें मौत के मुंह में धकेलने का विकल्प चुना। जेल में 84 दिन की भूख हड़ताल के दौरान सुमन इतनी ही मांग कर रहे थे कि टिहरी में उत्तरदाई शासन स्थापित हो और उन(सुमन)के मुकदमे की सुनवाई स्वयं महाराजा करें। राजशाही ने इतना ही किया कि भूख हड़ताल के बाद सुमन के शरीर को बोरे में बंद करके भिलंगना नदी में बहा दिया।Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur.