उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश समेत नदी में पानी हुआ नहाने लायक
सीपीसीबी को 27 मॉनिटरिंग सेंटरों का पानी मिला साफ
Press Trust of India
नई दिल्ली : लॉकडाउन की वजह से देश की आबोहवा बदल रही है। भारत में हर तरह के प्रदूषण में खासी कमी आई है। 91 शहरों की हवा की गुणवत्ता 29 मार्च तक ही अच्छी और संतोषजनक श्रेणी में आ चुकी है। तीन-चार महीने पहले ही उत्तर भारत के जो शहर दमघोंटू हवा में जकड़े थे, वह अब शुद्ध हवा में सांस ले रहे हैं।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की रिपोर्ट के अनुसार लॉकडाउन के कारण पावन गंगा नदी का जल भी फिर से निर्मल होने लगा है। इन दिनों उसका प्रदूषण कम हो रहा है। लॉकडाउन की वजह से नदी में औद्योगिक कचरे की डंपिंग में कमी आई है। गंगा का पानी ज्यादातर मॉनिटरिंग सेंटरों में नहाने के लिए उपयुक्त पाया गया है।
सीपीसीबी की ताजा रिपोर्ट के अनुसार वायरस के लिए लागू यातायात संबंधी प्रतिबंधों और औद्योगिक इकाइयों में कामकाज बंद किए जाने से देश में प्रदूषण के स्तर में खासी कमी आई है। रियल टाइम वॉटर मॉनिटरिंग में गंगा नदी का पानी 36 मॉनिटरिंग सेंटरों में से 27 में नहाने के लिए उपयुक्त पाया गया है। उत्तराखंड, उप्र समेत विभिन्न जगहों पर गंगा के पानी में काफी सुधार देखा गया। मॉनीटरिंग स्टेशनों के ऑनलाइन पैमानों पर पानी में ऑक्सीजन घुलने की मात्र प्रति लीटर 6 एमजी से अधिक, बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड 2 एमजी प्रति लीटर और कुल कोलीफार्म का स्तर 5000 प्रति 100 एमएल हो गया है। इसके अलावा पीएच का स्तर 6.5 और 8.5 के बीच है जो गंगा नदी में जल की गुणवत्ता की अच्छी सेहत को दर्शाता है। सीपीसीबी के रियल टाइम वॉटर मॉनिटरिंग डाटा के अनुसार उसकी 36 मॉनिटरिंग यूनिटों में से 27 के आसपास पानी की गुणवत्ता वन्यजीवों और मछलियों के लिए उपयुक्त पाई गई है।
पर्यावरणविद् और साउथ एशिया नेटवर्क ऑन डैम, रिवर, पीपुल (एसएएनडीआरपी) के एसोसिएट कोआर्डिनेटर भीम सिंह रावत ने बताया कि आर्गेनिक प्रदूषण अभी भी नदीं के पानी में घुल कर खत्म हो जाता है। लेकिन औद्योगिक इकाइयों से होने वाला रासायनिक कचरा घातक किस्म का प्रदूषण है जो नदी की खुद को साफ रखने की क्षमता को खत्म कर देता है। लॉकडाउन के दौरान नदी की खुद को साफ रखने की क्षमता में सुधार के कारण ही जल की गुणवत्ता में सुधार हुआ है।
पिछले कुछ दिनों में देशभर के कई शहरों और कस्बों में हवा भी काफी साफ हो गई है। रिपोर्ट के मुताबिक 21 मार्च (जनता कफ्यरू से एक दिन पहले) 54 शहरों में वायु की गुणवत्ता अच्छी और संतोषजनक थी। लेकिन 29 मार्च को देश के 91 शहरों में वायु प्रदूषण न्यूनतम हो गया। अत्यधिक प्रदूषित शहर भी नौ से शून्य के मानक पर आ गए।
दिल्ली-एनसीआर की हवा में भी सुधार: दिल्ली में भी हवा में खासा सुधार आया है। यहां लॉकडाउन के दौरान पीएम10 और नाइट्रोजन आक्साइड में भारी कमी हुई है। दिल्ली में 22-23 मार्च को पीएम10 में 44} की कमी थी। हालांकि एनसीआर (नेशनल कैपिटन रेंज) में दिल्ली जितना फर्क नहीं पड़ा है। गुरुग्राम को छोड़कर एनसीआर में 22 मार्च को पीएम10 में कमी आई। पीएम2.5 का स्तर अथिक रहा। नोएडा में 6} और गाजियाबाद में 9} था।
उधर, विशेषज्ञों का मानना है लॉकडाउन के बाद से गंगा नदी की के पानी की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। पर्यावरणविद विक्रांत टोंकद का कहना है गंगा में कानपुर के आसपास पानी बेहद साफ हो गया है। गंगा की सहायक नदियों ¨हडन और यमुना का पानी भी पहले से साफ हुआ है।