नेवी चीफ डी.के.जोशी अब बने उपराज्यपाल

देहरादून : देश में कुछ ऐसे बिरले ही लोग बचे है जो नैतिकता का पाठ पढ़ाते ही अनहि बल्कि अपने जीवन में भी नैतिकता प्रदर्शित करते हैं । जो लोगों के लिए एक मिसाल बन जाता है । ऐसे ही विलक्षण प्रतिभा के धनी एडमिरल डी.के.जोशी जिन्होंने मुंबई पनडुब्बी हादसे के बाद नैतिकता के आधार पर इस्तीफ़ा दे दिया था को राष्ट्रपति कोविंद ने प्रधानमंत्री मोदी कि सलाह पर अंडमान निकोबार का राज्यपाल नियुक्त किया है। वे प्रोफेसर जगदीश मुखी का स्थान लेंगे जिन्हें अब असम के राज्यपाल पद की जिम्मेदारी दी गई है। 63 साल के एडमिरल जोशी को उप राज्यपाल बनाया जाना उत्तराखंड वासियों के लिए गर्व की बात है।
गौरतलब हो कि भारत के 21वें नौसेनाध्यक्ष रहे देवेंद्र कुमार जोशी 31 अगस्त 2012 से 26 फरवरी 2014 तक इस पद पर रहे। उन्होंने करीब 38 वर्षों तक भारतीय नौसेना में सेवाएं दी। उन्हें नौसेना मेडल, विशिष्ट सेवा मेडल और युद्ध सेवा मेडल से सम्मानित किया जा चुका है। उन्होने मुंबई पनडुब्बी हादसे के बाद इस्तीफ़ा देकर नौ सेनाध्याक्ष का पद छोड़ दिया था। जोशी मूलरूप से उत्तराखण्ड के अल्मोड़ा के रहने वाले हैं। उनके माता-पिता पिछले कुछ समय पहले तक देहरादून में निवास करते थे।
मोदी सरकार के केंद्र में आने के बाद प्रधानमन्त्री ने उत्तराखंड के लोगों पर लगातार भरोसा जताया है और अब उत्तराखंड निवासी एडमिरल (रि.) देवेंद्र कुमार जोशी अंडमान निकोबार के नए उपराज्यपाल बनाए गए हैं। 4 जुलाई 1954 को अल्मोड़ा में जन्मे श्री जोशी देश के 21वें नौसेनाध्यक्ष थे। वो 31 अगस्त 2012 से 26 फरवरी 2014 तक इस पद रहे। एडमिरल जोशी अंडमान-निकोबार द्वीप कमान और यहां एकीकृत रक्षा स्टाफ मुख्यालय के प्रभारी भी रहे हैं। उन्होंने विजाग स्थित पूर्वी बेड़े का भी नेतृत्व भी किया है। उन्होंने 01 अप्रैल 1974 को भारतीय नौसेना के एक्जीक्यूटिव ब्रांच में कमीशन प्राप्त किया था।
देवेंद्र कुमार जोशी विमानवाहक पोत ‘आईएनएस विराट’, गाइडेड मिसाइल विनाशक ‘रणवीर’ और ‘आईएनएस कुठार’ की कमान भी संभाल चुके हैं। उन्होंने सिंगापुर में भारतीय उच्चायोग में 1996 से 1999 के दौरान रक्षा सलाहकार के रूप में भी सेवाएं दी हैं। अमेरिका के नेवल वॉर कॉलेज से स्नातक जोशी मुंबई स्थित नेवल वॉरफेयर कॉलेज और यहां के नेशनल डिफेंस कॉलेज में भी अध्ययन कर चुके हैं। अचानक आइएनएस सिंधुरत्न दुर्घटना और इससे पहले हुई सिलसिलेवार दुर्घटनाओं की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए उन्होंने 26 फरवरी 2014 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। ऐसा करने वाले वो भारत के पहले नौसेनाध्यक्ष हैं।