पुत्र मोह में तोड़ा कांग्रेस से 42 साल पुराना रिश्ता !
वित्त मंत्री इंदिरा हृदयेश लगातार सरिता आर्य के पक्ष में मजबूती से खड़ी
देहरादून : राजस्व मंत्री यशपाल आर्य पिछले चार दशक से कांग्रेस से जुड़े हुए थे। राज्य गठन के बाद से पार्टी ने हमेशा उन्हें यहां के शीर्ष नेताओं की भूमिका में रखा। कभी विधानसभा अध्यक्ष बनाया तो कभी प्रदेश अध्यक्ष पद तक से नवाजा।
वर्तमान में भी वह सरकार के कद्दावर मंत्री के रूप में जाने जाते थे, लेकिन बेटे संजीव आर्य को नैनीताल से टिकट दिलाने के लिए उन्होंने कांग्रेस से इतना पुराना नाता तोड़ दिया। दरअसल यशपाल आर्य वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में ही संजीव को नैनीताल से चुनाव लड़ाना चाहते थे। चूंकि उस समय वह कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी थे, लिहाजा उन्हें पूरी उम्मीद थी कि उनकी बात नहीं कटेगी, लेकिन पार्टी हाईकमान ने सीएम हरीश रावत की पैरवी पर नैनीताल से सरिता आर्य का टिकट पक्का कर दिया।
उस समय भी यशपाल पार्टी से काफी नाराज हुए थे। जब पार्टी ने उन्हें मनाने की कोशिश की तो उन्होंने अपने करीबी हरेंद्र बोरा को लालकुआं से टिकट देने की शर्त रख दी। मजबूरी में पार्टी ने लालकुआं से वरिष्ठ कांग्रेसी हरीश चंद्र दुर्गापाल का टिकट काट दिया और हरेंद्र बोरा को दे दिया।
यह अलग बात है कि दुर्गापाल निर्दलीय चुनाव लड़ गए और जीत भी गए। 18 मार्च 2016 को कांग्रेस के नौ विधायकों की बगावत के समय भी भाजपा ने यशपाल को साधने की कोशिश की थी, लेकिन सीएम ने उस समय आर्य से मिलकर स्थिति को संभाल लिया था।
यशपाल आर्य के मुताबिक सीएम ने उस समय संजीव को नैनीताल से टिकट देने पर सहमति भी जता दी थी। उसी के बाद संजीव आर्य लगातार नैनीताल क्षेत्र में जनसंपर्क कर रहे थे। यशपाल चाहते थे कि सीएम नैनीताल से संजीव के टिकट की बात सार्वजनिक कर दें, लेकिन रावत लगातार इससे बचते रहे।
उधर, वित्त मंत्री इंदिरा हृदयेश लगातार सरिता आर्य के पक्ष में मजबूती से खड़ी रहीं। सूत्रों की मानें तो कांग्रेस संजीव को सोमेश्वर और सितारगंज से टिकट देने पर सहमत हो गई थी, लेकिन यशपाल इसके लिए तैयार नहीं थे। उनका कहना था कि जब बेटे ने पांच साल नैनीताल सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी की है तो वह दूसरी सीटों पर क्यों लड़े।