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दाँव पर है हैट्रिक लगा चुके 14 नेताओं की साख़ 

सीटें बदलने पर भी पांच नेता अपनी लगातार जीतते रहे हैं विधानसभा का चुनाव

विजया, अमृता व हरिदास इस बार नहीं लड़ रहे हैं चुनाव

देहरादून। वैसे तो उत्तराखण्ड में लोकप्रिय नेताओं की भी कमी नहीं जो एक नहीं, दो नहीं लगातार तीन बार विधानसभा का चुनाव जीत चुके हैं। जीत की हैट्रिक बना चुके इन नेताओं की तादाद 14 है। लेकिन खास बात यह है कि इनमें से पांच नेता ऐसे भी हैं जिन्होंने दल बदलने के बाद भी जीत का क्रम बरक़रार रखा है। अब इस विधान सभा चुनाव में इन नेताओं की साख़ भी दाँव पर लगी है अब देखना होगा ये लोग अपने जीत का रिकॉर्ड बरक़रार रख पाते हैं या नहीं।

सूबे की मैदानी विधानसभा सीट हरिद्वार जिले में जीत की हैट्रिक बना चुके विधायकों की संख्या तीन है, जिनमें मदन कौशिक, कुंवर प्रणव सिंह और हरिदास शामिल हैं। मदन कौशिक हरिद्वार विधानसभा सीट से लगातार तीन बार जीत चुके हैं। जबकि कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन भी जीत की हैट्रिक बना चुके हैं। हालाँकि इस बार चैंपियन कांग्रेस से बागी होकर भाजपा से खानपुर सीट के प्रत्याशी हैं। देहरादून जिले की चकराता सीट से कांग्रेस के प्रीतम सिंह लगातार तीन चुनाव जीत चुके हैं। इस बार भी वह इसी सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी हैं। जिले की धर्मपुर सीट से कांग्रेस प्रत्याशी दिनेश अग्रवाल भी पिछले तीनों चुनाव जीते हैं। अग्रवाल 2002 व 2007 का चुनाव लक्ष्मण चौक विधानसभा सीट से जीते तो 2012 का चुनाव उन्होंने धर्मपुर सीट से जीता। इस बार भी धर्मपुर सीट से कांग्रेस ने उन्हीं पर दांव खेला है।

वहीँ देहरादून कैंट के भाजपा प्रत्याशी हरबंश कपूर भी अपनी लगातार चौथी जीत के लिये चुनावी समर में उतरे हैं। वह 2002 व 2007 में देहराखास सीट से विधायक चुने गए। उसके बाद 2012 में देहरादून कैंट सीट से विधायक बने। कपूर पिछले 38 सालों से लगातार विधायक हैं। वे उत्तर प्रदेश के समय देहरादून शहर सीट से 1989 में पहली बार विधायक बने थे और तब से लगातार हर चुनाव जीतते रहे हैं।

पौड़ी गढ़वाल जिले की कोटद्वार सीट से भाजपा प्रत्याशी डॉ. हरक सिंह रावत 2002 व 2007 में लैंसडाउन से कांग्रेस विधायक बने। वे 2012 में रुद्रप्रयाग सीट से भी कांग्रेस विधायक बने। इस बार वे कांग्रेस से बागी होकर नयी सीट कोटद्वार से भाजपा के प्रत्याशी हैं।

अल्मोड़ा जिले में जागेश्वर विधानसभा सीट से कांग्रेस के गोविन्द सिंह कुंजवाल लगातार तीनों बार विधायक बने और इस बार फिर से इसी सीट से कांग्रस प्रत्याशी हैं। पिथौरागढ़ जिले की डीडीहाट सीट से भाजपा के प्रत्याशी बिशन सिंह चुफाल भी चौथी बार विधायक बनने को मैदान में हैं। ऊधमसिंह नगर जिले की बाजपुर (अनुसूचित जाति आरक्षित) सीट इस बार भाजपा प्रत्याशी यशपाल आर्य पिछली बार 2012 में इसी सीट से कांग्रेस विधायक चुने गए थे। इससे पहले वे 2002 व 2007 में नैनीताल जिले की मुक्तेश्वर सीट से विधायक चुने गए थे। इसी तरह इसी जिले की जसपुर विधानसभा सीट से इस बार भाजपा प्रत्याशी डॉ. शैलेन्द्र मोहन सिंघल गत विधानसभा चुनाव 2012 में कांग्रेस विधायक बने। वे 2007 में भी कांग्रेस विधायक से जबकि 2002 में निर्दलीय विधायक चुने गए थे।

वहीँ लगातार तीन बार विधानसभा चुनाव जीतने वाने उत्तराखंड  के 14 नेताओं में से तीन ऐसे हैं जो इस बार चुनाव मैदान में नहीं हैं। पौड़ी  जिले की यमकेश्वर सीट से लगातार तीनों बार भाजपा विधायक बनती रही विजया बड़थ्वाल को पार्टी ने इस बार टिकट नहीं दिया। वहां पूर्व मुख्यमन्त्री भुवन चन्द्र खण्डूड़ी की बेटी ऋतु खण्डूड़ी भूषण पहली बार  मैदान में हैं। टिकट कटने से नाराज विजया ने पहले निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा की थी। बाद में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के मान मनोव्बल के बाद उन्होंने अपना नामांकन वापस ले लिया। कांग्रेस की तीन बार विधायक रही अमृता रावत अब भाजपा में हैं, लेकिन इस बार चुनाव नहीं लड़ रही हैं। भाजपा ने उनके पति व पूर्व सांसद सतपाल महाराज को चौबट्टाखाल से प्रत्याशी बनाया है। अमृता रावत कॉग्रेस की 2002 व 2007 में बीरोंखाल से विधायक रही तो 2012 में रामनगर से। इनके अलावा तीसरे नेता हरिदास भी बसपा से 2002 व 2007 में लंढौरा से और 2012 में झबरेड़ा से विधायक बने। इस बार बसपा छोड़कर वह कांग्रेस में शामिल हो गए थे लेकिन कांग्रेस से भी उन्हें टिकट नहीं मिला।

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