कृषि विकास की जिम्मेदारी लेकर पर्वतीय कृषि को प्राथमिकता देनी होगी : राज्यपाल
पंतनगर (नैनीताल ) : उत्तराखण्ड के राज्यपाल डाॅ0 कृष्ण कांत पाल ने आज पंडित गोविन्द बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर के तीसवें दीक्षान्त समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि अन्य विश्वविद्यालयों की तुलना में इस विश्वविद्यालय पर पर्वतीय कृषि के विकास की प्रमुख जिम्मेदारी है। हिमालयन कृषि, मैदानी क्षेत्रों की कृषि से पूरी तरह भिन्न है। देश के इस प्रथम कृषि विश्वविद्यालय को, विपरीत भौगोलिक परिस्थितियों (कमजोर एक्सेसिबिल्टी व फ्रैजाइलिटी) के कारण चुनौतियों का सामना कर रहे हिमालयी क्षेत्र के राज्य उत्तराखण्ड के कृषि विकास की जिम्मेदारी लेकर पर्वतीय कृषि को प्राथमिकता देनी चाहिए।
उन्होंने कहा, पंतनगर विश्वविद्यालय ने देश को खाद्यान्न में आत्मनिर्भरता का मार्ग दिखाया है। राज्यपाल ने कहा- विश्वविद्यालय को कृषि गतिविधियों से जुड़ी उत्तराखण्ड की महिलाओं के लिए छोटे व हल्के वजन के कृषि संयत्र विकसित करने चाहिए। इससे महिलाओं का शारीरिक श्रम व तनाव कम हो सकेगा। ग्रामीण प्रौद्योगिकी को विकसित करने के लिए और अधिक कार्य करने की आवश्यकता बताते हुए राज्यपाल ने कृषि क्षेत्र में सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ाने पर भी बल दिया।
राज्यपाल ने, कृषि में मोबाइल, टैलीफोन एवं अन्य संचार तकनीकों के प्रयोग को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ उत्तराखण्ड के काश्तकारों को भिन्न-भिन्न प्रकार की जलवायु के अनुरूप काश्तकारी से सम्बन्धित नवीनतम एग्रो एडवाइजरी/कृषि सलाह प्रदान कर उपलब्ध संसाधनों के उचित प्रबन्धन एवं प्रयोग से कृषि उत्पादन क्षमता को बढ़ाए जाने पर जोर दिया। उन्होंने पर्वतीय क्षेत्रों में फलों, सूखे मेवों, संगध पादपों तथा नकदी फसलों की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष ध्यान केन्द्रित करने की बात की।
राज्यपाल ने कहा कि वर्तमान में विश्वविद्यालयों को शिक्षण और शोध कार्यों में एकीकृत व अंतःविषय (इंटर डिसीप्लिनरी) दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करना चाहिए। विश्वविद्यालय को विचारों, सुझावों तथा अभिमतों की अभिव्यक्ति को साझा करने के लिए भी एक आदर्श पटल मुहैया कराना चाहिए। ज्ञान सृजन, ज्ञान-प्रसार तथा ज्ञान आत्मसात करने के लिए अनुकूल वातावरण निर्माण की दिशा में भी कार्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय को खाद्य सुरक्षा के उद्देश्य को पूर्ण करने के साथ ही देश को खाद्यान्न सम्पन्नता की ओर ले जाना भी सुनिश्चित करना है।
उन्होंने युवा पीढ़ी को कृषि की ओर आकर्षित करने के लिए इस क्षेत्र में नए आयाम जोड़ने को आवश्यक बताया और कहा कि इसके लिए शोध जरूरी है जिसके माध्यम से कृषि को अधिक वैज्ञानिक, लाभप्रद तथा आकर्षक बनाया जा सकता है। उन्होने कहा कि ‘शोध’ कृषि को लाभदायक और पलायन को कम करने में सहायक हो सकते हैं।
उन्होंने हरित क्रान्ति में इस विश्वविद्यालय की महत्वपूर्ण भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि देश ने छः दशकों में खाद्यान्न में पांच गुणा, दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में सात गुणा तथा मत्स्य उत्पादन में भी कई गुणा वृद्धि की है जो जनसंख्या की वृद्धि दर से अधिक तेज रही। कृषि उत्पादन मंे अच्छे बीजों की भूमिका पर बल देते हुए राज्यपाल ने बताया कि पंतनगर के बीजों की प्रामाणिकता के बल पर आई हरित क्रान्ति से देश खाद्यान्न में आत्मनिर्भर हुआ।
राज्यपाल ने कृषि वैज्ञानिकों का आह्वाहन करते हुए कहा कि देश को खाद्यान्न सम्पन्नता की ओर ले जाने के लिए कृषि से जुड़े सभी आयामों को नियंत्रित करने पर विशेष ध्यान देना होगा।
इस अवसर पर उन्होंने सभी उपाधिधारकों, पदक एवं अवार्ड प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों के साथ-साथ कुलपति एव संकाय सदस्यों को बधाई दी।