कर्णप्रयाग। छह महीने के क्षेत्र भ्रमण के बाद सोमवार को मां उमा देवी की डोली ने गर्भगृह में प्रवेश किया। इस दौरान हजारों लोगों ने उमा देवी की डोली, निशाणों के पुण्य दर्शन किये। सोमवार को उमा देवी देवी की यात्रा विधि-विधान के साथ समापन हुआ। इस मौके पर सुबह से ही हजारों लोग मन्दिर में पहुंचे। सुबह देवी की पूजा-अर्चना हुई।
गर्भगृह में जाने से पहले उमा देवी अपने निजी निशाणों और डोली के साथ उमट्टा और डिम्मर के लोगों को मिलने के लिए गई। मिलन के उपरान्त देवी मन्दिर परिसर में पहुंची और नृत्य किया और भक्तों को आशीर्वाद देकर दोपहर 2: 38 मिनट पर गर्भगृह में प्रविष्ठ हुई। ध्याणियों से मिलन के दौरान के दौरान दूर-दूर से आई महिला श्रद्धालुओं की आखों में आंसू आ गये। मन्दिर परिसर में सैकड़ों महिलाओं ने शानदार नृत्य किया। भावुक ध्याणियां करीब एक घंटे तक उमा देवी की डोली से लिपटती रही।
देवी के साथ छह महीने से भ्रमण कर रहे एरवालों को लोगों ने बमुश्किल सम्भाला। देवी को 12 साल बाद फिर से बुलाने के बाद बाद भक्तों ने मन्दिर से विदाई ली। दीन दयाल पार्क में रामलीला कमेटी के सौजन्य से भंडारा लगाया गया था। इस मौके पर पंडित अनसुया प्रसाद कोठियाल, अजय पुजारी, राजेन्द्र पुजारी, नगर पॉलिका अध्यक्ष सुभाष गैरोला, बीरेन्द्र पुंडीर, रवीन्द्र पुजारी, प्रदीप पुजारी, अनूप पुजारी, राधा कृष्ण, कान्ति पुजारी, नरेन्द्र भंडारी, जगदंबा पुजारी, आकाश पुजारी, चेतन मनोड़ी थे।
बारह वर्ष बाद निकलती हैं भ्रमण पर कर्णप्रयाग में उमा देवी का इकलौता मन्दिर है। परंपरा के अनुसार उमा देवी 12 साल के बाद विश्व कल्याण की कामना और अपनी ध्याणियों को आशीर्वाद देने के लिए क्षेत्र भ्रमण पर जाती है। उमा देवी ने नवम्बर महीने में गर्भगृह से बाहर आकर अपने मायके डिम्मर से होते हुए ससुराल कपीरी पट्टी के गांवों के अलावा तीर्थो, प्रयागों का भ्रमण किया।