अस्पताल के बिल को देख पहले मरा पति फिर नवजात और फिर पत्नी
देहरादून : तीन दिन में एक ही परिवार की तीन मौतों ने मानवता को शर्मशार तो किया ही राजधानी में अस्पतालों के नाम रहे बुच्चड़खानों की पोल भी खोलकर रख दी है और सूबे के स्वास्थ्य विभाग को आइना भी दिखा दिया है कि वे जो चाहें कर सकते हैं उनके ऊपर किसी का जोर नहीं। मामले में डिलीवरी के लिए अस्पताल में भर्ती पत्नी का बिल देख पति की मौत हो गई। पति और नवजात की मौत की खबर सुनकर महिला की भी मौत हो गई, लेकिन कब्र में दफनाने के दौरान मृतका एक बार फिर जिंदा हो उठी।
पुलिस के अनुसार, नन्नू खां निवासी ज्वालापुर बकरा मार्केट हरिद्वार की पत्नी शाना की डिलीवरी होनी थी। नन्नू ने शाना को देहरादून के सीएमआइ स्थित अस्पताल में भर्ती कराया। यहां डिलीवरी के दौरान नवजात की मौत हो गई।
अस्पताल प्रशासन ने जो बिल थमाया उसे देख नन्नू खां को दिल का दौरा पड़ गया। इससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। महिला ने जब पति और नवजात की मौत की खबर सुनी तो वह भी बेहोश हो गई। डॉक्टरों ने उसे भी मृत घोषित कर दिया। तीनों की मौत से घर में मातम छा गया। परिजनों ने अस्पताल का एक लाख 80 हजार का बिल चुकाया और शवों को ले गए।
परिजन मृतका को जैसे कब्र में दफना रहे थे वह हिलने लगी। महिला की सांसें चलने पर परिजन उसे लेकर फिर से देहरादून आए। यहां उसे बोहरा अस्पताल में भर्ती कराया। यहां शाना की आज सुबह मौत हो गई। अस्पताल प्रबंधन ने परिजनों से 18 हजार रुपये देने के बाद शव देने की बात कही। इस पर परिजनों ने हंगामा काटते हुए डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाया।
वहीं, इस संबंध में बोहरा अस्पताल के चेयरमैन रविंद्र गुज्जर ने कहा कि परिजनों से दवा के नौ हजार व अस्पताल खर्च का नौ हजार समेत कुल 18 हजार मांगे गए थे। दवा के पैसे तो दे दिए, लेकिन अस्पताल का खर्चा देने को तैयार नहीं थे। बताया कि शव परिजनों को सौंप दिया गया है। परिजन शव लेकर हरिद्वार रवाना हो गए।