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स्पीकर जी, निर्देश पीठ से जारी होते हैं, सड़क से नहीं…….

सड़क पर खड़े होकर मीडिया को बयान देते हुए सरकार को दे रहें हैं निर्देश

कहीं स्पीकर किसी के इशारे पर मुख्यमंत्री को अवाम के निशाने पर लेने की कोशिश तो नहीं कर रहे ?

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

पहले भी अधिकार से बाहर जाकर बना चुके हैं कमेटी

एक अहम बात यह भी है कि स्पीकर अग्रवाल ने पीठ पर न रहते हुए भी कुछ समय पहले गैरसैँण में कामों की जांच के लिए विधायकों की एक कमेटी बनाई थी।

संविधान के जानकारों का कहना है कि ये कमेटी भी विधि विरुद्ध थी, यही  वजह है कि आज तक इस कमेटी को न तो अधिकारियों ने तव्वजो दी और न ही विधायकों ने ही इसमें कोई रुचि ली। लिहाज़ा यह कमेटी अब कहीं  नज़र नहीं  आ रही है ।  

देहरादून। विधान सभा अध्यक्ष प्रेमचंद्र अग्रवाल इन दिनों सुर्खिया बटोरने की कोशिश में हैं। इसी सिलसिले में उन्होंने सड़क पर खड़े होकर मीडिया को दी एक बाइट में सरकार को निर्देश दे डाला कि सरकार विधान सभा का अगला सत्र गैरसैँण में करे।

इस मामले में संविधान के जानकारों का कहना है कि स्पीकर की ओर से सरकार को कोई भी निर्देश उस वक्त जारी किया जा सकता है, जबकि विधान सभा का सत्र चल रहा हो और स्पीकर पीठासीन हों यानि विधानसभा सत्र के दौरान जब अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठे हों। अब सवाल ये खड़ा हो रहा है कि स्पीकर की आखिरकार मंशा क्या है। खुद तो ऋषिकेश विधान सभा से विधायक हैं और बात कर रहे हैं गैरसैंण की। उनके इस तरह के बयान से लग रहा है कि स्पीकर किसी के इशारे पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को अवाम के निशाने पर लेने की कोशिश कर रहे हैं।

भाजपा के कार्यक्रमों में भी जाते हैं स्पीकर

संविधान के जानकारों के अनुसार स्पीकर का पद पूरी तरह से गैरराजनीतिक होता है और इस पद पर आसीन कोई व्यक्ति किसी भी सियासी कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सकता। पर स्पीकर हैं कि किसी भी सियासी कार्यक्रम में शामिल होने और अपनी फोटो वायरल करने का मौका नहीं चूकते हैं। उत्तराखंड में अगर विपक्ष इतना कमजोर न होता तो स्पीकर महोदय को अब तक लेने के देने पड़ जाते।

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